Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448415 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालकृष्ण डी ध्यानीSeptember 4दादा भूली गै तू ...
 
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 अपरा अपरा मा सब बिसरी ..२
 माया ल माया ...२ ....गढ़ माया थे बिसराई ....२
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 देखा वो चलदा बाटा..२ ... थक्द णी रुकदा वो बाटा..२
 कदगा गयाँ ऐ बाटा..२ ... परती की कीले णी वो बाटा
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 यादा णी आंदी तीथे क्या...२ .. वख मेरी तीथे मेरी याद ..२
 बालपन जवानी दिन चार ..२ ... भुलीगे क्या मेरु अनवार
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 चुपचाप होयो मी आज ..२ खाली खाली ऐ गढवाला..२ 
 सैर सपाटा को आज ...२ ... बस इत्गा ही रेगे तेरु साथ
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत — with Anoop Nautiyal and 48 others. Photo: दादा भूली गै तू ... मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२ दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२ अपरा अपरा मा सब बिसरी ..२ माया ल माया ...२ ....गढ़ माया थे बिसराई ....२ मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२ दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२ देखा वो चलदा बाटा..२ ... थक्द णी रुकदा वो बाटा..२ कदगा गयाँ ऐ बाटा..२ ... परती की कीले णी वो बाटा मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२ दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२ यादा णी आंदी तीथे क्या...२ .. वख मेरी तीथे मेरी याद ..२ बालपन जवानी दिन चार ..२ ... भुलीगे क्या मेरु अनवार मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२ दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२ चुपचाप होयो मी आज ..२ खाली खाली ऐ गढवाला..२ सैर सपाटा को आज ...२ ... बस इत्गा ही रेगे तेरु साथ मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२ दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२ मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२ दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२ बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत height=4033Like ·  · Share

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालकृष्ण डी ध्यानी दादा भूली गै तू ...
 
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 अपरा अपरा मा सब बिसरी ..२
 माया ल माया ...२ ....गढ़ माया थे बिसराई ....२
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 देखा वो चलदा बाटा..२ ... थक्द णी रुकदा वो बाटा..२
 कदगा गयाँ ऐ बाटा..२ ... परती की कीले णी वो बाटा
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 यादा णी आंदी तीथे क्या...२ .. वख मेरी तीथे मेरी याद ..२
 बालपन जवानी दिन चार ..२ ... भुलीगे क्या मेरु अनवार
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 चुपचाप होयो मी आज ..२ खाली खाली ऐ गढवाला..२ 
 सैर सपाटा को आज ...२ ... बस इत्गा ही रेगे तेरु साथ
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 मी सीयुं की सीयुं ही राहई ...२
 दुनिया क्ख्क भातेक...२ ...क्ख्क पहुँच ग्याई ..२
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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बालकृष्ण डी ध्यानीSeptember 2ब्याल मील
 
 ब्याल मील बोल तिथै
 अबरी अबरी समझै तिथै
 फिर भी कंद माँ झोला टंगे रे दीदा
 तेरी खुटडी क्ख्क को हीटे
 कोई फयादु णी व्हाई ...२
 तू झंण का झंण ही रहई
 सारी विद्या सुधी चली ग्याई.........
 
 गैल तू पुग्डीयूँ मा घाम
 कैर सुख्या सरीयुं थै हैर भैर 
 तेर कनुडी रेरे दीदा सुणी बस भैर भैर
 किले च गढ़ देश इत्गा तेकू किले  रे गैर
 सीखी पडी की तिल रे दीदा
 कैदै ओंकी जण तिल सीखैसैरी
 अब छुंईं  मानले मेरी
 आब भी ना व्हाई देर     
 तू झंण का झंण ही रहई
 सारी विद्या सुधी चली ग्याई............
 
 क ख ग कु स्कूला
 तू किले सब बिसरा गैना
 रेसास की वा गुडारोटी
 मी थै अब भी याद तू किले भूली
 आम अमरुद अखरोट
 छाकेकी खै हमुल तै रोला
 डंडा कंडा तै डालीयों का झोल
 घुघूती हिलंसा चखुला पखला
 अब भी बोलाणा छन तै थे दगडया   
 तू झंण का झंण ही रहई
 सारी विद्या सुधी चली ग्याई............
 
