बालकृष्ण डी ध्यानी12 hours agoअब क्या करूँ
अफ़सोस होता है एका एक
जो कहता है आज रात १२०० बजे बाद
पांच रुपये डीजल के भाव बढा दिये जायेंगे
हमारे किसे से ओर रुपये निकल दिये जायेंगे
संताप होता है जेब जब
आंखें विषाद होती है
महीने का सारा विचार जब ढहा जता है
अफ़सोस होता है एका एक ...............
गंभीरता की छटा हटने लगती है
क्लेश का बुख़ार सर चढ़ कर बोलता है
पीड़ा होती है जब कोई इस तरह बोझ देता है
उदासी और रंज की इस समय में
अपने आप से खेद बुहत होता है
व्यथा की गाथा का पन्ना रोज खोलता है
अफ़सोस होता है एका एक...................
झक्की जिंदगी तब लगने लगती है
अपना ही आप से जब लड़ने लगता है
परेशान फिरता नजारा जब घूमता है
खाली किसे तब नजर आने लगते हैं
विशवास अपना वो खो देता है
अपने आप वो अब कहने लगता है
हर और रिक्त रिक्त लगने लगता है
अफ़सोस होता है एका एक...................
अफ़सोस होता है एका एक
जो कहता है आज रात १२०० बजे बाद
पांच रुपये डीजल के भाव बढा दिये जायेंगे
हमारे किसे से ओर रुपये निकल दिये जायेंगे
संताप होता है जेब जब
आंखें विषाद होती है
महीने का सारा विचार जब ढहा जता है
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत — with
Shweta Dhyani and
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