Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447710 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बिमला मेरी
 
 जा जा छोडी की जा बिमला मेरी
 दिल तुडैकी की जा जा बिमला मेरी
 जा जा छोडी की जा बिमला मेरी ............................
 
 लुछी गै सुध बुध बिमला मेरी
 जीकोडी मा बसी बस माया तेरी बिमला मेरी
 जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 बैठोरायुं छाला कभी टुक डाला
 दिखे दिखे ना दिखे तो ऐ छाला आज बिमला मेरी
 जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 तु कखक लुकीगै रै बिमला मेरी
 आज पराणु झुरीगै रै मेरु बिमला मेरी
 जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 ना सत्वो ना सत्वो मीथै बिमला मेरी
 तेरी मेरी बालपना की माया बिमला मेरी
 जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 आ आजा  रै बिमला मेरी
 दिल दिल से जोड़ी लै  रै बिमला मेरी
 ना ना  छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 गड्वाली गीत लगा दै रै बिमला मेरी
 लासका ढस्का लगा रै बिमला मेरी
 ना ना  छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 बिमला बिमला है  बिमला तो बिमला मेरी
 तै बीगार कण तुड़ो माया तिमला ऐ बिमला मेरी
 ना ना  छोडी की जा बिमला मेरी................................
 
 बिमला मेरी बिमला मेरी बिमला मेरी...............................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ shared साई ध्यान ध्यानी's photo.
3 hours ago
By साई ध्यान ध्यानी
!!ॐ साईं राम ॐ!!
!!ॐ साईं राम ॐ!!
साईं साईं साईं
मोहे साईं धुन लगी ऐसे
हो गयी मै साईं दीवानी ...२
जंहा जाऊं बाबा मेरे
दर्शन पाऊँ मै बस तेरे ....२
हर ओर शीर्डी धाम देखे
तीर्थ श्रधा सुबरी ज्योत जले ....२
नैनो मै बाबा की मुरात सजै
नंगे पग दौडों गलियों मे .....२
अब मै एक तारा लै साई
मै हों बाबा की दीवानी मै साईं दीवानी ...2
सदगुरु साईं सुरुवर मेरे
कलियुगी अवतारी बाबा ...२
पग धोवों मै तेरे साईं पग धोवों मै तेरे
समधी मै आश लगाओं
आशा पुरी कर दै तु मेरी साईं ....२
तेरी विभुती माथे लगाओं
रोग पीड़ा मै दुर भागाओं
चंदन घस घसकर गुरु मेरे
तन मन निर्मल मै बनावों
ऐसा लगा साईं लैप मन पर
मै साईं साईं पुकारों ...२
मै तो होई रै साईं दीवानी ...२
साईं साईं साईं
मोहे साईं धुन लगी ऐसे
हो गयी मै साईं दीवानी ...२
जंहा जाऊं बाबा मेरे
दर्शन पाऊँ मै बस तेरे ....२
!!ॐ साईं राम ॐ!!

बालकृष्ण डी ध्यानी
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        Sunil Bardoliya sai baba ki jay
        2 hours ago · Like · 1
        देव भूमि बद्री-केदार नाथ jay ho!!
        2 hours ago · Like
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
6 hours ago
बिमला मेरी

जा जा छोडी की जा बिमला मेरी
दिल तुडैकी की जा जा बिमला मेरी
जा जा छोडी की जा बिमला मेरी ............................

लुछी गै सुध बुध बिमला मेरी
जीकोडी मा बसी बस माया तेरी बिमला मेरी
जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................

बैठोरायुं छाला कभी टुक डाला
दिखे दिखे ना दिखे तो ऐ छाला आज बिमला मेरी
जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................

तु कखक लुकीगै रै बिमला मेरी
आज पराणु झुरीगै रै मेरु बिमला मेरी
जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................

ना सत्वो ना सत्वो मीथै बिमला मेरी
तेरी मेरी बालपना की माया बिमला मेरी
जा जा छोडी की जा बिमला मेरी................................

आ आजा रै बिमला मेरी
दिल दिल से जोड़ी लै रै बिमला मेरी
ना ना छोडी की जा बिमला मेरी................................

गड्वाली गीत लगा दै रै बिमला मेरी
लासका ढस्का लगा रै बिमला मेरी
ना ना छोडी की जा बिमला मेरी................................

बिमला बिमला है बिमला तो बिमला मेरी
तै बीगार कण तुड़ो माया तिमला ऐ बिमला मेरी
ना ना छोडी की जा बिमला मेरी................................

