Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447600 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उत्तराखंड देशा
 
 ऐजा ऐजा ...२
 मेरु गढ़देश मेरु भलो देश
 मेरु उत्तराखंड देश.......................
 
 किनगोड़ों कफालों को देशा
 घुघूती हिलंसा को देशा
 मेरु पहाड़ों को देशा
 रीटा सुन  पडयूँ  गढ़ देशा
 मेरु उत्तराखंड देश......................
 
 खैरी विपदों को देशा
 तब छुडी गै तो  परदेशा
 बैठालूं  बच्चों दाणु को देशा
 मेरु ढुंगुं को देशा
 मेरु उत्तराखंड देश.......................... 
 
 उकाली मा चाडी लगी ठेशा
 तब दोऔडी भागी उन्दारों का देश
 काँटों चुबी खोटोमा को देश
 म्यार बांजा पुंगडों का देश
 रीटा होआ मन्ख्यों का देश
 मेरु उत्तराखंड देश................................
 
 उजाड़ पडी डंडा कंडा
 उजड़ा आज सरू गढ़ देशा
 रास्ता देखना छिण देखा अब
 अप्रू पितृ इस्ट देबता
 म्यारी टूट्या सप्नीयु का देशा
 मेरु उत्तराखंड देश.......................       
 
 ऐजा ऐजा ...२
 मेरु गढ़देश मेरु भलो देश
 मेरु उत्तराखंड देश.......................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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भुलयाँ
 
 भुलयाँ तुम भुलयाँ
 ये गढ़देश तुम भुलयाँ 
 कखक रयां तुम आज भुलयाँ
 प्रगती बाटा मा तुम रोडया बानया
 भुलयाँ तुम भुलयाँ…………………..
 
 गतीशील गढ़ मा
 गतीदार ही णी  रायाँ यख
 तुम साथ छुडी की गयाँ
 खैणी कमाणी वहाली कखक
 भुलयाँ तुम भुलयाँ…………………..
 
 बोल्दा रायँ सब का सब
 गढ़देश मा जींदगी कटेली कण
 भागी की  गढ़देस भातैक
 क्या जीन्दगी सुधर जली यख
 भुलयाँ तुम भुलयाँ …………………..
 
 तुमी सोचयां तुमी बुज्यां
 तुमी सवाल तुमी जवाब
 उताराखंड दागडी ऐजावा 
 अब भी सवेर रोज आणी यख
 भुलयाँ तुम भुलयाँ …………………..
 
 भुलयाँ तुम भुलयाँ
 ये गढ़देश तुम भुलयाँ 
 कखक रयां तुम आज भुलयाँ
 प्रगती बाटा मा तुम रोडया बानया
 भुलयाँ तुम भुलयाँ…………………..
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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ख्वाइश
 
 चाँद को पाने की ख्वाइश  मै
 गुजरी रात तमाम
 झिलमिल करते रहे सितारे 
 देते रहे उसे सलाम
 चाँद को पाने की.....................
 
 कागज और कलम
 ने लिखा कुछ पैगाम
 दिल कोँन से नगर भेजों
 संदेश अब उनके  नाम
 चाँद को पाने की......................
 
 जुगनु की तरहं मै
 जलता और बुझता रहा 
 अब तो सारे आम
 फिर भी ना मिला मक़ाम
 चाँद को पाने की......................
 
 कोशिश तो की मैने
 पाने की ऐ खुदा मेरे
 दे दे वो चाँद मुझे या
 सर दे दे  मेरे इल्जाम
 चाँद को पाने की......................
 
 चला जाओंगा यंहा से
 मुख से मुक बनकर यूँ
 आऊँगा तेरे दरबार मै
 ये चोला मै यंहा तजकर
 चाँद को पाने की......................
 
 चाँद को पाने की ख्वाइश मै
 गुजरी रात तमाम
 झिलमिल करते रहे सितारे 
 देते रहे उसे सलाम
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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प्रभु दया
 
 शंकर भोले.................२औ 
 सुनलो  पुकार भगवन
 तुम हो दया के सागर 
 
 गगरी खाली है भोले
 देदो गंगा जी का तड़पंन
 अश्रु धार लिये भगवन
 आया हो कैलाश दर पर
 
 शंकर भोले.................२औ 
 सुनलो  पुकार भगवन
 तुम हो दया के सागर 
 
 जब भी जिसने भी बुलाया 
 तुरंत पहुंचें तुम  सब तज कर
 मेरी भक्ती मै खोट है देव मेरे
 क्यों बैठे हो मुझ से साईं रूठ कर
 
