Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382612 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अफि मि परि बी क्वी .....
अफि मि परि बी क्वी माया करदु
इन मिथे बी अब लगदु रे
कख हर्चिगियां ऊ मेरा गेल्या
मि कख कख ऊथे अब खोज्यों रे
अफि मि परि बी क्वी .....
कब ह्वैजाली भूल कैसे
क्वी नि यख क्वी थे अब जणदू रे
चड़चणु यो माया को बुखार
कजाळ ज्वानि थे किलै कै जांदू रे
अफि मि परि बी क्वी .....
गंधोंण कै जांदी या उमरी रे
ऊ मैलु ज़ब जीकोडी लगि जांदू
जंई जांद बण जांदू ऊ फंचु रे
सै टैम मां जैन ना सम्भल स्की रे
अफि मि परि बी क्वी .....
सुपनिया ऊ सरया अधूरा रैगैनी
ईं ऊंटड़ी की तिस रैगे मेर अपुरी रे
जब आन्दु ऐ सौंण को मैन
ऊ घपतोळ मिथे किलै कै जांदू रे
अफि मि परि बी क्वी .....
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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चौमास
ऐगे चौमास
म्यारा पहाड़ों मां आज
ईं जिकड़ी कि आस
फिर बळण लगिं च
डाँडो मां सौरिगे
ऐ ठण्ड मठु चौमास
दें ण लगि चा वा फिर
मिळण कि ध्यास
घस्यरी, घास को
देख जाण लगि चा
फूलो सजी कांडों घाटी
गीत लगाण लगि चा
चिच्डा गुदेडी द्वि भैना
छुई लगाण लग्यां छन
उडियार बैठी मेरी माँजी
कैथे समझण लगी चा
ऐगे चौमास ........
बालकृष्ण डी ध्यानी
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धुँवळि धुँवळि धुंवड़ ह्वैगयाई
धुँवळि धुँवळि धुंवड़ ह्वैगयाई
अछलेंण मिथे मेस वा कैगयाई
बांद बिगरैली मेर वा पहाडे कि
नखर्याली म्यारा वा गढ़वाळ कि
अजकाळ ब्याळि -भौळि जी
कख कख नि रिटू मि रौळि- गौळि जी
अब मेर वा ढब ह्वैगयाई
मि थे पुरतु वा (बौल्या कैगयाई) ...२
गिजण विंको इन हुँण लग्युं मि
आदेस जनि ऐई विं आंख्युं को
फिनको बणी कि तरंगलों लग्युंछो
अंगड़ि मां विंकि (गठ्याण लग्युंछो) ....२
खैल बणी कि सर ऐ जांद वा
दगड हैंस खेळी कि यकुली कै जांद वा
अंग्वठा दिखेकि दूर बठेक वा
इन अंख्यों से झट (कख लुकि जांद वा)...२
धुँवळि धुँवळि धुंवड़ ह्वैगयाई ......
बालकृष्ण डी ध्यानी
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Mangal Joshi
 
नमस्कार मित्रो आज जन्माष्टमी पर्वेकि आपू लोगनकै सपरिवार शुभकामना व हार्दिक बधाई छू।पहाड़ी भाषा बोलणाक लिजि एक कविल कविता लेख प्रस्तुत करिराखी
पहाड़ी बुलाओ, पहाड़ी लेखो ,पहाड़ी आपुण नानतिनं कै ले सिखाओ कसिकै लै पहाड़ी भाषा बचाओ। धन्यवाद।
ईजा कै मम्मी नी बनाओ
बाज्यू कै नी बनाओ पापा।
मै सस्कृति के जरूर बचुल,
य छु म्यर आपुण वादा ।।
रीति-रिवाज नी भूलो,
mom डैड सब छोड़ो ।
ईजा -बॉज्यू कण सब सीखो,
एक अक्षर रोज पहाड़ी लिखो।।
इंग्लिश मे नी आओ बबा,
बात म्यर सुनो जरा ।
नथ पिछौर साड़ी पैरो दीदी,
हम लोग तो पहाड़ी ठहरा ।।
जोड़ी छी सब लोगुह् हाथ,
बुर झन मानिया म्यर बात ।
कुर्ता पजाम टोपी पैरो ददा,
गलती है ली कर दिया माफ़ ।।
थोड़ा करी लिनु कॉमेडी
थोड़ी लिख लिनु कविता।
आप लोगो प्यार मिलोम मकै।
आप लोगुक बहुत बहुत सुक्रिया।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
Yesterday at 1:59pm
हमर पहाड़ मे कतु परकारक जात छु
मकैं आज तक पत नि लाग!
जैसे- मै रावत छु
वैसे ही- नेगी,बिष्ट,खुल्बे,पान्डे आदि
आपुण नाम दगैं जात लिखो धैं
ताकि पत चल सको मकैं""'"

