Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382304 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Dinesh Kandpal
November 9 at 11:14am

आज उत्तराखंड क स्थापना दिवस पर सब उत्तराखंडियौं क बधाई । सत्रह साल बित गई पर हमार पहाड़ कि दाश नि सुधरि ।हरएक अकिंचन पहाडि क जैकैं य व्यवस्था दगै उच्चाट है गो वीकि मनकि व्यथा छू मेरि य कविता......
भुला हम उसै रा य्
यौं गलाड़ नि चमचमाय्
घर कुड़ि सब खानर भयी
खुट हात सब लुतलुताय्
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ न चमचमाय
कतुकै सरकार बदल
ग्वाव् गुंसैं को न निकल
जेठ में आजि लै हौलि
पांणि लिजि मुनाव फुटल
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय्
दिल्लि बदलि दून बदल
नेता नूं हाल बदल
गौं गाड़ सब बजीं गयीं
बुढ़ बाढ़ि छैं घर में यकल
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय
बिसां ल्यानूं तब पकानूं
बज़ार क पिसूं खानूं
खेति पाति सब हराई
दिनभर बानर हकांनूं
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय
बाणि बाणि सरकार आयीं
सड़कूं ल भ्योव खायीं
ठेकदारूंकि सकरांत है गे
लिसलै सब बांज भजायीं
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय
पधानूं लै ट्वार चलाय
सब झंणा मिल बांटि बे खाय
मनरेगा, कंट्रौल आय
नेता नूं ल डबल कमाय
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय्
कुतकुता गलाड़ यसा
सनील कपाड़ जसा
गौं गाड़ सब छोड़ बेटि
नेता सब दून बसा
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय
रधुलि बिधाव भ् य
वीक को लै नि रय
भै भुलि सब दिलि हैं टवा
भाड़ ब्वजक् आसर भ् य
भुला हम उसै राय्
यौं गलाड़ नि चमचमाय
हईया गुसैं नि राय
ओढ़ टमट ल गा य्
हौव दन्याव लगा य्
जाति कुजाति नि राय
भुला हम उसै राय
यौं गलाड़ नि चमचमाय
भाजि बे जो दिल्लि गाय्
पहाड़ दुखल मुख लुकाय्
सुकिला कपाड़ पैरि बे
ज़्वातां कैं फटकानै आय्
भुला हम उसै राय्
यों गलाड़ नि चमचमाय्
य थाति क मोह पाव्
जनम्भर खुपाव समाव्
खानरि बाखई देखी
यकलै सार गौं गुंज्याय
भुला हम उसै राय्
यों गलाड़ नि चमचमाय्
दिल्लि बे जो रुपैं ल्याय्
देसि बुलांणैं घर कें आय्
पहाड़ि पच्छांण छोड़ि
उ हमुंल नेता बंणा य्
भुला हम हुम्मंड़ रा य्
कास् कास् नेता बंणा य्

चीन मुनाव पै ठाढ़
फैलुनौ आपुंण जाड़
बदरनाथ फांग पूज़ि छैं
हम चै रयीं ठाढ़
भुला हम उसै राय
यौं गलाड़ नि चमचमाय
पल्टनी च्याल हमारा
निग्वाव गुसैं लड़ै ल मारा
मानसरोवर फोकटी गयो
यों चारधाम बचि राला / बचै पाला
भुला हम ठगी गाय
मानसरोवर निं बचै पाय
©दिनेश कांडपाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
 
पहाड़ी ददा भुली सुणो , तुमुकैं म्यर न्यौंत ।
स्कूल की छुट्टी करो , ग्वाव पकुंला स्यौंत ।।
ग्वाव पकुंला स्यौंत दिदी , तुमुकैं म्यर न्यौंत ।
नि काटणं हौंट भुली , खुड़यै ल्या स्यौंत ।।
पिरुवक थुपुड़ लगोंला , पै पकुंला स्यौंत ।
दाम ठुंगी ठुंगी खुंला , स्यौंत है री भौत ।।
क्वे धंरिला गोछिनन , क्वे भरील खलेत ।
क्वे लि जाल घर हंती , स्यौंतों क समेत ।।
हाथों पारि लिस लागी बै , है गी चटचट ।
लिसक दगैं काव झोल , है गी कावपट ।।
गध्यरन है रौ पाणि दाज्यु , पाणी क चुबडय ।
पाणिम बती बालु लि बै , घुसो हथकय ।।
*********सुरदा पहाड़ी********