बिमला मेरी बिमला मेरी बिमला मेरी...............................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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        देव भूमि बद्री-केदार नाथ शुभप्रभात उत्तराखंड !! जय बद्री-केदार जय मेरा डंडा कंडा ओर मै बिमला ना जा गढ़ देशा छुडी की आजा !!!
        2 hours ago · Like · 1
        Shubham Harbola kha ka he pahadi
        5 minutes ago · Like
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
9 hours ago
कभी मै यूँ ही मै ............

कभी मै यूँ ही मै आपने आप पर हँस लेता हों
किसी तरंह मै आपना गम हल्का कर लेता हों !!
कभी मै यूँ ही मै ............

दो आंसुओं को मै इस तरहा बचकर दोस्तों
मै किसी के ख्वाबों मै सपनो को बुन लेता हो !!
कभी मै यूँ ही मै ............

गुल मीले उनकों ,काँटों को अपने हाथों चुबो देता हों
खुन मेरा बहै सही पर उस चेहरे को मै सकुन देता हों
कभी मै यूँ ही मै ............

रात मै अन्धेरा से लड़ लड़कर झीलमील सवेरा देता हों
डर ना लगे अकेले मै इसलिये रातभर जलता रहता हों
कभी मै यूँ ही मै ............

सवेरे की उजाले मे मै अक्सर बुझ सा जाता हो
रहें ना अकेला वो हमदम बोझे दिये धोंयें सा मै मंडराता हों
कभी मै यूँ ही मै ............

सांसों की अवन जवान मै भी अपना अहसास दिलाता हों
दिल अगर रोयें उसका कभी याद मै अपने आँसुं बहता हों
कभी मै यूँ ही मै ............

कभी मै यूँ ही मै आपने आप पर हँस लेता हों
किसी तरंह मै आपना गम हल्का कर लेता हों !!
कभी मै यूँ ही मै ............

बालकृष्ण डी ध्यानी
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    You, Mahendra Singh Rana, Rajveer Chauhan and 61 others like this.
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
22 hours ago near Manama, Al Manamah
केदार धाम के लिए एडवांस टीम रवाना
Story Update : Tuesday, April 03, 2012 12:01 AM

रुद्रप्रयाग। केदारनाथ धाम में व्यवस्थाआें का जायजा लेने बदरी-केदार मंदिर समिति की एडवांस टीम ऊखीमठ से धाम के लिए रवाना हो गई है। टीम सोमवार को केदारनाथ के आधार शिविर गौरीकुंड में विश्राम करने के बाद मंगलवार को धाम के लिए प्रस्थान करेगी। 32 सदस्यीय यह टीम कपाट खुलने से पूर्व धाम में सभी व्यवस्थाआें को दुरुस्त करेग...See More
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
23 hours ago
आऊँगा कुछ पल बाद
फिर मै यूँ ही चला जाऊंगा
कोशिश रहेगी सदा मेरी
जिंदगी मायने बता जाऊँगा
जीतें है सभी अपने तरीके से
सब को एक बार तेरे चरणु मै झुकओंगा
बद्री-केदार मै उन्हे तेरी शरण मै लाऊँगा
आऊँगा कुछ पल बाद
फिर मै यूँ ही चला जाऊंगा
दोस्तों इसी आने जाने मै अब जाने का समय हो गया है मगर संध्या को फिर मै यूँ ही चला जाऊंगा!! अब तक के लिये धन्यवाद संध्यां को मुलकात होगी तब तक के लिये जय बद्री -केदार जय उत्तराखंड !!
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    Balbir Rana and 26 others like this.
        Naresh Bahukhandi ummid karta hu aap k sb us bABA THAKUR K CHARNO ME SIR JHUKAKAR APNA JEEVN SAFAL BANAYEGE
        23 hours ago · Like · 1
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
Yesterday
दर्द
दर्द की दास्ताँन
ख्वाब से शुरू होयी
प्यार के बाँहों तक पुहंची
जुदाई के साथ टूटी
गरीबी मै वो झुलसी
बेबसी का नजारा देख
धोखे के साथ मशहुर होयी
झुठ की बली बनकर
तन्हाई मै गफलत होयी
दर्द की दास्ताँन

बालकृष्ण डी ध्यानी
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    Rawat Anoop, Arun Singh Rawat and 38 others like this.
        Uttara Bahuguna Jai badri kedar.jai panchnam devo.
        SHUBH PRABHAT BADRI KEDAR KA UPASAKO TAIN.
        23 hours ago · Like · 1
        देव भूमि बद्री-केदार नाथ jai ho bahuguna jee!!
        22 hours ago · Like · 1
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
Yesterday
गुलोबंदा

