Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447710 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ना बिसर

ना बिसर ना बिसर
ना बिसर प्रिये मी थै
ये उकाला उंदारूं का बाटा मा
तेडा मेडा सड्की का छोर मा
ना बिसर प्रिये मी थै .......................

मनखी का घोला मा सदनी
बैठी रहूँलुं च्खुल बणी मी
जीकोडी का पिंजारा मा तेर प्रिये
सदनी राखी माया का झोल मा
ना बिसर प्रिये मी थै .......................

खैरी विपदा सदनी ऐ गढ़ मा
खैरी विपद ना समझ मीथै गेल्याणी मेरी
पुअड जालो रुमक डंडा पुँरा
दुओडू आलो मी तेरा छोरा प्रिय मेरी
ना बिसर प्रिये मी थै .......................

ना रो ना रो प्रिये मेरी ना मीथै रुला अब
ऐ आंसूं थै ना धुला ऐ गेल्याणी मेरी
पुअड जालो मी यूँ अन्ख्युं का घेरा सी
बोग्युं जालों गड्नीयुं मा माछा सी
ना बिसर प्रिये मी थै .......................

ना बिसर ना बिसर
ना बिसर प्रिये मी थै
ये उकाला उंदारूं का बाटा मा
तेडा मेडा सड्की का छोर मा
ना बिसर प्रिये मी थै .......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

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गीत लगा दीदा

गीत लगा दे दीदा
दामु ढोल बजदै ..............२
रंगमत होंया सबका सब
दीद हम थै नचा दे
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा
एक दूजे हाथ पकड़ी की छोरा छोरी
कण फिरण ल्ग्यां पौडी बाजार दीदा आज .............२
कखक जाणु वहालु गढ़ देश .......... मेरु आज
दीदा उन थै समझा दे गडदेश रीत सीखादै
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ........... आहा
कण बिगड़ी गैनी आज कल का नुँना नुँनी
कखक गेली वहाली उंकी लाज शर्म दीदा आज ..........२
रामी बुहराणी जसी की कथा लगा दै दीदा
उंको लज्जा शर्म को मार्ग बथा दै
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा
गढ़ देश का जवाणा तुम मान छों ई गढ़ की
कीले ओर कखक छोडी जाण गढ़ देश दीदा आज ..........२
कामधणी को रास्ता खोला दै दीदा
रोजगारी जीमैदारी दिला दै
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा
देहरा दूँण राजधानी गड की स्थाई राजधानी भूलों
ऐ सीयीं सरकार थै जगा दै दीदा आज ..........२
गैरसैण अब राजधानी बना दै दीदा
क्रांतीकरीयुं का सपुनीयाँ पुरु करा दै
दामु ढोल बजदै ....२

आ आ आ आ ...........आ हा
रीटा रीटा आज सरू गडदेश आज जी
बावरी यूँ बोई की मनखी उदास जी दीदा आज ..........२
उन थै हसन दै मनखी माँ बुरंस खिला दै दीदा
दादा बाबा जी घार मुल्क बुला दै
दामु ढोल बजदै ....२

गीत लगा दे दीदा
दामु ढोल बजदै ..............२
रंगमत होंया सबका सब
दीद हम थै नचा दे
दामु ढोल बजदै ....२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मोक्ष कपाट जोंला
 म्यार पञ्च केदारा
 मयारू नमन सब थै राजी खुशी राख्यां
 
 जय केदार नाथ  जय बद्री नाथ
 जय बद्री नाथ जय केदार नाथ
 चला दिदियुं चला भुलोंह केदारधाम जोंला
 केदारधाम जैकी केदार बाबा थै भेंटी वोंला
 फुल चडोला बत्ती जलुंला
 बाबा पास कुछ मांगी ओंला 
 जय केदार नाथ  जय बद्री नाथ
 जय बद्री नाथ जय केदार नाथ..............
 
