Very Nice Poem Sir bahut Hi Achhe shabd bhav hai apke wah........ati sunder kripaya likhte rahiye sir.........
बारिश की बूँदें गिरने लगी,
मेरा ब्याकुल मन झूम उठा,
सोचा क्या ये सावन का सन्देश है,
या किसी के इंतजार मैं आखें छलक उठी,
पहले तो कभी ऐसा न हुआ,
मन इतना ब्याकुल न हुआ,
क्या ये उसी सावन का सन्देश है,
जिसका मुझे वर्षों से इंतज़ार था,
मेरी आँखे जिसके इंतज़ार मैं सूख गयी,
सब कुछ वीरान सा हो गया,
जिन्दगी बेरंग हो गई,
पर इन बारिश की बूंदों से,
दिल मैं एक आस जग गई,
एक आवाज़ दिल से आई,
ये वही सावन है,
जो इस वीरान सी जिंदगी को रंगीन कर देगा,
इन सूनी आँखों मैं सपने भर देगा,
चारो तरफ हरयाली ही हरयाली होगी,
और इस जिंदगी का सूनापन खत्म होगा,
अब मैं जान चुका हूँ ,
यही सावन है,
यही सावन है,
यही सावन है.
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