क्या खैरी क्या विपदा
म्यार मन को डैरो गुलोबंदा .......२
कैकी अंधारु झोलह पड़ी
सारु गढ़देश आज गुलोबंदा .....२
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    Jeetendera Singh Dhangwal, राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' and 115 others like this.
        राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी' गलाबंध, विश्वार, मांगटिक्का, नथुली, मुर्खुली, पोंछी, इमरती , यूँ गहणो माँ बहुत कम गहणा आज नजर ओन्दन, ज्यादा तर लोगुन इ छोदियालिन
        11 hours ago · Like · 1
        देव भूमि बद्री-केदार नाथ jay ho mara uttarakhanda!!!
        8 hours ago · Like
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
Tuesday
बस और नही

अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी
इस माया मोहा लोभ से तो बचा रहता जी !!
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

हरियाली ही हरयाली थी चाहों ओर
उस धरती की गोद मै गुल सा खिला रहता जी !!
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

माँ पिता गुरुवर ने मुझे संस्करों से सींचा था जी
जंहा अतिथी देवो भावो माना जाता था जी !!
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

अहम अहंकार की दौड़ का है ऐ वतर्मान दशक
खडा हो मै यंहा पर बस बनकर एक मुक दर्शक
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

जहं भी नजर फैलाओं बस दुःख दर्द से व्याध है
कोई किसी का नहीं बस रिश्ता यंह रुपये सा गोल है
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

इंसानीयत बस खो गयी यंह पर ओर कुछ ओर नहीं
ऐ कलियुग कब ख़त्म होगा बस और नही बस और नही
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी
इस माया मोहा लोभ से तो बचा रहता जी !!
अच्छा था मै ८० के दशक मै रहता जी .....................

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मै पूर्व प्रकाशीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भैठीं ऊँला
 
 चाल गेल्या ..........२
 बीता दीणु मा....... बीता दीणु थै..... भैठीं ऊँला
 आपरा मुलका ....२
 गों-गौंठ्यार..... घारा भार  देखी  ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 वख बीती पडयुं बालपंन मेरु
 घिश्याँ ढुंहूँगुं का वा रेघा .......२
 गीची पैल बोयी बोयी  बोली मेर
 लैकी बाबा की खुच्ली का सारा
 चल गेल्या ऐ आंखी णी फिर देखी ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 वख दुर मेर जमी डाली होली
 अब वा भी बड़ी वहैगे होली
 छोटा भुला भुली तै डाली मा सीयाँ फाला मरणा व्हाला
 कोई टुका बैठी डाली कु भग्याण रिझाणा व्हालो
 चल गेल्या वो डाली मा फिर फाल मारी  ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 डंडा कंणडा उकालु उन्दारा
 सवेर ब्योखानी चडों ऐ धारा
 बुरंस प्योंली खीला देख कब अब
 खैजा लैया कैदु का सागा
 काफल किन्गोडा कदगा दीण बीती णा चखी
 चल गेल्या फिर चखी ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 चाल गेल्या ..........२
 बीता दीणु मा....... बीता दीणु थै..... भैठीं ऊँला
 आपरा मुलका ....२
 गों-गौंठ्यार..... घारा भार  देखी  ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
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मन मेरे
ढ़ोंडता रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा
ना मिला मै मुझे कंही भी ओ बेदर्दी
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

ठेस लगी क़दमों को मगर मै चलता रहा
राहों मै बीछे के काँटों को मै चुनता रहा
कभी अकेले मै रोता रहा दर्द यों ही सहता रहा
उदासी छायी मगर मै घोसला बुनता रहा
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

कभी चौक मै कभी चौहरा मै खडा रहा
जीवन के ख्व्वाब को कानो से सुनता रहा
आवाज आयी कंही से मै उस और बढता रहा
दुर जाकर वो भी स्वप्न मेरा टूटता ही रहा
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

सुबह के उजाले मै ना ढ़ोंड पाया मै मुझ को
रात के कली अन्धीयारै मै ढ़ोंडनै निकल पड़ा
दुर चलकर मधुशाल आया वंही पर मैने कीतनो को पाया
मोहब्बत को भी वंहा उस गली मैने रुसवा पाया
थोड़ा वकत गुजरा वंहा मेरा मैना मिला
पर फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

ना मिला मै उस मैखाने मै ना कबाड़ा खाने मै
ना जुल्फों की छाव मै ना बेवफा मोड़ा पै मै कंही ना था
ना उदासा बैठा उस छोर पर ना ही आँखों के कोर पर
ना बहती होये आसुँ मै ना किसी के उस चक्षु मै कंही ना था
पर फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

जंहा ढ़ोंडना था मुझे मैने वंहा ना मै ढ़ोंड पाया
आखिर थककर बैठा गया उस कोने के पास
जंह अकसर मै अकेले आपने से बातें करता था
तभी अवाजा आयी इस मन से उसने पूछा
क्या ढ़ोंड लिया क्तुने मुझको मुझसे फिर भी मै समझ ना सका
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

ढ़ोंडता रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा
ना मिला मै मुझे कंही भी ओ बेदर्दी
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

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वो साथ थी ?
 