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Bhupender Singh Bisht
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
 
एक दारुक ठ्यक क सामणी बै।
द्वि आदिम दारु पिण लिजी बैठी दुकानम,,,,
एक नशम धुत्त है गो, दुसर हैं कुणौ****
त्यर माँ.भौतै बान छु***
मकणि भौतै भलि लागीं***
मै तो आपुण ज्यान लै दि सकनूं**
य उमर मैं लै हिरोइन जसि लागीं***
अगल बगल वाल सब***
सुन्न है गी,,,,
बिल्कुल अलोप***
सबों कैं लाग आब झुगड़ हणी छु,,,,,,,,
तस्सै दुसर चट्ट उठ और कौय!!!!!
***हिटो घर हैं हिटो अब***
मैल पैलिकै कौ,,,,,
तुमुकैं ज्यादा चढ़ि जैं!
*****बाज्यु कम कम पियो तुम*****

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Surender Rawat
November 6 at 12:19pm
तुम पहाड़ी अपने को जाणि क्या चिताता है।
क्या हमको पहाड़ों में हिटना नि आता है ।।
हम जब भी तुमर पहाड़ आता है ।
गौंनों गौंनों और सबोंक ध्याव जाता है ।।
तुमरो पहाड़ भौतै न्यारा है ।
घुमने आये ठैरे हम कतुक बारा है ।।
पैलिक बार हम जब पहाड़ आया था ।
मनुवक रव्ट में तुम हरी साग ल्याया था ।।
रव्ट को प्लेट समझ कर हमने ।
खाली साग टपकाया था ।।
Lition to me पहाड़ी मैंसा ।
पहाड़ों में तुम करते हो ऐंसा ।।
*****सुरदा पहाड़ी*****

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बलबीर राणा 'अडिग'
November 25, 2015 ·
चुप रा रे छोंरों हल न करा
असहिष्णुता कु मतलब ढुंड़णु छौं
जै धरतिन अगास पौछायी
वे की जड़ ख्व्दणो छौं।
हिंदी मित्रों को प्रेषित
मित्रो शांत हो जाओ
असहिष्णुता का अर्थ ढूंड़ रहा हूँ
जिस धरती ने फर्स से अक्ष पर पहुंचाया
उस धरती की जड़ खोद रहा हूँ।
मेरे भाव सार्थक हों या निर्थक पर सादर विनती है आप सब अग्रज और अनुज विधवत मित्रों से कि मैं अनपढ़ इस असहिष्णुता का अर्थ नहीं समझ पाया कृपया गुरुत्व भाव से समझाने का कष्ट कीजिएगा।
@ बलबीर राणा 'अडिग'
मटई ग्वाड चमोली उत्तराखंड
प्रेषित:- #आमीर_मियां_जी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बलबीर राणा 'अडिग'
October 8 ·
**फौजी घर कु करवा चौथ**
हेलो!! हेलो?
खूब छां?
आज करवा चौथ छ
क्या छिन कना?
हेलो!!!!!
कनू तुमारु कपाल
चार दिन बटि
फोन नि आयी
म्यार 64 सौ
दयबता नाची गे।
दुनियां
एक दिनो बर्त रखणी
मेरु जीवन
को
बर्त च
मेसी पर रयाँ
वाय!!!।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Gyan Pant
 
