एक गढवली रचना
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A Garhwali Poem
By Sunil Bhatt
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ऐजा म्येरा युँ ख्यालौं बुथै जा,
खाली प्वटकी यी बिज्याँ छन।
खैरी खैकी छक्वै पटै की,
आँखीं द्वी मेरी स्हियाँ छन।
छंटै जा यूँ रात्यौं मा ऐकी,
सुबेर म्येरा भी बांठै की ।
समझै जा औ म्यरा दिनौं तैं,
बखैंयाँ मा ऐ जू रूस्याँ छन।।
आँख्यौं कु पाणी चुरै गेनी,
झप्प बुझै आँख्यौं उज्यालु।
जिकुड़ी का फांगौं माटु मा,
म्यरा सुपन्या कुछ दबैयाँ छन।।
दिल का कन्दुड़ौं झुल्ला कुचै जा,
चुभ्दी चस्स दुन्या की बात।
अपड़ा मोबैल भी यख लुखौन,
भै तमाशु द्यख्णौ छ्वड़्याँ छन।।
ऐजा म्येरा युँ ख्यालौं बुथै जा,
खाली प्वटकी यी बिज्याँ छन।
खैरी खैकी छक्वै पटै की,
आँखीं द्वी मेरी स्हियाँ छन।।
Copyright@ Sunil Bhatt
स्वरचित/**सुनील भट्ट**
१६/०१/२०२०