 बात सुनावों उस बात की
 बातों मै छुपे अहसास की
 बात सुनावों ........................
 
 अनसुनी सी वो रात थी
 आधी अधुरी वो बात थी 
 बात सुनावों ........................
 
 गुमसुम सी वो नाराज थी
 चुपचाप अकेले वो आज  थी
 बात सुनावों ........................
 
 रोशनी ही बस अब पास थी
 अंधेरे मै सहमी आवाज थी
 बात सुनावों ........................
 
 चाँद सितारों की वो सहेली
 अनसुलझी सी है वो पहेली
 बात सुनावों ........................
 
 हर वकत ओ मेरे साथ  थी
 जन्मों की प्यासी वो प्यास थी 
 बात सुनावों ........................
 
 बिलकुल अकेली वो शांत थी
 सागर की लहरों मै परवाज थी
 बात सुनावों ........................
 
 थी मगर कंही वो आज
 पर वो मेरे बतों के साथ थी
 बात सुनावों ........................
 
 बात सुनावों उस बात की
 बातों मै छुपे अहसास की
 बात सुनावों ........................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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"माशाण"
 
 क्या छ तेर पाछाँण
 बल क्या छ  तेर रश्याण
 बस भुलों माशाण बल माशाण...........................
 
 बाबा केदार को घार
 माशाण बाटा को द्वारा 
 फिनका बाणी बल उडी उडी जओंला 
 बस भुलों माशाण बल माशाण..................
 
 प्रेत भुत पिशाच बल
 नरमुंडा काल कापला बल
 सबकी खोपड़ी को फूटी कापाट यख बल 
 बस भुलों माशाण बल माशाण..................
 
 सजी धजी सबुल आण बल
 फूलों को माल हर पैरांण बल
 दुनीयादारी यखी बिसराणा बल
 बस भुलों माशाण बल माशाण..................
 
 अपुरी रैगै जै जन की आशा
 ऊंको ही बस अब ऐ रहगे ठीखणा बल
 जल्दी रैन्दा चिता चिता  बल
 बस भुलों माशाण बल माशाण..................
 
 रै जाणदी बस यख राख बल
 कैका मण की प्यास बल
 कखक उड़ा जांदी शरीर का जुयाँकबल   
 बस भुलों माशाण बल माशाण..................
 
 क्या छ तेर पाछाँण
 बल क्या छ  तेर रश्याण
 बस भुलों माशाण बल माशाण...........................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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भैठीं ऊँला
 
 चाल गेल्या ..........२
 बीता दीणु मा....... बीता दीणु थै..... भैठीं ऊँला
 आपरा मुलका ....२
 गों-गौंठ्यार..... घारा भार  देखी  ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 वख बीती पडयुं बालपंन मेरु
 घिश्याँ ढुंहूँगुं का वा रेघा .......२
 गीची पैल बोयी बोयी  बोली मेर
 लैकी बाबा की खुच्ली का सारा
 चल गेल्या ऐ आंखी णी फिर देखी ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 वख दुर मेर जमी डाली होली
 अब वा भी बड़ी वहैगे होली
 छोटा भुला भुली तै डाली मा सीयाँ फाला मरणा व्हाला
 कोई टुका बैठी डाली कु भग्याण रिझाणा व्हालो
 चल गेल्या वो डाली मा फिर फाल मारी  ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 डंडा कंणडा उकालु उन्दारा
 सवेर ब्योखानी चडों ऐ धारा
 बुरंस प्योंली खीला देख कब अब
 खैजा लैया कैदु का सागा
 काफल किन्गोडा कदगा दीण बीती णा चखी
 चल गेल्या फिर चखी ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 चाल गेल्या ..........२
 बीता दीणु मा....... बीता दीणु थै..... भैठीं ऊँला
 आपरा मुलका ....२
 गों-गौंठ्यार..... घारा भार  देखी  ऊँला
 चाल गेल्या ..........२
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
वो साथ थी ?

बात सुनावों उस बात की
बातों मै छुपे अहसास की
बात सुनावों ........................

अनसुनी सी वो रात थी
आधी अधुरी वो बात थी
बात सुनावों ........................

