Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 448612 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
12 hours ago
झूठ की बिसात

अभिसंधि का मौसम है
असत्य की बरस रही बरसात
पग पग मिथ्या बिछी यंहा
चालबाज़ी अब सरेआम है
आज की राजनीती का चलन .....

ढकोसला का पुल बंधा
कूट पत्तों का महल खड़ा
मनोविनोद धूर्तता की जागीर
कपट राजा रंगीन बड़ा
आज की राजनीती का चलन .....

एक एक है छल यंहा
वंचना का मुंह जब तक चला
फरेब का यूँ जाल बिछा
ईजाद आम जनता हुआ
आज की राजनीती का चलन .....

अतिशयोक्ति के चले बाण
गपोड़ा ही हुआ बलिदान
पालकी सजी गबन की
झूठ कहानी सुनाने बेकरार
आज की राजनीती का चलन .....

धन का अपहरण कर पाखंड
दुरंगेपन का ऐ कपटाचरण
मिथ्याभाषण का बना मीत
झूठ का ही वो छेड़े संगीत
आज की राजनीती का चलन .....

अभिसंधि का मौसम है
असत्य की बरस रही बरसात
पग पग मिथ्या बिछी यंहा
चालबाज़ी अब सरेआम है
आज की राजनीती का चलन .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
September 23
आम था मै

आम था इसलिये मै जलता ही रहा
कभी कोयले में कभी डीजल में ओर कभी पेट्रोल मे
बड़ते दाम की अग्नी लगती ही रही
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

गरीबी रेखा से उठकर
अमीरी की रेखा से दबकर
महंगाई से मै लड़ता ही रहा
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

कल के फ़िक्र मे आज को भूल चुका
जिंदगी दब दबकर मै जी चुका
कल क्या हुआ आज भूल चुका
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

दाल छोड़ा कभी रोटी छोडी
गैस चुल्हा ने कभी दिया धोखा
सैर सपाटे से मैने मुंह मोड़ा
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

टैक्स ने मार कभी लोंन ने मार
कभी सब्जी के बड़ते दाम ने मार
धक्का खाकर ही ऐ जीवन गुजार
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

आम था इसलिये मै जलता ही रहा
कभी कोयले में कभी डीजल में ओर कभी पेट्रोल मे
बड़ते दाम की अग्नी लगती ही रही
आम था इसलिये मै जलता ही रहा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
September 23
ऐगे हींवाला

ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा
मौल्यार छेगै त्यूं डालीयूँ मा
ठणडू जडू मी थै लागण लग्युं
बोई गढ़ देश मेरु गराठण लग्युं
ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा......

छेहण लगी कोयेड़ी वार पार
बरखा ण छोडी बस आंसूं की धार
यूँ आसूं थे तू जमैदे हे हिमाल
कदग विपदा झैलेलू मेरु गढ़वाला
ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा......

मेला लागला चरखी घुमला
रंगली पिंगली जेलेबी मा बोई
हम अपरा हरच्यूं थै ख्वाजाला
संण दिशा मा आंखी बस भिजाल
ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा......

छोडी दे विपदा छोडी दे ऐ खैरी
छोडी दे गढ़ देश की ऐ बाट तू
गढ़ खड़ो होणूचा छोड़ साथ तू
कैर ना पीछा अब स्वास लेन दे
ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा......

ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा
मौल्यार छेगै त्यूं डालीयूँ मा
ठणडू जडू मी थै लागण लग्युं
बोई गढ़ देश मेरु गराठण लग्युं
ऐगे हींवाला त्यूं डाणडी यूँ मा......