 चला दिदियुं चला भुलोंह बद्रीधाम जोंला
 बद्रीधाम जैकी विष्णु जी थै भेंटी वोंला
 माँ लक्ष्मी का पग पडी ओंला 
 धुप अगरबती धुर्पण करी ओंला 
 अपरी मन इच्छा बथैं ओंला 
 जय केदार नाथ  जय बद्री नाथ
 जय बद्री नाथ जय केदार नाथ......................
 
 वख बैठ्याँ छण आपरा नर नारयांण
 वख घंटुयुंच अपरू चोखाम्बा दवारा
 हीवाला चली गैनी ग्रीष्म महराजा ऐगैनी
 मोक्ष धाम को कपाट खोली ओंला 
 गडवाल रायफल  का बैंडा बाजा संगी
 मसुओं बजा धुन मा नची नची ओंला 
 रूद्र प्रयाग मार्ग बाटा बाटे जोंला
 माँ अलखनंद माँ भघीराथी डुबकी लगी जौंला
 जय केदार नाथ  जय बद्री नाथ
 जय बद्री नाथ जय केदार नाथ......................
 
 जय केदार नाथ  जय बद्री नाथ
 जय बद्री नाथ जय केदार नाथ
 चला दिदियुं चला भुलोंह केदारधाम जोंला
 केदारधाम जैकी केदार बाबा थै भेंटी वोंला
 फुल चडोला बत्ती जलुंला
 बाबा पास कुछ मांगी ओंला 
 जय केदार नाथ  जय बद्री नाथ
 जय बद्री नाथ जय केदार नाथ..............
 
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कखक गै बोयै ?
 
 अंख्युमा आँसुं ऐगै 
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै 
 खुद ऐगै बोई तेरी खुद ऐगै
 दणमण आँसुं रुलैगै
 तेर मुखडी याद ऐगै बोई तेर मुखडी याद ऐगै
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै ..............
 
 देख बहणा छण बोई
 ऐ तेरा ही गहणा छण   
 टिप टिप कैकी पुडण छण
 तैथै ही खुज्याण छण   
 तेर मुखडी याद ऐगै बोई तेर मुखडी याद ऐगै
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै ..............
 
 कखक लुकी बोई मेरी
 कखक गयाई छोडी मीथै
 टाप टपराण जीकोड़ी मेरी
 लप लपका पुट्गी मेरी ऐजा ऐजा तो दुआडी
 तेर मुखडी याद ऐगै बोई तेर मुखडी याद ऐगै
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै ..............
 
 आज मील खाणु बनाई
 लता कपड़ा मील धुलाई
 तैर याद ऐ ऐकी रुलैई
 आवाज दैणु बोयै तो कखक गै झट ऐ बोई   
 तेर मुखडी याद ऐगै बोई तेर मुखडी याद ऐगै
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै ..............
   
 अंख्युमा आँसुं ऐगै 
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै 
 खुद ऐगै बोई तेरी खुद ऐगै
 दणमण आँसुं रुलैगै
 तेर मुखडी याद ऐगै बोई तेर मुखडी याद ऐगै
 अंख्युमा ऐकी आँसुं छेगै ..............
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ मयारू उत्तराखंड देशा 
 
 म्यार ढुंगों देशा 
 म्यारा गारों का देशा
 म्यारा आपनो का देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा
 
 म्यार देबतों का देशा
 मायारा साधु संतों का देशा
 नर नारयांण देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 ऊँचा हिमालों का देशा
 काफल किन्गोड़ा हिशलों का देशा
 बंजों कंडों का देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 माँ भगवती को देशा
 गंगा बोयी को ऐ देशा
 केदार बद्री को ऐ  देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 घुघुती हिलंसा को देशा
 बरुंस फ्यूंली को ऐ देशा
 कडू झुंगुरो कंडली को देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 माया ही माया मिलाली ऐ देशा
 म्यारा गों मा बस्युं देशा
 तेडा मेडा सड़की उकालू उन्दरु का देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 सीधा सदा लोगों का देशा
 म्यार नारी शक्ती को गढ़ देशा
 म्यार खैरी विपदा को देशा
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 म्यारा प्यारु मायाल्दु देशा
 ती थे म्युरु नमन गढ़ देशा
 भाराता को एक अखंड देशा   
 हे म्यार उत्तराखंड देशा 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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!!कैमाणी !!
 
