Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448056 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देख डंडाली मा
 
 देख डंडाली मा...२
 आणु वहालो
 मया परती मा
 देख डंडाली मा...२
 
 जुनाली छेलूमा
 अपरी गैल्युमा
 छुंयीं लगाणु वहालू
 देख डंडाली मा...२
 
 बैठ्याँ छिन
 दोइका का दोई
 अपरी मनखी मा
 देख डंडाली मा...२
 
 माया खतेणी
 वख डंडाली मा
 तो कखक गै होलो
 छुडी ऐ डंडाली थै....२
 
 देख डंडाली मा...२
 आणु वहालो
 मया परती मा
 देख डंडाली मा...२
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तुम साथ दो

आवाज दों तुम साथ दो
बोलाओं तुम पास हो
दुर से आयी हो दुर जाना है
पास बैठू जरा एक बहना है
आवाज दों तुम साथ दो
बोलाओं तुम पास वो .......................

अश्कों की दरिया है पार जाना है
सुस्का वो किनारा है
साहील लहरों पर
बस तेरा सहारा है
आवाज दों तुम साथ दो
बोलाओं तुम पास हो .......................

परछाई हो मेरी
गम का फ़साना है
एक दूजे के लिये हैं
जुदा जुदा हो जाना है
पतझड़ का साथ हमारा
आवाज दों तुम साथ दो
बोलाओं तुम पास हो .......................

आवाज दों तुम साथ दो
बोलाओं तुम पास हो
दुर से आयी हो दुर जाना है
पास बैठू जरा एक बहना है
आवाज दों तुम साथ दो
बोलाओं तुम पास वो .......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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"जीवन नदी"

एक नदी जो बहती
दिल मै वो रहती है
समंदर मै समाने
आँखों से निकलती है
एक नदी जो बहती ................

आसपास बहती है
सुख दुःख वो सहती है
बहते बहते वो कहती है
सीस्कीयाँ बस वो लेती है
एक नदी जो बहती ................

ऊपर निचले ढलानों से
जब वो यूँ गुजराती है
एक नयी आस को पाले
समंदर पर जा मिलती है
एक नदी जो बहती ................

जींदगी कल कल करती है
पल पल वो बढती जाती है
कई मोड़ आने के बाद भी क्या वो ?
उस समंदर मै वो मील जाती है
एक नदी जो बहती ................

एक नदी जो बहती
दिल मै वो रहती है
समंदर मै समाने
आँखों से निकलती है
एक नदी जो बहती ................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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याद आणु पहडा

घाम गुम होग्ये सरीर
तिसलू होग्ये ये परण
अबकी बार दिल्ली मा
याद ऐगै ऐ मेरु गाम पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी...........

चिखलाणु ऐ घाम
कंण निकली उम्ली उमला
सरीर बंणगै घमुली को गढ़
तिस बौडी लैगै मेरु पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी .................

कंण जीकोड़ी सुखीगै
कंण टपराणु आकाश
कंण लगीगै झोला ऐ बरस
गरमा को याद आणु पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी .................

थंडू मीठू पाणी ऐ पहडा को
कंण बुझदी प्यास पराणा को
लगी कुदाली गाला मा भुल्हा
खुदा ऐगै दुआड़ी की दिल्ली मा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी .................

घाम गुम होग्ये सरीर
तिसलू होग्ये ये परण
अबकी बार दिल्ली मा
याद ऐगै ऐ मेरु गाम पहडा
गर्मी ऐ बरसा की गर्मी...........

बालकृष्ण डी ध्यानी
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"पिया बीन"

रात का दिल धडकेगा
चक्षु मै ऐ दर्द उभरेगा !!

चंद्रमा माथे पर उभरेगा
सिंदुर माँग पर दमकेगा !!

गेंसुं पर गजरा महकेगा
लटों पर वो ऐसे सुल्झैगा !!

मन भीतर दिया जलेगा
अँधेर अब यूँ ही अब छलेगा !!

आसूँ टिप टिप करते होंगे
नथनी संग वो खंनके होंगे !!

ओंठों को स्पर्श कीया होगा
प्रेम नै तब रस पीया होगा !!

छलक छलक रात गुजरी
पिया बीन वो रात गुजरी !!

रात का दिल धडकेगा
चक्षु मै ऐ दर्द उभरेगा !!

बालकृष्ण डी ध्यानी
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वो आगोश

आगोश मै वो आती है
दिल को चैन सकूँन मिल जाता है
दर्द ना जाने कंहा छुप जाता है
दिल मंद मंद मुस्कुराता है
जब आगोश मै वो आती है ...................

छोटी बातों पर रूठ जाती
इस दिल को वो तडपती है
कीसी बहाने पास आती है
दिल फिर झुम जाता है
जब आगोश मै वो आती है ...................