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Write a comment...Optionsदेव भूमि बद्री-केदार नाथ तू जख भी
 
 तू जख भी रै
 तू.......... कख्क भी रै
 तिथै नी भूलण दिलो
 अपरू  गढ़ देशा
 ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड
 तू जख भी रै
 तू.............. कख्क भी रै
 
 दगडी हिटालू
 तै दगडी बचलू
 छुयीं मा तेरी मी ही दिखे
 आंखी मा तेरी ही सजै
 खुदमा भी मी रिटलू 
 तू जख भी रै
 तू.......... कख्क भी रै
 तिथै नी भूलण दिलो
 अपरू  गढ़ देशा
 ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड
 
 अगणे पीछणे
 आज मा कल मा
 घुघूती घुग मा
 बुरंस का फुल मा
 मी ही खिदालू
 तू जख भी रै
 तू.......... कख्क भी रै
 तिथै नी भूलण दिलो
 अपरू  गढ़ देशा
 ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड
 
 काफल चखे
 जीभ तेर लपे
 आंसूं तेर टपे
 बाबा बोई जी थै
 मै मा ही खोजै
 तू जख भी रै
 तू.......... कख्क भी रै
 तिथै नी भूलण दिलो
 अपरू  गढ़ देशा
 ऐ भुल्हा ऐ उत्तराखंड
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
20 hours ago
गणपति बाप्पा मोरया
पुढच्या वर्षी लवकर या ... ..!

गणपति बाप्पा मोरया
अगले बरस जल्दी आ .........!

मोरया रे, बप्पा मोरया रे
मोरया बप्पा मोरया रे २
मोरया रे, बप्पा मोरया रे
गणपति बप्पा मोरया २

जिसने तेरा नाम लिया
उसके मन का उसके तन का दुख तूने सब दूर किया
गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया

शंकर सुमन भवानी नंदन, हे गजवदन महान
रिद्धि सिद्धि के तुम हो स्वामि, तुम सबके भगवान
मंगलदाता बुद्धि विधाता, ऐसा दो वरदान
करूँ वंदना तेरी जब तक तन में रहें ये प्राण \-२

हम हैं भवसागर की लहरें तुम हो निर्मल फूल
हमको नाथ क्षमा कर देना हो जाये जो भूल
तुझको अर्पण करते हैं हम श्रद्धा के ये फूल
हम तर जायें मिल जाये जो चरणों के ये धूल \-२

निराधार के इस धरती पे तुम ही हो आधार
कभी बंद न हुआ तुम्हारी दया दान का द्वार
तुमसे ही तो भरे हुये हैं ज्ञान के ये भंडार
हम क्या सारे देव तुम्हारी करते जय जयकार

मोरया रे, बप्पा मोरया रे
मोरया बप्पा मोरया रे २
मोरया रे, बप्पा मोरया रे
गणपति बप्पा मोरया २

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
अपरच बिसरी

सिवा सौँळी बिसर जा
हाय हेल्लो कु बातच
जै राम जी की भै ! क्या हाल छन
विदेशी भुल्हा अब भुली सब
ठीक क्ख्क च अब सब फाईन च

समनैन की छुंयीं ना लगा
अब सब टैम सवेर ब्युखन रात
मा अग्ने बस अब गुड लगा
मिसरी सी अब घुलू जलु
गढ़वाली भुल्हा घूमी जालो
ठीक क्ख्क च सब फाईन च

आशीर्वचन अब हर्ची क्ख्क
ब्लेस यू ब्लेस यु की बात चा
कुर्ता सुलार टोपला चुलैदै
जींस टी-शर्ट हैट कु रिवाजचा
देबता को नाव भी बदली
ओह माय गोड गीच मा दिन रात चा
ठीक क्ख्क च सब फाईन च

गढ़वाली कंन बणली भासा
मेरु भुल्हा ही जब अंग्रेज चा
गढ़वाली बिंगो भी नी रै अब
बुलणो वैल क्या ख़ाक चा
सदनी की व्यथा वेदना च
गढ़ देश थै आल द बेस्ट चा
ठीक क्ख्क च सब फाईन च

सिवा सौँळी बिसर जा
हाय हेल्लो कु बातच
जै राम जी की भै ! क्या हाल छन
विदेशी भुल्हा अब भुली सब
ठीक क्ख्क च अब सब फाईन च

बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
20 minutes ago
वो पल

एक दर्द है
और....कुछ नहीं
उभरे अश्क है
और....कुछ नहीं

पल पल की बात है
और....कुछ नहीं
दुजै पल की बात है
और....कुछ नहीं
एक दर्द है ......

कोना गम से भरा हुआ
और....कुछ नहीं
मन में लगी कंही ठेस है
और....कुछ नहीं
एक दर्द है ......