गुमसुम सी वो नाराज थी
चुपचाप अकेले वो आज थी
बात सुनावों ........................

रोशनी ही बस अब पास थी
अंधेरे मै सहमी आवाज थी
बात सुनावों ........................

चाँद सितारों की वो सहेली
अनसुलझी सी है वो पहेली
बात सुनावों ........................

हर वकत ओ मेरे साथ थी
जन्मों की प्यासी वो प्यास थी
बात सुनावों ........................

बिलकुल अकेली वो शांत थी
सागर की लहरों मै परवाज थी
बात सुनावों ........................

थी मगर कंही वो आज
पर वो मेरे बतों के साथ थी
बात सुनावों ........................

बात सुनावों उस बात की
बातों मै छुपे अहसास की
बात सुनावों ........................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मै भैर देशवाला हों
 
 मी पाडी छुं की देशी या कोटद्वार देरदूँण वालों छुं
 यूँ  मा मी को भी नी मी भैरा देश वालों छुं
 सुटू बुट देख म्यारा इंग्लिश टोपी वालों छुं
 देशी नारंगी नी चैनी मीथै विल्याती पीण वालों छुं
 मी पाडी छुं की.........
 
 आता जाता हों मै कभी सैर मै
 तेरु गढ़ देश मा घुमंण वालों
 मै को तो परदेसी बोला रै सब
 मै लंडन जर्मन यूरोप रैनै वाला हों
 मी पाडी छुं की.........
 
 कभी पैदा होवा यंहां पर अब भैर देश वाला हों
 गड्वाली कभी बोलता था मै अब अंग्रेजी बोलने वाला हों
 एक बावरी है यंहा पर दूजी ब्वारी वंहा करने वालों
 पैसा नहीं था  यंहा वहां डोल्लर  यूरो पौंड वाला हों
 मी पाडी छुं की.........
 
 दों रोटी नहीं मिलती वंहा चिकन तंदूरी खाता हों
 कम करता बवार्व्ची वेटर सुरक्षा रक्षक वंहा पर
 पर यंहा मै मैनेजर पोस्ट पै कम करने वाला हों
 दों साल का वीजा है मेरा पर मै तेरा देश ना लौटनै वाला हों
 मी पाडी छुं की.........
 
 
 मी पाडी छुं की देशी या कोटद्वार देरदूँण वालों छुं
 यूँ  मा मी को भी नी मी भैरा देश वालों छुं
 सुटू बुट देख म्यारा इंग्लिश टोपी वालों छुं
 देशी नारंगी नी चैनी मीथै विल्याती पीण वालों छुं
 मी पाडी छुं की.........
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मन मेरे
ढ़ोंडता रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा
ना मिला मै मुझे कंही भी ओ बेदर्दी
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

ठेस लगी क़दमों को मगर मै चलता रहा
राहों मै बीछे के काँटों को मै चुनता रहा
कभी अकेले मै रोता रहा दर्द यों ही सहता रहा
उदासी छायी मगर मै घोसला बुनता रहा
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

कभी चौक मै कभी चौहरा मै खडा रहा
जीवन के ख्व्वाब को कानो से सुनता रहा
आवाज आयी कंही से मै उस और बढता रहा
दुर जाकर वो भी स्वप्न मेरा टूटता ही रहा
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

सुबह के उजाले मै ना ढ़ोंड पाया मै मुझ को
रात के कली अन्धीयारै मै ढ़ोंडनै निकल पड़ा
दुर चलकर मधुशाल आया वंही पर मैने कीतनो को पाया
मोहब्बत को भी वंहा उस गली मैने रुसवा पाया
थोड़ा वकत गुजरा वंहा मेरा मैना मिला
पर फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

ना मिला मै उस मैखाने मै ना कबाड़ा खाने मै
ना जुल्फों की छाव मै ना बेवफा मोड़ा पै मै कंही ना था
ना उदासा बैठा उस छोर पर ना ही आँखों के कोर पर
ना बहती होये आसुँ मै ना किसी के उस चक्षु मै कंही ना था
पर फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

जंहा ढ़ोंडना था मुझे मैने वंहा ना मै ढ़ोंड पाया
आखिर थककर बैठा गया उस कोने के पास
जंह अकसर मै अकेले आपने से बातें करता था
तभी अवाजा आयी इस मन से उसने पूछा
क्या ढ़ोंड लिया क्तुने मुझको मुझसे फिर भी मै समझ ना सका
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

ढ़ोंडता रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा
ना मिला मै मुझे कंही भी ओ बेदर्दी
फिर भी मै यंह वंहा ढ़ोंडता ही रहा
मै अपने आप को ढ़ोंडता रहा ..........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

 

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