Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 383587 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
March 10 at 9:35pm ·
आखिरी रात च अब,भोल परिणाम अण्या च।
बस वक्त जरा जरासी,सुबेरा कु सरकुणु च।
मन तुम सभ्यो कु भी, कौतुहल म प्वड़्यु च।
कु कारालु राज पहाड़ म,बेचैन सबकु मन च।
छोड़ो भै यु घंगतोल,मैं म भविष्य बताणा विधि च।
शंका समाधान कैरो, नाम म्यरू सुरेश नैनवाल च।
बस प्रोफाईल मेरू भी, भै समणी लगयू च।
सच नि बताणा की भै, गारंटी नि दियी च।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ashish Rawat 
March 8 at 11:59am ·
ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू.
मन ब्वोदू हाथों माँ त्येरू हाथ चेंदू.
जिकुड़ी करदी धड़क धड़क,
कब मिलली त्येरी एक झलक.
त्येरी मुखडी देेखी ही त औंदी
म्येरी मुखड़ी मां चमक धमक.
त्वे मिलण कु मनमा भारी कबलाट रेंदू.
ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू..

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ashish Rawat 
February 25 at 10:51am ·
राती ह्वेगेन मेरी आजकल सुपन्याली.
जब से देखीं तुम्हारी आंखीं रतन्याली.!
कनि स्वाणी दिख्यांदी मुखुड़ी मयाली.
बौल्यें ग्युं माया मा तुम्हारी सच्ची हे लथ्याली.!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ashish Rawat with Darsansingh Rawat and 53 others.
January 24 ·
सजि ढजि की जब तू छोरी स्कूटी चलोंदी,
तेरी भुरणि लटूली उडी अफू मां बुलोंदी,
हैंसदी बगत प्वडदू गलवाडी मां पिल,
ज्यू त बोदू चट चूंड दयू चौंठी मां कू तिल,
त्वैथै नि चल सबूथे पता चलिगे,
देहरादूने कि रचिता त्वेमा चित बुझिगे

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Sudesh Bhatt with Arti Gaur and 47 others.
1 hr ·
खोजा खोज हुंयी च
उत्तराखंड क ग्वाठ मा
मुख्यमंत्री कुन चिंतन मंथन
दिल्ली कबी ड्यारदूंण मा
बन बन की मुखडी दीदों
दिखेंणी छन टीवी अखबारों मा
मुख्यमंत्री कु नयी नयी नौ
सुण्याण लग्यां समाचारों मा
सिंग पलै की बैठ्यां ह्वाल कती
कती लग्यां ह्वाल जुगाड मा
उबर मज्युल सी दून अर दिल्ली
भग्यान कना ह्वाल जहाज मा
अकाल सी पडी ग्या दीदों
गुठ्यल नी मिनु पाड मा
तंद्यल पनन सी फूच हुयां छन
तबरी बिधायक पाड मा
ख्वाजो रे ख्वाजो हरच्यां गोर सी
पिंपरी बजावा धार मा
पास हुयां सी हप्ता ह्वै ग्या
फिर भी अकाल पड्युं च पाड मा
कुई भुनु च देशी आंणु
कुई भुनु की घर्या च
बिधान सभा की कुर्सी भग्यनी
नयी गोसी खुज्यांणी च
खोजा खोज हुंयी च
उत्तराखंड क ग्वाठ मा
मुख्यमंत्री कुन चिंतन मंथन
दिल्ली कबी ड्यारदूंण....
राजनितिक उठापटक पर मुख्यमंत्री की तलास पर मेरी या नयी रचना @लेख सुदेश भट्ट"दगड्या"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
 
पाख्यो रौल्यो बनी बाटु,जमनु अब बदली गे।
फांग्यो बूण बढि गि, मनखी ऊंदरि बाटा लै गे।
सड़क्यो सी फैदा कम,नुकसान ज्यादा हवे गे।
भला कु आई सड़क,पर बुरू थै बिछाण लै गे।
दिन रात भ्वरिणां गाड़ी,पहाड़ खाली हवे गे।
यख तक पौचि बात,सड़क बिन मनखी रै गे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
 
रंग होली कु रंगीन,आज त रंगीनियत कु वक्त च।
रंगीन वक्त बनाणा कु,पाणी भी रंगीन जरूरी च।
रंगीनियत की सोच खुणी,यु रंग भी बुरू नी च।
रंगीनियत ऑदी तभी,जब तक यु पाणी रंगीन च।
आओ जश्न मनांदो भै, होली म जिंदगी रंगीन च।
रंगीनियत की रंगीनी, रंगीयत सी आज रंगी च।
हाँ पर यु ओ ना जो समझणा,शर्बत भै रंगीन च।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Darsansingh Rawat
March 12 at 1:39am ·
आनंद ब्वलु कि शान्ती, बुजर्गो की चौखट म।
मस्त च आज नव पीढ़ी, तुम्हारी धरी नींव म।
स्कूल चल्दु यख,भारत रत्न पंतजी कु नाम म।
मुंबई म परचम लगाणा,गोविंद तुमारू नाम म।
बदलदु समय चक्र भी,नि बदली विरासत म।
हिमालय कु नाम चलदु,आज भी असल्फा म।
हैसणा तुमारा आज, तुम्हरू ऐ लगयु बाग म।
लगदी मन की छ्वीई, पुरण्यो की विरासत म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Ashish Rawat 
March 8 at 12:00pm ·
ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू.
मन ब्वोदू हाथों माँ त्येरू हाथ चेंदू.
जिकुड़ी करदी धड़क धड़क,
कब मिलली त्येरी एक झलक.
त्येरी मुखडी देेखी ही त औंदी
म्येरी मुखड़ी मां चमक धमक.
त्वे मिलण कु मनमा भारी कबलाट रेंदू.
ख्याल त्येरू मैं दगडी दिन रात रेंदू..

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Ashish Rawat
March 2 at 6:15pm ·
आज कविता का बोल छिन
ब्यो से पैली मेरी सुवा लगदि बहुत स्वाणी छै
गिन्दोडा सी मिठि मिठि नरयूले सी दाणी छै,
चस चूसी दयू मि वीथै आमू का हडेली सी
घल घूली दयू मी वीथै बफ्री की डैल सी,
सुपन्यो मा ऐकी वा निंद काटी जांदी छै
जीभ माया की निकाली मिथै चाटी जांदी छै,
मि बासी च्या कू पत्ती छू वा भेसणा कू लडडू छै
मि सिल्वरा कू पतेला छूं वा पितला कू भांडू छै,
वा डाल्यूंद हल हिलै पकी आमू दाणी छै
ब्यो से पैली मेरी सुवा लगदी बहुत स्वाणी छै.!

 

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