Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382430 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Uma Joshi
August 18 at 9:37am
चैते गुड़ बैशाखे तेल ,
जेठे पन्थ आषाढ़े बेल,।
सावन सतुवा भादो दही,
क्वार करेला कार्तिक मही।
अगहन जीरा पूसे धनियां ,
माघे मिश्री फाल्गुन चना ।
जो यह बारह देह बचाये ,
वैद्य गृहे कभी न आवे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Niranjan Kumar Pandey
 
तुम ले कदइन गोच्छा तस् बरात में ...
बाराती रात बयांन उठने- उठने ,
तुमन बहोत उपन पाल रखी हो ,
रात नहुंन बएै बुका दी में ,
अब ना पढनी या...
भाज जाछउ पालिछऩ
मनी एक चाह दियो धें
गुड़
की कटक दगड़ .....
िपठ्या की हाफी रोल ...बाब बाब हो ......!!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Gyan Pant
 
जिम कार्बेट पार्काक् शेर ......
नान्तिनां लिजी
" पहाड़ " मतलब
आजि ले ....
नैनतालै भै ।
-----------------------
चुटाचूट है रै
डबलन 'कि
पहाड़ में ....
आब
जदिन " मूँड " बँणौं
पहाड़ 'क !
-------------------
गौंन त
खड़्या देला
मगर
" छौव " कां ल्हि जाला
तालून लै .... ?
अतराल जब त
कसि बिजुलि बँणैंलि
अंताज करि ल्हीया ।
------+----+-++++++++--
आम छन जाँणैं
उज्याव भये
पटाँङण में ....
आब
चाड़ - प्वाथ ले
चान न्हाँतिन ।
-----------
आब
म्यार लिजी ले
घर ......
मतलब
" होटल " छ
पहाड़ में !
................
उत्तराखंड में है
पहाड़ हरै रौ ...
और सब
ठीक है रौ बल ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
रुका जरा सुणा दौं
तुम भी त बिंगा दौं
क्या बोनु यू पहाड़
भट्यांण लग्यूं च हफार
मन खुदेन्णु च
तन छिड़ेन्णु च
अपरौं की बथ्योंन् अपरौं की हथ्योंन् बाड़ूळीयों मा! @ - राजेन्द्र सिंह कुँवर 'फरियादी'
#अपरौं_की_बथ्योंन्

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shankar Pandey
 
गिर्द की मूल कुमाउनी कविता : ----कां जूंला यैकन छाड़ी----
हमरो कुमाऊं, हम छौं कुमइयां, हमरीछ सब खेती बाड़ी
तराई भाबर वण बोट घट गाड़, हमरा पहाड़ पहाड़ी
यांई भयां हम यांई रूंला यांई छुटलिन नाड़ी
पितर कुड़ीछ यांई हमारी, कां जूंला यैकन छाड़ी
यांई जनम फिरि फिरि ल्यूंला यो थाती हमन लाड़ी
बद्री केदारै धामलै येछन, कसि कसि छन फुलवाड़ी
पांच प्रयाग उत्तर काशी, सब छन हमरा अध्याड़ी
सब है ठूलो हिमाचल यां छ, कैलास जैका पिछाड़ी
रूंछिया दै दूद घ्यू भरी ठेका, नाज कुथल भरी ठाड़ी
ऊंचा में रई ऊंचा छियां हम, नी छियां क्वे लै अनाड़ी
पनघट गोचर सब छिया आपुण, तार लागी नै पिछाड़ी
दार पिरूल पतेल लाकड़ो, ल्यूछियां छिलुकन फाड़ी
अखोड़ दाड़िम निमुवां नारिंग, फल रूंछिबाड़ा अघ्याड़ी
गोर भैंस बाकरा घर घर सितुकै, पाल छियां ग्वाला घसारी.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Jogasingh Kaira
 
द्वी-तीन दिन बटिक देखुरिन कुछ पोस्ट
डालने के बाद वाल पर आती तो है फिर गायब है जारिन । आदरणीय पन्त जी की एक पोस्ट दीखते ही गायब हो गई कतुक खोजी
तब से देखिये ना कल की मेरी एक पोस्ट
डालने के थोड़ी देर बाद खोजने पर निमिलि।
के कारण हुनोल । जब की कुछ लोगों की पोस्ट
कई दिन तक वाल पर लटकी रनी । कल एक
सज्जन भी पूछ रहे थे । ये नेट की समस्या होगी
या के और कारण हुनोल ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Surender Rawat
 
''''''''सुरदा पहाड़ी,,,,,,,,
रॆशमियां साड़ि और , रंगीली पिछोड़ि।
राम ज्युलै कसि बनै,दद भौजिक जोड़ि।।
गलै गलोबन्द और,हाथों में छैं पौंजी।
रूपकी तितरी जैसी,देखणैकी भौजि।।
देखणक बैक दाज्यु,मनक छैं नेक।
नक काम आज तक,कर निछ एक।।
फौंजकी नौकरी भागी,कानिम रैफल।
आज बणी रयी दाज्यु,कतु भल ब्यौल।।
तन बारि,सूंट और,खुट बारी बूंट।
गले मजी पैंसौक माव, दस-दसक नोट।।
हाथ पारि घड़ि पैरी,ख्वर में मुकुट ।
कतु भली ब्योलि मिली,मनम लड्डू फुट।।
कानों मजी कनफुला,नाक नथुलि।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Surender Rawat
 
,,,,,सुरदा पहाड़ी,,,,,,,
के तो अलग छु,हमर‌‌ पहाड़ मै‌।
कुछ ना कुछ गाड़ गध्यार मै ।।
है सकूं हम ना तो, हमर मन।
या फिर हमर पागलपन ।।
जब छीं हम घरों पन ।
कां लागछी हमर मन ।‌।
परदेस में आते ही ।
द्वि रव्ट कमै बै खाते ही।।
मन हैं जां उदेख ।
हाय रे किस्मतक लेख ।।
फुरर उड़ि बै पहाड़ों में नै जां।
तु लै हिट कैं जां।।
मैं लै चोर,म्यर मन लै चोर।
खुब लगै रौ जॊर ।‌।
,,,,,,कभैं जुल पहाड़,,,,,,,,
,,,,, आंण मै गे डाढ़,,,,,,,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Premsingh Sanga
 
पैली बै " जोड़ " कसी लगूं छी देखिया हाँ ?
---------------------++++----------------------
" रहौटि की ताना,घट खुलौ बाना,
दुनिया दो रंगि हैगै, बखत बेमाना,
इथलाये मनचित उथलाये काना,
देवियों जसी बैठि रैछै,तू छै भलि बाना!
हो रुपसा, रमौति,घुंगूर नि बजा, छम!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Kedar Singh Rawat
 
नई नई भाैजी
हे भौजी कन लगणु म्यार मुलुक
अभी दुयुरा स्वर्ग तुमार मुलुक
रंग पाणी जब चढ़ जालो
जरा पछी देखुला !
हे भौजी कन छा सासु ससुरा
दुयुरा अभित बाबा बोई लगणा
नई नई बुवारी छे तू
जरा पछी देखुला!
हे भौजी कन तुमर बेटुलो
दुयुरा अभित देवता छी म्यारा
नशा जब उतरी जालो
जरा पछी देखुला !
हे भौजी कन म्यार गावो गवाड़
दुयुरा अभित रौतियालो तयार गावो गवाड़
खुटी जब थक्तथे जला
जरा पछी देखुला!
"केदार सिंह "

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22