Author Topic: Here We will Talk Only in our Language-याँ होलि सिर्फ अपणी भाषा-बोलि में बात  (Read 80930 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आधुनिकता क दौर मा आपुन बोली कै बचून एक बहुत मुस्किल काम हेगियो!  आपु लोगो के अनुरोध छा कि आपुन बोली बचाई रखन वास्ता यो दिशा में आप करो !

आपुन लोगो क आपुन बोली में बात करो और आपुन बच्च लोगो के ले आपुन बोली सिखायो !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 from Mukund Dhoundiyal <ml.dhoundiyal@gmail.com>

Mukund Jew. le ek Appeal Kari Rachhi Aapun Bhasha Leeji..
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प्रिय बंधुवो

हर प्राणी  अपणा विचार  अपने समाज में  अपणी अपणी बोली  से ही व्यक्त करता है

  बोली ही  एक   मात्र साधन है  अपणी बात  दुसरे तक पहुँचने का 
विदेश जाना होता है तो लोग  अंग्रेजी में ही "गीट पिट  गीट पिट  गीट पिट " करते हैं 
अपने मुल्क में  यानी उत्तराँचल में हिंदी भी और स्थानीय उत्तरांचली  बोली भी बोल ते हैं

बोली पहचान होती है बोली हमारी  सु संस्कृति की द्योतक है ऊंची परंपरा की पहचान है
लेकिन अपने गाँव में या अपने घर में तो अपणी ही बोली बोलना समझदारी है

अपणी बोली बोलने में  शर्म  क्या  है और   दूसरे की बोली से कब तक काम चलावोगे
और  किसी ने कभी पूछ ही लिया की आपकी बोली किया है  तो सर नीचा करना पड़ेगा
फिर ऐसी नौबत क्यों  आये .... भला

सर ऊंचा रखो  अपणा भी और अपने बच्चों   
उनकी सामाजिक पहचान बनावो

आज हमारी बोली    हमारे गीतों को  और हमारे नाच को लोग बहार के देशों में  आदर से देखा जा रहा है   दुनिया के लोग उत्तराँचल का सम्मान करने  लगे  हैं
तो फिर क्यों न करें हम गर्व महसूस  और क्यों न  हो हमारी छाती  चौड़ी

अपणी बोली शुरू करने के लिए कोई विशेष पुस्तक की जरूरत नहीं   जरूरत है तो सिर्फ इच्छा शक्ति की अंतर भावना की
अपने ही घर में अपणी चार दिवारी में   C D   लगावो
और गाने सुनबो और ध्यान दो   गाने के बोल पे  ध्यान दो ....
बस हो गया शुरू

फिर भी  अगर  दिक्कत महसूस करते है  तो   संपर्क करो    ( Mehta  (Mera  Pahad)   

वो आपका मार्ग दर्शन करेंगे

जय बद्री विशाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जस जस गर्मी बड़ते जाण रेई पहाडो में पानी की बहुत समस्या हुन ला रैयी!  जैल ले कौ सही कौ,

पहाड़ क पानी, पहाड़ क जवानी पहाड़ क काम नि औनि!

Lalit Mohan Pandey

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उत्तराखंड का पेयजल मंत्री हो बेरी ले, प्रकाश पन्त ज्यू पिथोरागढ़ लोकल (अपुन विधान सभा शेत्र) मै पानी न पिला सकन रिया, और जगा का की हाल होला.
धन्य हो मंत्री ज्यू तुमारी , कसक जितछा "BEST VIDHAYAK" इनाम , तुमरी महिमा अपरम्पार.

पंकज सिंह महर

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यो ले एक अणकस्सी क्याप्प वाली चीज भै हो, सारा भारत खिनेकि पानी की व्यवस्था उत्तराखण्ड करन्या भ्यो, water tank of india ले कुन भ्या, लेकिन यां का ६० % जनता पानी खिनैकि परेशान भै।
थ्वाड़ दिन पैल्लि क्वै कुन मरिथ्यो कि उत्तराखण्ड में पानि का अभाव में क्वै नै मरयो। महाराज सोचन वालि बात त यो भै कि पहाड़ में ये गर्मी का दिनन में परिवारे को एक आदिम कण्टर लि बेर सिर्फ पाणि की व्यवस्था में लागि रुंछ और जो नै मरन वालि बात छ, उनन धैं कुन चाईछ कि यो गरमिन में ख्वार में एक कण्टर पानि चार कि०मी० दूर भटि ल्या बेर दिखा दियो, मरण और पानि भरन एक्कै जस हुंछ कि नै, पत्तो चलि जालो।

हेम पन्त

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पानि कि समस्या त पिथौरगढ में भौत पैल्लि बठे छ.... आब पन्त ज्यु जि करनान पानि कि समस्या क बार में धैं... जनताले भौत उम्मीद लगै रे कि पन्तज्यु  पेयजल मन्त्री छन त पिथौरागढ कि पानि कि समस्या हल जरूर कराला कै...

 

हेम पन्त

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पंकज दा तुमर कून बिल्कुल सही छ कि भारत भरि में पानि पिल्यूंना गंगा-जमुना उत्तराखण्ड बठे निकल्छि लेकिन पहाड़ाक आदिम तिस्सा रे जानान... लेकिन सरकारोक ध्यान त बिजलि बनून में ज्याद छ.... पानि पिलूना में कम.

