Darsansingh Rawat
February 25 at 9:33am ·
रैंदा गाँव गल्याऊ त, लगांदा कछड़ी हम।
कभि गोरो कु पिछने,त कभि फांग्यो में हम।
बगीचा में बैठी,समस्याओं पर बच्याणा हम।
होली कि गांणी पूरी,जौंला फिरि पहाड़ों हम।
बड़ौला दिन क्या ,हिटुला गल्याऊ बाटो हम।
होलु वी कलबलाट, पंध्यरो की छ्वी में हम।
बाग बट्टा पिट्ठू कंचा, त गुच्छी खेलुला हम।
सरका दौड़ म अगनै, छोड़ी ग्यो पहाड़ हम।