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Darsansingh Rawat

सुपुन्यु बड़ु देखी, कोशिश भी खूब करी।
नींव उत्तराखण्ड राज की,खूब तुमन धरी।
बणै दल क्रांति कु,झैल खूब पहाड़ों म करी।
सुपन्यु पूरू तुमारू,राज पहाड़्योन करी।
अब बदले गी मनखी,राज कना सरा सरी।
नमन तुमथै करणा छी,खिसा अपणा भ्वरी।
जुग जुग नाम तुमारू,हिन्दो पट्टी कु करी।
नमन युग पुरूष थै,सेवा दान जीवन करी।

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Darsansingh Rawat

निर्दयी प्रकृति हुई त,पर भै सियु प्रशासन भी च।
बगणु बाढ़ म सब कुछ,पर कोशिश त करणि च।
जय जवान जय किसान,नेता त हर क्वी ब्वनु च।
अन्न थै बचाणो खातिर, किसान ईखुली लग्यू च।
धन्य किसान धरती कु, भै तेरू साहस महान च।
तुम जना साहस्यु सी भै, ऐ भारत भूमि महान च।

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Darsansingh Rawat
August 15 at 1:58pm ·
दैणु हुया दैणु हे, विघा कु थान।
जुग जुग रैया हे,तिरंगा कु मान।
अमर सदनि भै,वीरो कु बलिदान।
शिक्षा सी मिलदु,वीरता कु गान।
नमन भूमि तिरंगा, हमरू छै मान।
कतरा कतरा बगै कि,बड़ुला सम्मान।

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Darsansingh Rawat
August 14 at 8:51pm ·
चलि पहाड़ों बटि मा,पौंचि मुम्बई शहर म।
ऐ साल फिर बौड़ि, ढोली छतोई भक्तों म।
छ्वटि राज जात भै ,चलदी हर साल म।
अटूट गाव गाव की,आस्था माता नंदा म।
पहाड़ छोड़ि भक्तोन,रोजी रोटी खोज म।
नि छोड़ि आस्था,मा नंदा गुंजणु शहरो म।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Vinod Pant
 
कुमाऊनी में चाड प्वाथ पशु पक्षीनाक नाम -
गाय - गोरु
युवा गाय - कल्हौड
गाय का बच्चा ( फीमेल ) - बाछ
गाय का बछडा ( मेल ) - बहड.
बैल - बल्द
भैस का बच्चा - थोर
भैस का बच्चा ( मेल ) - काट् या कट्टी
बिल्ली - बिराव या बिराल या बिराऊ
बिल्ला - ढडू
बिल्ली का बच्चा - बिराउ पोथ
कुत्ता - कुकुर
कुत्ते का पिल्ला - पोथ . ढोट्टी
लोमणी - स्याव
चूंहा - मुस्
छिपकली - छिपौड
जंगली बिल्ला - बनढाड
छूछुन्दर - चुनुर
मच्छर - मांछर
फाख्ता - घुघुत
तोता - सू या सुवा ... ( शायद इसीलिये प्रेमिका को सुवा बोला जाता है )
कौवा - कौव्
मैना - सिटौव
गौरैय्या - घिनौडि
खरगोश - सौंस्
तीतर - तितुर
बकरी - बाकौर
नर बकरी -हिल्वाण
भालू - भाल्
मधुमक्खी - मौन
ततैया - झिमौड
भिरड.- पट्या

 

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