 कैमाणी बोली
 जीकोडी णी खोव्ली
 अपरी पीड़ा अपरी मा रहाई
 भुल्हों हमरी जिन्दगी
 बस याणी ग्याई बस याणी ग्याई
 कैमाणी बोली
 जीकोडी णी खोव्ली ......................
 
 यकुली मा हे विधाता
 ऐ दोई आंखी कीले रोणी
 आपरा जीकोडी मा लगायाँ थ्ग्ल्या
 बल जब मील खुद सीणी 
 या किले होली रोणी
 कैमाणी बोली
 जीकोडी णी खोव्ली ......................
 
 ह्यांदु आयी ह्यांदु भी गयाई
 बसंत भी आयी बसंत भी गयाई
 बस मयारू मोल्यारु सदनी को रहई
 हे पीड़ा खैरी ऐ दगडया मेरी
 तो कभी ना मेर साथ छोडी 
 कैमाणी बोली
 जीकोडी णी खोव्ली ......................
 
 कैमाणी बोली
 जीकोडी णी खोव्ली
 अपरी पीड़ा अपरी मा रहाई
 भुल्हों हमरी जिन्दगी
 बस याणी ग्याई बस याणी ग्याई
 कैमाणी बोली
 जीकोडी णी खोव्ली ......................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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बेटी ब्वारी मेर माया   
 
 माया माया माया रै
 माया लगी माया लगी माया लगी रै
 भुमी मा भुमी का भुम्याला सी माया लगी रै
 पहड़ों मा बाटों सी  माया लगी रै
 देख कंण खताणी म्यार गढ़ देश माया रै
 ऐजा ईजा म्यारा उत्तराखंड देश रै
 ले जा उपरी आपरा दगडी ऐ माया रै
 माया लगी रै माया लगी रै ...............
 
 कफालो कीन्गोड़ों हिशुओंला तिमालों सी माया
 बांसं कंडू अंजडॉ कंडली मा छुपी माया
 उकालुमा उन्दारू मा हिटनी यख माया
 देवदार चिनार डाला डाली मा बसी हर्यालो माया
 उंचा उंचा हिमाल शिखरों मा दबी देबतों की माया
 गदनीयुं रुलुंमा मा बुगाणी गढ़ देशा की माया 
 माया लगी रै माया लगी रै ...............
 
 म्यारा ईस्ट देबता पितृ देबता की माया
 म्यार देवों की धामों की माया संतों की छ्वों छ्या
 हरी द्वार के द्वार की माया मोक्ष मार्ग की माया
 अलखन्दा भाघीराथी गंगा की माया
 कणी उजली दींण रात की या विलक्षण माया
 तेडा मेडा सड़की मा बीछी च यख गढ़ माया
 माया लगी रै माया लगी रै ...............
 
 देख जख भी वख माया माया बचणी च आज
 एक दूजा का रिश्ता निभाणी च आज
 गढ़ देशा की संस्क्रती दिखणी च आज
 आपनो थाई घार वा बुलाणी च आज
 बाटा वोंका का देख हेराणी च आज
 म्यारा देशा की माया पहडा की बेटी ब्वारी मेर माया   
 माया लगी रै माया लगी रै ...............
 
 माया माया माया रै
 माया लगी माया लगी माया लगी रै
 भुमी मा भुमी का भुम्याला सी माया लगी रै
 पहड़ों मा बाटों सी  माया लगी रै
 देख कंण खताणी म्यार गढ़ देश माया रै
 ऐजा ईजा म्यारा उत्तराखंड देश रै
 ले जा उपरी आपरा दगडी ऐ माया रै
 माया लगी रै माया लगी रै ...............
 
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आज मै ?