 शंकर भोले.................२औ 
 सुनलो  पुकार भगवन
 तुम हो दया के सागर 
 
 मै बालक अति अभिमानी
 पिता बनकर मीटवो  गिलानी
 हाथ जोड़ बैठा हों प्रभु मेरे
 कंहा छुपे मेरे सुखकर
 
 शंकर भोले.................२औ 
 सुनलो  पुकार भगवन
 तुम हो दया के सागर 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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मील बोउडी आण
 
 मील बोउडी आण दिदियु
 मील बोउडी आण
 हेरा मेरा बाटा दिदियु
 मील बोउडी आण .....२
 
 देणु नी मी सरू दिदियु मील बोउडी आण 
 उत्तराखंड तेरा बाण दिदियु मील बोउडी आण
 ऊँचा निचा डाणडी दिदियु मील बोउडी आण
 तेडा मेडा बाटा दिदियु मील बोउडी आण
 मील बोउडी आण .....२
 
 ऊँचा हीमाला मेरा मील बोउडी आण
 बद्री -केदार को धमा मील बोउडी आण
 गढ़ देश गढ़वाल मील बोउडी आण
 हरीद्वरा हर की पाड़ी मा मील डुबकी लगाण 
 मील बोउडी आण .....२
 
 अलखनंदा भगीरथी मील बोउडी आण
 गढ़ देश को ढुंगा गार मील बोउडी आण
 ये मेरी बोई ना रोई मील बोउडी आण
 बाबाजी को दे प्रणाम मील बोउडी आण
 मील बोउडी आण .....२
 
 उजड़ा पड्या मेरा डंडा मील फिर खिलाण
 बंजा पड्या पुंगडा फिर उपजाओ बाणण
 छुडी गै भै बंद भी गढ़ देश फिर तिल आण
 रुतैला उत्तराखंड फिर स्वाणु बाणण
 मील बोउडी आण .....२
 
 ध्यै लगाणी मात भूमी मीथै मील बोउडी आण
 तेरु उपकार हे देवभुमी मेरी मील कण बिसराण
 लियुं प्रण हमरु गढ़देशा फिर सरग तै थै बाणण
 कृपा रख माँ भगवती हम पर मील बोउडी आण 
 
 मील बोउडी आण दिदियु
 मील बोउडी आण
 हेरा मेरा बाटा दिदियु
 मील बोउडी आण .....२
     
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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ॐ साईं राम
 
 साईं राम साईं राम साईं राम
 मंदिर मै ज्योत जले साईं
 मन अंधीयार दूर भागे साईं
 प्रकाशमई है उजाल साईं
 जग अँधेरा दूर छटे साईं
 
 साईं राम साईं राम साईं राम
 श्याम तो ही घनश्याम तो ही साईं
 मेरा मन के भगवान भी तुम साईं
 अलख जगा मुझ मै गुरुवर साईं
 मार्ग बता दो मेरे अवधुत साईं
 
 साईं राम साईं राम साईं राम
 रमता जा रमता जा मनवा साईं साईं
 दुखों की आब मीटेगी खाई साईं
 झोली खाली है अज्ञान की मेरे साईं
 बह्रमा ज्ञान पञ्च तत्त्व भरता जा साईं 
 
 साईं राम साईं राम साईं राम
 मंदिर मै ज्योत जले साईं
 मन अंधीयार दूर भागे साईं
 प्रकाशमई है उजाल साईं
 जग अँधेरा दूर छटे साईं
 
 ॐ साईं राम
 साईं रहम नजर करना बच्चों का पालन करना !!
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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साई धुन लगी
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई
 साईं राम साईं राम मेरे गुरु मेरे भगवाना
 तज दो मेरे अहम् भाव
 शीर्ड़ी के अंतर-ध्यान ध्यानी
 कृपा करो वो अंतरयामी
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई ..........................
 
 सबका मालिक एक है
 बाबा मुझे भी बना दो नेका हो .....
 लगी लोभ माया का रोग जी
 बाबा करदो कुछ उपाया जी
 आया भक्त ले के कुछ आस जी
 भर दो झोली मेरे तातजी
 साईं मेरी सुन लो पुकारा जी ...............२
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई ..........................
 
