मत करो अपने मन को, गम से गमासार,तनहा मागता है माफी, जोडकर दोनो हाथ,क्यो सुनना चाहते हो राजे जी, तनहा की लाचारी.ये तनहा छोड़ जो आया है, अपने प्यारे गांव, पहाड़.तनहा इंसान 16-08-2010
क्या तीर चलाया राजे जी, तुमने नेगी जी के शब्दो पर.इंतजार करो थोडी देर, अभी जल्दी देगे वो तुमहै उत्तर.तनहा इंसान 16-08-2010