कभी मै यूँ ही मै ............
कभी मै यूँ ही मै आपने आप पर हँस लेता हों
किसी तरंह मै आपना गम हल्का कर लेता हों !!
कभी मै यूँ ही मै ............
दो आंसुओं को मै इस तरहा बचकर दोस्तों
मै किसी के ख्वाबों मै सपनो को बुन लेता हो !!
कभी मै यूँ ही मै ............
गुल मीले उनकों ,काँटों को अपने हाथों चुबो देता हों
खुन मेरा बहै सही पर उस चेहरे को मै सकुन देता हों
कभी मै यूँ ही मै ............
रात मै अन्धेरा से लड़ लड़कर झीलमील सवेरा देता हों
डर ना लगे अकेले मै इसलिये रातभर जलता रहता हों
कभी मै यूँ ही मै ............
सवेरे की उजाले मे मै अक्सर बुझ सा जाता हो
रहें ना अकेला वो हमदम बोझे दिये धोंयें सा मै मंडराता हों
कभी मै यूँ ही मै ............
सांसों की अवन जवान मै भी अपना अहसास दिलाता हों
दिल अगर रोयें उसका कभी याद मै अपने आँसुं बहता हों
कभी मै यूँ ही मै ............
कभी मै यूँ ही मै आपने आप पर हँस लेता हों
किसी तरंह मै आपना गम हल्का कर लेता हों !!
कभी मै यूँ ही मै ............
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत — with
Manish Raturi and
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