घन्टा,
शब्द ब्रहा है जै से प्रकट ,
करद सचेतन दुनिया तैं
आत्मज्ञान को महासूत्र तुम ,
समझा मित्रो घन्टा तैं
ओम ओम जो ब्रहाक्षर च
जै से निकल आत्म विज्ञानं
निराकार की अभीव्यक्ति को,
घन्टा वो चा एक महान
शिव को डमरू, शंख विष्णु को,
ब्रह्रमा जी को वेद विज्ञानं
परम पुरुष की आदि शक्ति को ,
घन्टा सबि ये एक समान
ध्यान योग मा घन्टा ध्वनी की ,
महिमा को सुन्दर वर्णन चा
दयबता दैंत मनिख यूँ सबु चै,
घन्टा भौत पुरातन चा
देवी दयबता सबी मुग्ध ही ,
ब्रह्रमा शंकर नारायण
न्योछावर छिन सब घन्टा फर,
भागवत, गीता ,रामायण (१९६२)