जिम कार्बेट पार्काक शेर .....
के लाछै
के ल्हीबेरि जालै रे
रनकारा .....
खाल्ली - खाल्ली
किलै
" तौया " ल्ही रौैछै ।
...................
ज्यादे
अतराट
भल नि हुँन ....
चौमासै - गाड़
रौड़
कयी जनेर भै ।
................
सोल सिंगार
करी बाद ले
का्व मूँख
कावै रै ग्यो .....
मैं
सोचणैं में छूँ !
..............
अच्छयान .....
स्यैंणि - बैग में ले
कंप्टीशन है रौ ....
तु ठुल
कि मैं ठुल .....
आजि तय नि है रौ ।
...............
लिपि - घोसी
मूँख .....
कैको ले हौओ ....
झिट घड़ि मैयी
देखां
है जनेर भै ।
..............
जनमबारा - दिन ले
" फू "
करौ बल .....
अंग्रेज राणौ
भल सिखै ग्यो हो
हमन कैं । ज्ञान पंत
के लाछै -- क्या लाए थे , तौया --- परेशान करना , रनकारा --- यहाँ पर शैतान के लिए हे , रौड़ -- नाला , लिपि घोसी --- बनावटी , झिट घड़ि -- जल्दी ही

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Lalit Joshi
 
पहाड़ी नाम-2
.
पहाँडू में पेली, भलोभल नाम धरनी
फिर जिंदगीभर नामेकि, कुकुरगत्त करनी
.
भूवन, भुभि हैं जां
हेम, हेमूआ
सुरेश कें, सुरि कुनी
नरेश, नरूआ
मोहन, मोहनिया होय
तारादत्त, तरिया
गंगा सिंह, गंगु होय
धाराबल्लभ, धरिया
.
रमा कें, रमुली कुनी
कमा कें, कमुलि
अंजू, अंजुलि भई
भगवती, भगुलि
दुर्गा हैंजे, दुर्गलि
निर्मला, निर्मुलि
.
सुन वाल, हिरदा सुनार
लू वाल, कऊ लूआर
नानो ललित हूँ, लल्लू गांठी कुनी
मोट कैलाश, कैलू गिंड हुनी
ट्रक वाल सब, सेठ्ज्यु हाय
स्कूल वाल, बेहेंजी मास्सेप भाय
.
दम लगुणी उमेश कें, उमी अत्तरची कुनी
गप मारनी रमेश, रमु फसकी हुनी
खूब खानेर सुमन, सुआ खदुली
देखणचाँण रूपा, गों की रुपली
द्वार-द्वार घुमणि हरीश, हरु डोई
सिद्साद देबिदत्त, देबी लाट हे गोई
.
पहाँडू में नामेकि, येसी कुकुरगत्त हेरें
भ्यार वाल नाम धरला, फिकर कैंके हेरें

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jogasingh Kaira
August 17, 2016
।।भूली बिसरि यादें : पूरी नहीं तो अधूरी सही।।
है सकूँ तो सामिल है बे देखिलियो शायद शब्द संपदा में कुछ रौनक ऐ जो ।
1
दातुले की धारा ,
काटी छ अंग्यारा,
बीच गंगा छोड़ी गेछे,
नैं वारा नैं पारा,
भुलि जौंलो दातपटि
निभूलों अनारा,
तू जाड़ियाँ छोड़ी गेछे
बखते की मारा,
मेरि सुवा काटी गेछे
कलेजी का तारा,
च्यले च्याल हैजें सुआ
जा जाली तिपारा,
ज्योन जिया देखि जए
स्वर्गा का तारा ।।
2
हिसाई को रेटा
कफू बासो जेठा
आँचूइले पाड़ी पिनूं
नि भारिनों पेटा
तेरी बाटी देखि रयूं
कब हली भेटा ।।
3
तू किले निअई धना
डाँके की गाडी मा
ते जागिये रौयो धना
डाँके की गाडी मा
तू आली कैबेरा धना
डाँके कि गाडी मा
मैं चाइये रय धना
डाँके की गाडी मा।
तू किले निअई धना
डाँके की गाडी मा
4
मैं लाग उदास केकई
रामजी बणें में
नि कर निरास केकई
रामजी बणें में
निटोड़ तू आश केकई
रामजी बनें में
मैंले मरी जूंल केकई
रामजी बणें में
मैं कसिक रौंल केकई
रामजी बणें में।।...js

 

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