आज कुछ हो राहा है
विशवास अपना खो राहा हों
जगाये ना मुझे अब कोई भी
बस अब मै सो राहा हों .................

तकीया को सर के नीचे लिये
आक्रोश को आज मै आपने दबा राहा हों
समाज के ज्वालिंत विचारों को आजा मै
पानी के गिलास मै शांत कर राहा हों
बस अब मै सो राहा हों ...................

दिखता नहीं कुछ भी मुझे अब यंहां
मै ने आपनी आंखों की सोच बंद करली है
आजाद था कभी मै खुली हवाओं मै
उनको अब अपने सांसों मै ढोराहा हों
बस अब मै सो राहा हों ...................

शोर था कभी अगल बगल मै मेरे
अब बईमान अंधेरा के ही साथ हों
उजाले से बाते करता था कभी मै
इस छलावे के पलंग पर लेटा आज हों
बस अब मै सो राहा हों ...................

देख मै कितना बदल गया हों
अपने आप से अब मै इस तरहं ही छुप राहां हों
कभी शीश उठा रहता मेरे कंधें पर
आज क्या होआ क्यों झुख होआ है ?
क्या आप को पाता है मुझे बता ऐ
बस अब मै सो राहा हों ...................

आज कुछ हो राहा है
विशवास अपना खो राहा हों
जगाये ना मुझे अब कोई भी
बस अब मै सो राहा हों .................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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मी बोली तुम थै

मी बोली तुम थै बल
तुम्लं णी जाणी पीड़ा मेरी
क्या करण अब थै बल
हो ग्या मी भंड़या खैरी
जींदगी का दुआड मा बल
कदगा पीछणे रैग्युं भुली
मील बोली तुम थै बल ......................

ऐ मेरु भग्या च बल
इणी कटणी जीमैदारी मेरी
आज भूक्युं सीयुं रात भर बल
भुओल क्या व्हालो मेरु
एक लादुडी मैर णी भुली
पञ्च पुट्गी ओर छी बल
मील बोली तुम थै बल ......................

पञ्च भीघा को पुंगडॉ मयारू
बंजा पौअडीक फुंड छी बल
एक लैंदु गुँअडो मेरु बल
दोई बछड़ो वींक भूखी बल
दिन भर ध्याड़ी कैकी भी
सौ नोट मीली तबै फुर च बल
मील बोली तुम थै बल ......................

ऐ व्यथा मैर णी यकुली की
आज का गों हर घर घर च बल
कब बदललु ऐ भग्या हमरु
गढ़ का देबता बस तेरु सरू बल
कैक अगणी हाथ फैलाणी
कोई णी अब अपरू यख
कोई णी अब अपरू यख
मील बोली तुम थै बल ......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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स्प्नीयुं मा!!

आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा
मी थै मी सै दुर लैगै वा
झंण क्या छुंयीं लगै वा
मी वीं था देखदा रैगै वा
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

कंण बिगरैली आंखी वा
मैर ईं आंखी की दियु बत्ती वा
इन आंखयुं से नींदी ले जांदी वा
रात भर मी थै जग्वांदी वा
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

देखा कनुडी की बाली वा
गाला माँ सेबा की लाली वा
घुगाराली लाटुली की डाली वा
बड़ी शर्यमाली गेल्याणी वा
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

गोल गोल बिंदी लगांण वा
कांच की लाला चूडी बजाण वा
पैरो पैजण छम छम छमणाद वा
मी थै माया लोक ले जांद वा
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

रात दोपहरी स्प्नीयुं आंदी वा
निर्दयी आंखी खुल्दी फुर वहै जांद वा
ऐ तन मंण बौल्य्या बाणदी वा
मी थै याकला छुडी की केले जांद वा
आज रती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

आज रती स्प्नीयुं मा ऐ वा
मी थै मी सै दुर लैगै वा
झंण क्या छुंयीं लगै वा
मी वीं था देखदा रैगै वा
आज राती स्प्नीयुं मा ऐ वा ............

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