हाजिर जवाबी में तो आपका,
कोई सानी दूर तक नहीं दिखता है,
आपने हमको गुरु कहा,
क्या खूबी संग सम्मान भी बिकता है?
मायूस नहीं मैं आपको ,
दिल से खुश करना चाहूँगा,
कुछ समय तो मुझ नादान को आप,
मैं खुद आपसे मिलने आऊंगा.
हाँ ज्ञान दयाल जी से मिले जो ,
मैं आपको अवगत कराऊंगा,
अगर आप पहले पा गए उनसे जो,
फिर यही मैं आपसे चाहूँगा......
दीपक जी दीपक जी कलम हमारी अभी नई है
इस्तेमाल नहीं अभी टेस्टिंग की गयी है
आप हमें भाई कहे बहुत बड़ी उपाधि दिए
हम खुस कम मायूस जियादा हुए
अब छोटे से ही ज्ञान लेंगे ये वचन दिए देते हैं
तुम दयाल जी को हम तुम्हे गुरु किये देते हैं
जो दयाल जी से मिले उसे हमें भी देते रहना
मिल बाँट खाएं गुरु चेले इतना हमें है कहना