Surender Rawat
,,,,,सुरदा पहाड़ी,,,,,,,
के तो अलग छु,हमर पहाड़ मै।
कुछ ना कुछ गाड़ गध्यार मै ।।
है सकूं हम ना तो, हमर मन।
या फिर हमर पागलपन ।।
जब छीं हम घरों पन ।
कां लागछी हमर मन ।।
परदेस में आते ही ।
द्वि रव्ट कमै बै खाते ही।।
मन हैं जां उदेख ।
हाय रे किस्मतक लेख ।।
फुरर उड़ि बै पहाड़ों में नै जां।
तु लै हिट कैं जां।।
मैं लै चोर,म्यर मन लै चोर।
खुब लगै रौ जॊर ।।
,,,,,,कभैं जुल पहाड़,,,,,,,,
,,,,, आंण मै गे डाढ़,,,,,,,