साथ जब वो रहती है वो
वकत ना जाने कैसे कट जाता है
अकेले मै वो लम्हा याद आ जाता है
इस दिल को रुलाता है
जब आगोश मै वो आती है ...................

वो मेरी संगनी सात परदों की
हर दर्पण मै वो खिल जाती है
आपना वादा निभाने वो देखो
हर जीवन मै वो मील जाती है
जब आगोश मै वो आती है ...................

आगोश मै वो आती है
दिल को चैन सकूँन मिल जाता है
दर्द ना जाने कंहा छुप जाता है
दिल मंद मंद मुस्कुराता है
जब आगोश मै वो आती है ...................

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सरू गढ़ मा

देखा कंण टुंडा बाणुचा
युओ बुढया बस फुंड बाणुचा
थैली दारू की लुकै लुकै की
कण कूल्हण बैठयूँ चा
देख शराबा की धेल फैल
ठेकदारों की यख चहेल पैल...............

सरकार लाणी बल यख रेल
छुट ग्याई जवानों कब की रेल
भागी भागी ना निकली यूँकी तेल
पांच बरसा को च ऐ छुटी मेल
देख नेतओं की धेल फैल
नेतओं की यख चहेल पैल...............

दीदी भुलीयुं का आरसा
खाणाकुंण ऐ गढ़ तरसा
जीकोड़ी रैगै यख तंसु
अँखोंयों रैगै बल आँसुं
बेटी बव्वारी विपदा खैरी
अपरूल यख कभी णी जाणी ................

देखा कंण टुंडा बाणुचा
युओ बुढया बस फुंड बाणुचा
थैली दारू की लुकै लुकै की
कण कूल्हण बैठयूँ चा
देख शराबा की धेल फैल
ठेकदारों की यख चहेल पैल...............

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सरू गढ़ मा

देखा कंण टुंडा बाणुचा
युओ बुढया बस फुंड बाणुचा
थैली दारू की लुकै लुकै की
कण कूल्हण बैठयूँ चा
देख शराबा की धेल फैल
ठेकदारों की यख चहेल पैल...............

सरकार लाणी बल यख रेल
छुट ग्याई जवानों कब की रेल
भागी भागी ना निकली यूँकी तेल
पांच बरसा को च ऐ छुटी मेल
देख नेतओं की धेल फैल
नेतओं की यख चहेल पैल...............

दीदी भुलीयुं का आरसा
खाणाकुंण ऐ गढ़ तरसा
जीकोड़ी रैगै यख तंसु
अँखोंयों रैगै बल आँसुं
बेटी बव्वारी विपदा खैरी
अपरूल यख कभी णी जाणी ................

देखा कंण टुंडा बाणुचा
युओ बुढया बस फुंड बाणुचा
थैली दारू की लुकै लुकै की
कण कूल्हण बैठयूँ चा
देख शराबा की धेल फैल
ठेकदारों की यख चहेल पैल...............

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"मूल्य  दर्पण"
 
 बस एक आस थी
 बड़ा बनने की प्यास थी
 बस वो एक चाह थी
 वो ही बस पास थी
 बस एक आस थी .................
 
 उदासी ही उदासी
 पल अब वो साथ थी
 एक चाह आस के पहले
 वो अब भी साथ थी
 बस एक आस थी .................
 
 भुत ओर भविष्य
 वर्तमान को झंझोर रहा था
 भुत नाकामी टटोल रहा था
 भविष्य  बस खोज रहा था
 बस एक आस थी .................
 
 मूल्य का दर्पण
 बस खोया खोया यंहा
 आत्मा आस चाह के मध्य
 मै अब भी सोया यंहा
 बस एक आस थी .................
 
 बस एक आस थी
 बड़ा बनने की प्यास थी
 बस वो एक चाह थी
 वो ही बस पास थी
 बस एक आस थी .................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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माया नगरी मा

पहडी भुल्हा आयु
ऐ माया नगरी मा
ऐ मुंबई नगरी मा
टाका की चकरी मा
पहडी भुल्हा आयु ....................

मुंबादेवी मा मुंबापुरी
भगवती व्हैजा दैणी
भुल्हा आयु गढ़देश छुडी
भराणा कुंण टाका की गड्डी
पहडी भुल्हा आयु ....................

माया थै माया खिंचेणी
मया बिसरी माया लुभैणी
वडा पावा दगडी ऐरे भुल्हा
मायापुरी मा दीण कटेणी
पहडी भुल्हा आयु ....................

खैरी का दींण पहडामा
विपदा ऐ फुटपाथा मा
स्वर्ग छुडी की उकाला को
कंण ऐग्युं मी उंदारों मा
पहडी भुल्हा आयु ....................

पहडी भुल्हा आयु
ऐ माया नगरी मा
ऐ मुंबई नगरी मा
टाका की चकरी मा
पहडी भुल्हा आयु ....................

बालकृष्ण डी ध्यानी
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