 गढ़ देश गढ़वालू
 अब भी तिथै ध्यै लगाणु
 दोई दोई ऐ चार आंखी
 तेरु बाटा दिन राता जग्वाल
 ऐकी पुछे जा त्यूं मनखी कु हाल
 रे खैर खबर णी चल्दु संसार
 अपरा माटू त आपरूच
 तिल भी लाटूणु अखीर यख
 ऐजा ईजा कु निकले स्वास
 तू झंण का झंण ही रहई
 सारी विद्या सुधी चली ग्याई............
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

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बालकृष्ण डी ध्यानीSeptember 1मै प्यासा
 
 शुष्क है जीवन जीवन
 नीरस अब मधुबन
 रूखा रूखा साथ तुम्हरा
 प्यासा दिल प्यासा चितवन
 शुष्क है जीवन जीवन .......
 
 सूखा जलशून्य धरा
 स्नेहा पुष्प प्ल्वीत कंहा
 खंगर भरा अंगार बड़ा
 शीतल तन श्रृंगार खड़ा
 शुष्क है जीवन जीवन .......
 
 रिक्त मटकी व्याकुल
 शुष्क, सूखा, नीरस मन
 वर्षा विहीन नैना दर्शित
 चकोर दशा प्यासा गर्शीत
 शुष्क है जीवन जीवन .......
 
 शुष्क है जीवन जीवन
 नीरस अब मधुबन
 रूखा रूखा साथ तुम्हरा
 प्यासा दिल प्यासा चितवन
 शुष्क है जीवन जीवन .......
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत — with Anoop Nautiyal and 47 others. Photo: मै प्यासा शुष्क है जीवन जीवन नीरस अब मधुबन रूखा रूखा साथ तुम्हरा प्यासा दिल प्यासा चितवन शुष्क है जीवन जीवन ....... सूखा जलशून्य धरा स्नेहा पुष्प प्ल्वीत कंहा खंगर भरा अंगार बड़ा शीतल तन श्रृंगार खड़ा शुष्क है जीवन जीवन ....... रिक्त मटकी व्याकुल शुष्क, सूखा, नीरस मन वर्षा विहीन नैना दर्शित चकोर दशा प्यासा गर्शीत शुष्क है जीवन जीवन ....... शुष्क है जीवन जीवन नीरस अब मधुबन रूखा रूखा साथ तुम्हरा प्यासा दिल प्यासा चितवन शुष्क है जीवन जीवन ....... बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत height=4031Like ·  · Share

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बालकृष्ण डी ध्यानीThursdayमन मयारू
 
 मनो छुंयी मेरी ..२
 म्यार स्वामी से लगे दे
 बोल उनथै ..मनोउथे ..२
 ऐ ...ऐतवार मीथै
 देहरदूण बाजार घुमै दे   
 बथों छुंयी मेरी
 स्वामी से लगे दे ......
 
 देहरदूण रोनक लगी
 वख बड़ा बड़ा मॉल खोल्यां
 वो मॉल मीथै फिरे... स्वामी
 एक गढ़वाली फिल्म दिखेदे
 पोपकोन पिजा स्वादु चखैदे 
 ऐ ...ऐतवार मीथै
 देहरदूण बाजार घुमै दे   
 मनो छुंयी मेरी
 म्यार स्वामी से लगे दे ......
 
 बिंदी नथुली धुतली फरका
 कुछ भी नीचे स्वामी मेरु पास
 फटयां फटयां थ्गोली सी सीलींच
 पैन पैन की ऐ जेकोडी ऊभीचा
 एक जामा की सड़ी खरीदा स्वामी
 ऐ ...ऐतवार मीथै
 देहरदूण बाजार घुमै दे   
 मनो छुंयी मेरी
 म्यार स्वामी से लगे दे ......
 
