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Author Topic: कविता चौहान की कवितायेँ/KAVITA CHAUHAN KI KAVITAYEN  (Read 6927 times)

दीपक पनेरू

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साथियों यहाँ पर नवोदित कवयित्री कविता चौहान की कविताओ को संग्रहित किया जायेगा, कविता जी की कविताये बहुत ही दर्द और यथार्थ लिए होती है उनकी भावनाए उनकी कलम के माध्यम से बड़ी लयबद्ध और सादगी से बहती है | कविता जी अभी खुद एक विद्यार्थी है और उन्हें लेखन का बहुत शौक है |

आशा है कविता जी की कविताये आप सभी को बहुत पसंद आयेंगी |
धन्यवाद

दीपक पनेरू

दीपक पनेरू

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Re: कविता चौहान की कवितायेँ
« Reply #1 on: January 31, 2011, 03:53:28 AM »
वाह ! रे मेरा देश महान

 सौ में से अस्सी बेईमान,

 वाह ! रे मेरा देश महान

 चोरो के हाथ में देश की कमान,

 अपराधी से ज्यादा पुलिस बेईमान,
 घुसपैठियों के सर पर नेताओं का वरदान,
 इनको ही मिलता है समाज में मान,
 वाह ! रे मेरा देश महान

 छात्र से शिक्षक परेशान,

 डिग्री बिकती है यहाँ सरेआम,
 शिक्षक हो जाते बदनाम,
 वाह ! रे मेरा देश महान

 कृष्ण-राधा का प्रेम महान,

 करते लोग इनका जयगान,
 प्यार यहाँ फिर भी बदनाम,
 वाह ! रे मेरा देश महान

 सभी सोचे क्या होगा उनका अंजाम,

 जो बेचते है मौत का सामान,
 गर मिट जायेगा उनका नामो-निशान,
 तभी गर्व से हम कहेंगे,
 प्यारा भारत देश महान !
 प्यारा भारत देश महान !

खीमसिंह रावत

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bahut achchha , 

वाह ! रे मेरा देश महान
अपराधी से ज्यादा पुलिस बेईमान,
 

दीपक पनेरू

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समाज यह जानकर भी बन गया अन्जान,
क्योंकि एड्स रोगी को अपना कहने में घटती इनकी शान,
हो जाती है जिसे यह बीमारी,
जीवन हो जाता उसका भारी,


जीने नहीं देता उसे समाज,
ताकि स्वयं पर ना आये कोई आंच,
समाज द्वारा होता उसका बहिष्कार,
क्या यही है, उसका अधिकार,


जो थे कल तक उसके अपने,
आज बन गए है ओ सपने,
ना रही उसमें जीने की अभिलाषा,
देख समय की यह  परिभाषा,


मैं पूछती हूँ तुमसे ! क्या बिगाड़ा उन्होंने तुम्हारा ?
जो बन ना सके तुम उनका सहारा,
क्यों बना दिया उनको बेजान,
थी कल तक जिनमें जान,


थे कल तक भी कुछ अरमान,
हम लोगो ने दिया ना कोई सम्मान,
राह चलते जो देख उनको,
फेर लेते निगाहों को,


समय-समय पर किया उनका तिरस्कार,
जिनको था जीने का अधिकार,
क्यों ना समझे हम इसका अर्थ,
जीवन किया रोगी का व्यर्थ,


यह नहीं छुवाछूत की बीमारी,
फिर क्यों इससे घृणा हमारी,
आओ सब मिलकर करते है प्रण,
देंगे सहयोग और समर्पण,


सर्वाधिकार सुरक्षित @ एक ख्वाब ऐसा भी....(पुस्तक) एवं merapahadforum.com

Hisalu

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Good poems. Please post more.

 

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