 मै प्यासा हों तुम मेरी प्यास जी
 वो साईं सदगुरू मेरे भगवान जी
 ज्ञान मुझे दे दो कर दो उपकार जी
 चरणु की सेवा का दे दो अधीकर जी
 सब धर्मो मै भी रखों सदभाव जी
 आपनी दीक्षा दे दो श्री साईंनाथ भगवान जी
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई ..........................
 
 साई धुन लगी मोहे बाबा की धुन लगी
 सारी दिशा छाई साईं की धुन छाई
 साईं राम साईं राम मेरे गुरु मेरे भगवाना
 तज दो मेरे अहम् भाव
 शीर्ड़ी के अंतर-ध्यान ध्यानी
 कृपा करो वो अंतरयामी
 
 ॐ साईं राम
 साईं रहम नजर करना बच्चों का पालन करना !!
 
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
पनाह

देख रहा खड़ा खड़ा
अपने सर के बल पड़ा
देश भी मेरा सोच राह
कितने घोटालों को दों ओर पनाह
एक ना खत्म होता दुजा खडा
तो दुर खड़ा लाचार पडा है .....................


सब से मै आहत होआ
अंत मन मै गर्त होआ
कोई नहीं खडा मै अकेला ही चला
सब दुर दुर कोई पास नहीं
मै यंहा एक तमाशागीन सा खड़ा
अपने आप से लड़ता होआ
तो दुर खड़ा लाचार पडा है .....................


खाकी मै दोष नजर आता है
घोटालों का उद्घोष नजर आता है
उनका खोया होश नजर आता है
तिजोरी भरे काले नोट नजर आता है
बीका होआ जमीर सपने सजाता
तो दुर खड़ा लाचार पडा है .....................

सच्चाई को यंहा अब ठोकर देता है
अपने मद मै वो कैसा ऐंठता है
बस लुटा नै मै सब के सब लगे हैं
रोड पति से करोड़ पति बन बैठे है
कैसा ऐ चक्कर देखा इसने चलाया पर
अपने को ऐसा लपेटा लगाया है
तो दुर खड़ा लाचार पडा है .....................

संसद की गरिमा को तुने ही गिरया
अपने पैरो पर कुल्हाडी खुद गिराया
क्या करता है सत्र राज्य लोक सभा मै
दुरदर्शन से सारा जग उसे देखता है
खाकी मै नेता मेरे ना अब तो जंचता है
शवेत रंग मै काला धब्बा नजर आता है
तो दुर खड़ा लाचार पडा है .....................

कब तक तो पनाह देगा ऐसे कार्य का
कब तक देश संकोचित सोच सहारे जीयेगा
अब ना जगा बस सोया का सोया रहा जायेगा
फिर हाथ ना तेरे यंहा कोई भी ना आयेगा
सारा धन बाहरी मुल्कों मै चला जायेगा
बस हाथ मले तो बस अब पछतायेगा
तो दुर खड़ा लाचार पडा है .....................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
4 minutes ago near Manama, Al Manamah
कखक लगाणी छुयीं मील
रीटा गढ़ रीटा मनख्यूं की
भैर भैर सब अपरा होंयाँ
भीतर कपाट ताल ल्गायाँ
कखक लगाणी छुयीं मील .....................

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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क्दग गैरी!!
 
 कंण बीत ला दीण ऐ पल छिण
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी 
 जींदगी व्हैगे क्दग गैरी
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी 
 कंण बीत ला दीण ये पल छिण
 
 बैरी समाज बैरी लोग
 जाण णा कैल अपरी खैरी
 अपरा अपरा नी रहाई
 जब स्वामी छुडी ग्याई
 कंण बीत ला दीण ये पल छिण
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
 
 अँधेरी राता तो सुण बात
 गेल्या सुंजड़या छे तु मेरी
 तो किले बैठी छे  कुल्हाण
 यकुली यकुली उदासा
 कंण बीत ला दीण ये पल छिण
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
 
 बरखा लागी छमणता
 सुओंण मैना बरसाता
 अखुमा मा बाहणी स्वामी
 अब त ऐ भी चोमासा 
 कंण बीत ला दीण ये पल छिण
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
 
 घुघूती हिलंसा छे परदेश
 बुरंस प्योंली कंण ऐ मोली
 काफल किन्गोड़ भी गै खोली
 बंजा पुंगडा उजड़ा ड़णड़ छोडी 
 कंण बीत ला दीण ये पल छिण
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी.........................
 
 कंण बीत ला दीण ऐ पल छिण
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी 
 जींदगी व्हैगे क्दग गैरी
 खुद मा तेरी खुद मा तेरी 
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