 मन लोभ मन दडगयाई
 गीची निर्दई चुपी ही रहई
 तेरा समण जब जब आई स्वमी
 तुम्हर मायाल कुछ बोलण णी दयाई 
 ऐ ऐतवार भी सुधी ही गयाई
 ऐ ...ऐतवार मीथै
 देहरदूण बाजार घुमै दे   
 मनो छुंयी मेरी
 म्यार स्वामी से लगे दे ......
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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— with Anoop Nautiyal and 47 others. Photo: मन मयारू मनो छुंयी मेरी ..२ म्यार स्वामी से लगे दे बोल उनथै ..मनोउथे ..२ ऐ ...ऐतवार मीथै देहरदूण बाजार घुमै दे बथों छुंयी मेरी स्वामी से लगे दे ...... देहरदूण रोनक लगी वख बड़ा बड़ा मॉल खोल्यां वो मॉल मीथै फिरे... स्वामी एक गढ़वाली फिल्म दिखेदे पोपकोन पिजा स्वादु चखैदे ऐ ...ऐतवार मीथै देहरदूण बाजार घुमै दे मनो छुंयी मेरी म्यार स्वामी से लगे दे ...... बिंदी नथुली धुतली फरका कुछ भी नीचे स्वामी मेरु पास फटयां फटयां थ्गोली सी सीलींच पैन पैन की ऐ जेकोडी ऊभीचा एक जामा की सड़ी खरीदा स्वामी ऐ ...ऐतवार मीथै देहरदूण बाजार घुमै दे मनो छुंयी मेरी म्यार स्वामी से लगे दे ...... मन लोभ मन दडगयाई गीची निर्दई चुपी ही रहई तेरा समण जब जब आई स्वमी तुम्हर मायाल कुछ बोलण णी दयाई ऐ ऐतवार भी सुधी ही गयाई ऐ ...ऐतवार मीथै देहरदूण बाजार घुमै दे मनो छुंयी मेरी म्यार स्वामी से लगे दे ...... बालकृष्ण डी ध्यानी देवभूमि बद्री-केदारनाथ मेरा ब्लोग्स http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत height=4031Like ·  · Share

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गीत मी लगाणु
 
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु
 छे कोयेडी ऐ डंडा
 ऐ उंचा उंचा पहाडा
 वख घास को गै घसेरी बांदा
 लगांण दी खुदेड़ मन 
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 
 रुंतैला मुलका मेरु
 छबीलो वो गढ़वालो हो हो हो.....
 और भी ऐ निखारो
 रंगीलो वो कुमावो हो हो हो.....
 मेरा स्वाणु  उत्तरखंड 
 देवों की भूमी को गडो
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 
 चौमासा ऐनी गैनी
 हर मास यख प्यारु  हो हो हो.....
 बाराह  मैंण की बाराह छुयीं
 मयारू देश अब लगाणु 
 तुम भी एका सुणा जर
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 
 खैरी विपदा क्ख्क णी हुंदी
 लडै-टनट क्ख्क णी हुंदी..हो हो हो.....
 गढ़ देश माय्ल्दु मयारू
 सीदा साद म्यार लोक
 मील जुली की रवोला यख
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु
 छे कोयेडी ऐ डंडा
 ऐ उंचा उंचा पहाडा
 वख घास को गै घसेरी बांदा
 लगांण दी खुदेड़ मन 
 हो हो हो.....
 गीत मी लगाणु हो हो हो.....
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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बालकृष्ण डी ध्यानीSeptember 10क्ख्क गै वो बात     
 
 एक जमणा की छे बात
 वो जमणा क्ख्क लुक्गे आज
 पैल भी आणी होली ऐ प्रभात
 पर आजा की प्रभात मा क्ख्क गै वो बात     
 एक जमणा की छे बात......
 
 अपरा बुल्दा छान सबुको 
 पराया भी तब अपरा लगदा छन
 भै बन्दों जणी प्रेम छे तबैर
 वों प्रेम क्ख्क उडीगै गढ़मा अबैर
 एक जमणा की छे बात......
 
 बाल तियोहार मा क्या रंगत छे
 खाँण मा बैठ्याँ लोकों की पंगत छे
 मिल जुली की सबकी संगत छे
 अब किले यकला दिख्याँ वो कूड़ा 
 एक जमणा की छे बात......
 
 माटा का कूड़ा ,खैले च्व्लों को चुडा
 भाट्टा कांण ल्ग्य तै जमाण का पुंगडा
 बंजा बाणेकी अब किले गै तू फुंडा 
 कनुडी रिती रैगे क्ख्क गै वो फुंदा
 एक जमणा की छे बात......
 
 गढ़देश रै मेरु गढ़वाल
 उत्तखंड बाणी की क्या व्है तेरु हाल 
 आपरा अपरमा सब यख हर्ची
 रुप्या खर्ची देहरादूँण थै मील बडती   
 एक जमणा की छे बात......
 
 एक जमणा की छे बात
 वो जमणा क्ख्क लुक्गे आज
 पैल भी आणी होली ऐ प्रभात
 पर आजा की प्रभात मा क्ख्क गै वो बात     
 एक जमणा की छे बात......
 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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अखीर में भी....