पिथौरागढे कि बात किले करछा.. हल्द्वानि में ले पानि खिन काटा-काट ह्वै रे...

यो ले एक अणकस्सी क्याप्प वाली चीज भै हो, सारा भारत खिनेकि पानी की व्यवस्था उत्तराखण्ड करन्या भ्यो, water tank of india ले कुन भ्या, लेकिन यां का ६० % जनता पानी खिनैकि परेशान भै।
थ्वाड़ दिन पैल्लि क्वै कुन मरिथ्यो कि उत्तराखण्ड में पानि का अभाव में क्वै नै मरयो। महाराज सोचन वालि बात त यो भै कि पहाड़ में ये गर्मी का दिनन में परिवारे को एक आदिम कण्टर लि बेर सिर्फ पाणि की व्यवस्था में लागि रुंछ और जो नै मरन वालि बात छ, उनन धैं कुन चाईछ कि यो गरमिन में ख्वार में एक कण्टर पानि चार कि०मी० दूर भटि ल्या बेर दिखा दियो, मरण और पानि भरन एक्कै जस हुंछ कि नै, पत्तो चलि जालो।

Lalit Mohan Pandey

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बिजुली ले इनार क्या छाराकी फांक बनछी, पोरु २ हफ्ता खिन मै घर जा रिथ्यु, दिन भर आगहालनी लाइट जाना मै हो.

पंकज दा तुमर कून बिल्कुल सही छ कि भारत भरि में पानि पिल्यूंना गंगा-जमुना उत्तराखण्ड बठे निकल्छि लेकिन पहाड़ाक आदिम तिस्सा रे जानान... लेकिन सरकारोक ध्यान त बिजलि बनून में ज्याद छ.... पानि पिलूना में कम.

पिथौरागढे कि बात किले करछा.. हल्द्वानि में ले पानि खिन काटा-काट ह्वै रे...

यो ले एक अणकस्सी क्याप्प वाली चीज भै हो, सारा भारत खिनेकि पानी की व्यवस्था उत्तराखण्ड करन्या भ्यो, water tank of india ले कुन भ्या, लेकिन यां का ६० % जनता पानी खिनैकि परेशान भै।
थ्वाड़ दिन पैल्लि क्वै कुन मरिथ्यो कि उत्तराखण्ड में पानि का अभाव में क्वै नै मरयो। महाराज सोचन वालि बात त यो भै कि पहाड़ में ये गर्मी का दिनन में परिवारे को एक आदिम कण्टर लि बेर सिर्फ पाणि की व्यवस्था में लागि रुंछ और जो नै मरन वालि बात छ, उनन धैं कुन चाईछ कि यो गरमिन में ख्वार में एक कण्टर पानि चार कि०मी० दूर भटि ल्या बेर दिखा दियो, मरण और पानि भरन एक्कै जस हुंछ कि नै, पत्तो चलि जालो।

हेम पन्त

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पैं पाण्डेज्यु खालि थोड़ि कूनभ्या "ऊर्जा प्रदॆश"?

ऊर्जा प्रदेश थैं आब रमोल करन्या वाला कुछ बदमाश, नाम बिगाड़ि बैर "उजड़ा प्रदेश" ले कूनान भल हां आजि...

बिजुली ले इनार क्या छाराकी फांक बनछी, पोरु २ हफ्ता खिन मै घर जा रिथ्यु, दिन भर आगहालनी लाइट जाना मै हो.


हेम पन्त

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हमार दगड़िया श्री धनेश कोठारिज्यु का तरफ़ बटि एक जरूरी जुवाब ऐरो... ध्यानले पढिया..

पहाड़ का सब्बि आम अर खास लोखूं से एक आग्रह

२०११ कि जनगणना शुरू ह्‍वेगे। ईं जनगणना मा आर्थिक, सामाजिक आधारूं का दगड़ नया सन्दर्भ मा तकनीकी का स्तर पर भी गणना ह्‍वेली। निश्चित ही गणना कि बग्त कई जानकारी आपसे मांगे जाली।
आप थैं जानकारी होली कि जनगणना का प्रपत्र मा एक कालम भाषा कू बि होन्दू। आमतौर पर जनगणना कर्ता ही हमारी भाषा हिन्दी अंकित कर देंदन्‌।

जबकि हमारी मूल भाषा (दूदबोली) गढ़वाली या कुमाऊंनी च।

स्यू एक आग्रह यूं कि

भाषा का ये कालम मा अपणी भाषा गढ़वाली या कुमाऊंनी अंकित करावा। ताकि हम देश मा भाषा का स्तर पर अपणी पृथक पहचान कायम कर सकां अर अपणी भाषा थैं संविधान कि आठवीं अनुसूची मा स्थान दिलै सकां।
किलै कि आज भी भाषायी आधार पर हमरि पछाण देश मा नगण्य च।
ये रैबार थैं अपणा इष्टमित्रूं, परिचितूं, प्रवासियों तक बि पौछैल्या यन्न बि आग्रह च।
ये भाषा आन्दोलन मा आपकी भागीदारी अपेक्षित च।

 

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