एक क आवाज है
और....कुछ नहीं
उस वक्त कोई नहीं पास है
और....कुछ नहीं
एक दर्द है ......

एक दर्द है
और....कुछ नहीं
उभरे अश्क है
और....कुछ नहीं

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सदनी की

बारा मैनों की खैरी
पीड़ा बारा मैनों की
विपदा खड़ी बारा मैनों की ...२

टंगै झुल्हा भुल्हा चला
उड़ान लगी ऐ अकाशा
रीटा कथा बारा मैनों की..२

रामी बहुराणी उदस च
हेरदी नीर दिन रात च
अंशुं की रेघ बारा मैनों की..२

डैमो को डमा डम
सुरंगों को घामा घम
ध्याड़ी कमै बारा मैनों की..२

पुंगडो मेरु धैय लगाणु
माटा कूड़ा कैकु बूलाणु
उजाड़ों का मैना बारा मैनों की..२

दाणा बकरा कवल बछडा
खूंटी मा बंधी गौडी बैठल्यूं की
टूटी छनी बारा मैनों की..२

बारा मैनों की खैरी
पीड़ा बारा मैनों की
विपदा खड़ी बारा मैनों की ...२

बालकृष्ण डी ध्यानी
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जै राम जी

जै राम जी की भै !
क्या हाल छन ..२
औ जै राम जी की भै !
क्या हाल छन
हल यख बड़ा बेहल छन दादा
हल बड़ा बेहल छन ...२
जै राम जी की भै !
क्या हाल छन ..

अबरी दा दादा बादल फटी
सड़की रोऊडी,पुल टूटी
बरखा पौड़ी क्दगा मौरी
क्दगा हर्ची बस उठी यख अर्थी
दादा अपरू का बड़ा बुरा हल छन
जै राम जी की भै !
क्या हाल छन ..

अंशुं ही बचे अंशुं दगड़
क्या करंण हमुल अगंण
पीड़ा विपदा कु हहाकर च
कालू गडद अंधारु ही साथ च
दादा अपरू का बड़ा बुरा हल छन
जै राम जी की भै !
क्या हाल छन

कब क्ख्क मील्लू
वो मदत को हाथ च
अपरा भैर बिरण पास च
ऐ गढ़ की पुराणी बात चा
दादा अपरू का बड़ा बुरा हल छन
जै राम जी की भै !
क्या हाल छन

जै राम जी की भै !
क्या हाल छन ..२
औ जै राम जी की भै !
क्या हाल छन
हल यख बड़ा बेहल छन दादा
हल बड़ा बेहल छन ...२
जै राम जी की भै !
क्या हाल छन ..

बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
Saturday
अपरच बिसरी

सिवा सौँळी बिसर जा
हाय हेल्लो कु बातच
जै राम जी की भै ! क्या हाल छन
विदेशी भुल्हा अब भुली सब
ठीक क्ख्क च अब सब फाईन च

समनैन की छुंयीं ना लगा
अब सब टैम सवेर ब्युखन रात
मा अग्ने बस अब गुड लगा
मिसरी सी अब घुलू जलु
गढ़वाली भुल्हा घूमी जालो
ठीक क्ख्क च सब फाईन च

आशीर्वचन अब हर्ची क्ख्क
ब्लेस यू ब्लेस यु की बात चा
कुर्ता सुलार टोपला चुलैदै
जींस टी-शर्ट हैट कु रिवाजचा
देबता को नाव भी बदली
ओह माय गोड गीच मा दिन रात चा
ठीक क्ख्क च सब फाईन च

गढ़वाली कंन बणली भासा
मेरु भुल्हा ही जब अंग्रेज चा
गढ़वाली बिंगो भी नी रै अब
बुलणो वैल क्या ख़ाक चा
सदनी की व्यथा वेदना च
गढ़ देश थै आल द बेस्ट चा
ठीक क्ख्क च सब फाईन च

सिवा सौँळी बिसर जा
हाय हेल्लो कु बातच
जै राम जी की भै ! क्या हाल छन
विदेशी भुल्हा अब भुली सब
ठीक क्ख्क च अब सब फाईन च

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