दर्द है की बढता गया अखीर कम क्यों होता नहीं ....२
आज़र्दाह था दिल मेरा ...इसलिये अश्क भिगोता रहा
दर्द है की कम होता नहीं ....२

ख़ज़ां पर खड़ा आशियाना मेरा ...२
उस पर क्यों ना आयी ...कभी बहार कोई
मै भी तो ख़ाक होआ था कभी
मुझ पर क्यों गुल खिला नहीं

दर्द है की बढता गया अखीर कम क्यों होता नहीं ....२
आज़र्दाह था दिल मेरा ...इसलिये अश्क भिगोता रहा
दर्द है की कम होता नहीं ....२

आजिज़ था इस तरह अपने आप से...२
आँच ,आंचल को ना पहचान सखा
कोशिश की यूँ ही..... अपने आप मे
रुकसत होने बाद भी रहा आवाज़ह मेरा

दर्द है की बढता गया अखीर कम क्यों होता नहीं ....२
आज़र्दाह था दिल मेरा ...इसलिये अश्क भिगोता रहा
दर्द है की कम होता नहीं ....२

खिली है आसमानी धुप यंहा ..२
आसिम सा क्यों महसूस हो रहा यंहा
आक़िबतबी था मेरा वंहा दो जंहा
आगो़श में तेरे ही मै होआ फना

दर्द है की बढता गया अखीर कम क्यों होता नहीं ....२
आज़र्दाह था दिल मेरा ...इसलिये अश्क भिगोता रहा
दर्द है की कम होता नहीं ....२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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दूर छों मी
 
 बोई : हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 सवेर ब्याखुंण रात रातामा बस बेटा तेरी सूद
 तेर पिछणे पिछणे चली चली ऐ तेरी तेरी खुद
 हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 
 बेटा : पुअडी बरखा यख फिर याद आणी तेरी 
 ज्युन्यली रातमा मीथे ध्यै लगाणु तेरु
 आंखी निंदी ऐगे मीठी मीठी तेरी छुंयीं
 जाणु निंदी मा बोई तेरा सप्नीयु मा मी
 हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 
 बोई : मेरा बेटा ऐ मेरा लाटा गढ़देश थे ना भूली जैई
 अपरू माटू आपरू छे रै मौको मीलू त परती ऐई 
 माया माया कैकी मेरु लदगु गढ़ माया थे ना भूली जैई
 बाबा बोयी भूलीगे बेटा तू अपरी कुटम्बदरी ना भूली जैई 
 हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 
 बेटा : आब भी आणी छे माँ तेरी याद अपरू वो गढ़वाल
 बाबा भूली बच्चा गों गोठ्यार अब मेरा वो साथ
 कंण कै की बिसरी जो मी बोई कापला मा फिरदा वो  हाथ
 मन मारीकी बैठ्युं छों मी  म्यारा बेटों का ना हो हाल   
 हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 
 बोई : हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 सवेर ब्याखुंण रात रातामा बस बेटा तेरी सूद
 तेर पिछणे पिछणे चली चली ऐ तेरी तेरी खुद
 हेरी हेरी की थकी की गैणी
 चलद चलद दूर  .... दूर बाटा लुकी गैणी  ..२
 
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सुवा भेद खोली जा
 
 पैली त पैली मील बोलीचा .....२
 भेद मनखी कु ...भेद जीकोडी कु अब खोली जा
 ऐ सुवा बोली जा .....
 
 तैम रूप रंगा की झोल  ...भोरों मारण छंन घोल
 ऐ जवाणी कु ...उम्ली उल्यार अब दौडी आ
 भेद मनखी कु ...भेद जीकोडी कु अब खोली जा
 ऐ सुवा बोली जा .....
 
 त्यार बिण मयारू मण ..कीले तू रै खुदैणु छण 
 तेरी यख माया बसी ...ई म्यलादी मुखेडी देखेदी जा
 भेद मनखी कु ...भेद जीकोडी कु अब खोली जा
 ऐ सुवा बोली जा .....
 
 कै बाटा कै घरु अब मी जाणु छों ..जै के भी जै छुची
 त्यारा घारा आणु छों  ...बाटो बिसरी मीथै मेरु बाटो बाथैदी जा     
 भेद मनखी कु ...भेद जीकोडी कु अब खोली जा
 ऐ सुवा बोली जा .....
 
 हल यख बेहाल व्हागे... रूडी बस्ग्याल व्हागे
 कंण कै कटण दिन कंण कै कटण  रात ...ब्योला बाणीकी मी अब आणु चा
 भेद मनखी कु ...भेद जीकोडी कु अब खोली जा
 ऐ सुवा बोली जा .....
 
 पैली त पैली मील बोलीचा .....२
 भेद मनखी कु ...भेद जीकोडी कु अब खोली जा
 ऐ सुवा बोली जा .....
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

 

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