Author Topic: Here We will Talk Only in our Language-याँ होलि सिर्फ अपणी भाषा-बोलि में बात  (Read 81048 times)

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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अरे नेगी ज्यू न उ धान राया और न उ मडुवा रवाट और पिनाऊ साग रॉय,
न उन य्होना रातो बात राया और ना ना धौ - धिनाई रॉय
ना आखोड़ा बोटक स्यो रॉय और ना धपोड़क भ्यो रॉय
बस दिल्ली भटन रुड राइ गे हो महाराज, तुम ली भूटियो हम ली भूटिनी

हेम पन्त

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बहुगुणा ज्यु महाराज, साल में एक-द्वि चक्कर लगाते रया अपन घराक.... तब तुमुन के दिल्ली में ले पहाड़कि याद और अहसास होते रोलो..

क्ये करण भय द्वि रोटि सवाल नी हुंची तो यां गरमी में सड़ण खातिर को यां आंछी। अपण घर अपण मां याद तब एंछ जब हमन कें क्वे कष्ट हुंच, क्वे दुख तकलीफ हुंछ, गरमी - सरदी हुंछ, हम हजारों लाखों की भीड़ में भी यकल रहनूं, अपण मुलुक याद तब एंछ जब हमूकें याद आनी वांकी ठंडी हवा, ठंडो पाणी, लाल-काल काफल, हिसालू, किलमोड़ा, काचा आम और काचा तिमिला। अपण घर याद तब ऐंछ जब ए.सी. कूलर होते हुए भी अचानक लाइट नहै जें और सब बेकार। तब याद आनी ऊं आम अखरोट पेड़ जनर छाया मुंण हमुल तमाम गर्मी काटिछ।
तो मेहता ज्यू हिटो तुम लै हिटो और हमल हिटनू
आखिर द्वि दिन त ठंड पाणी और ठंड काफल खाणक मिलिल।


आपक
 डा . मोहन बहुगुणा.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ईख जाग मा, हमी लोग बात कर सकदा छे आपना बोली मा!

आओ दादा, भुली.. आपुन बोली में बात करा !

हेम पन्त

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आज रुद्रपुर में थ्वाड़ दयो उनाक कारण गरमी कम हैरे..... मेहता ज्यू दिल्ली में कि हाल छन गरमी का?

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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४५ बाटी ४३ है रो हो महाराज, खूब पकानी गरमी में मणि इन्द्र द्यापतुं को कहो देल्ली में लै जाओ, वन लै mankhi रूनी

Devbhoomi,Uttarakhand

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बरखा होली बत्वानी होलू रै,छोया मंदुरु कु पानी होलू रै ,कब होली या बरखा कब मिलालू लोगों तैं ठंडक

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरा सभी उत्तराखंडी लोगो च अनुरोध छा. ईख टोपिक मा ज्यादे-२ आपुन बोली मा लिखन क प्रयास करा!

आपुन समाज क उत्थान बिना भाषा नि हवे सकदन! 

तो महराज .. कोशिश करो आपुन नानतिन के आपुन भोली सीखूंण लीजी... बोली जीवित रौल तो संस्कृति जिन्द रौल! आशा करूँ आपु लोग यो बार में जरुर सोचला और ध्यान देला .. की हमर नानतिन के हमर बोली उन चे!

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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ठीक कुनैछा हो महाराज मेहता ज्यू आपु भाषा विकाश तसिकै उनैभई,  और हमुकई तो आपु भाषा जीवित धारण भाई जरुरी भै

Devbhoomi,Uttarakhand

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बिलकुल सही बोलाणा छन भाइयों आप लोग तबई हम अफडी और अफडा समाज और संसकिरती तैं जिन्दा रखी सकदा जब की हमू अफडी भाषा कु प्रयोग करला

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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हामर क्रिकेट कप्तान ली कूल,
कप्तानक ब्या लै कूल ,
मौसम लै कूल
मीडिया कर्मी बड़ाई फूल

 

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