Author Topic: श्री पूरन चंद कांडपाल, उत्तराखंड मूल के प्रसिद्ध साहित्यकार एव कवि : PC Kandpal  (Read 17406 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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श्री पूरन चंद कांडपाल, उत्तराखंड मूल के प्रसिद्ध साहित्यकार एव कवि

Dosto,

We are going to introduce you one of the famous Poet of Uttarakhand origin. Shree Poor Chand Kand Pal Ji who has written various books on Uttarakhand related issues as well as other social issues. He resides in Delhi and his writing has been highly acclaimed by people. He also got several awards on his writing.  Apart form his legacy with literature and poem  writing, he is also a social worker.

Here is the details of the books written by him.

BOOKS WRITTEN-

1. Jagar    (Upanyas)
2.  Banjar Mein Aankur (Upanyas)
3) Kargil Ke Ranbankure (kargil yudh 1999)
4) Ye Nirale (Kuchh Maha Manav Jeevanee)
5) Uttrakhand Ek Darpan (Uttrakhand ki tasveer)
6) Smriti Lahar (Kavita Sangraha)
7) Pokhar Ke Moti (Kahani Sangraha)
 8) Bachpan Ki Buniyad (Bal Sandesh)
9) Sharab Dhumrapan Aur Aap (Swasth Shiksha)
10) India Gate Ka Shaheed (Lekh Sangraha)
11) Ukao Horao (Kumaouni Geet-Kavita'Vyanga
12) Bhal Karau Chyala Tweel (Kumaouni Kahani Sangraha)
13) Sach ki parakh (Lekh Ev Vyangya Sangrah)
14) Yatharth Ka Aayna (Kahani Lekh)
15) Jindgi ki Jung = Kahai Sangrah
16) Yaado ki Kalika - Kavita Sangrah

17) ujaale ki or       (lekh sangrah)
18) Himmat – (nasha Mukti)
19) Maati Ke Mahak
20) Ujyaav- Kumaoni General Knowledge
21) Jindgi Jung



We will also put some the highlights of his books under this thread.

Regards

M S Mehta

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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राजनीति शास्त्र मे स्नातकोत्तर श्री कांडपाल जी रूडीवादी एव विकास के बादक प्रम्पराओ का विरोध करते है ! अंध विश्वास मिटाने, शीदो को ने भुलाने, देश प्रेम की जाग्रति, वधुवा मजदूर मुक्ति इता करमा प्रधानता को अपना लक्ष बनाते हुए वे बिगत दशको मे कई पुस्तके लिख चुके है है, जिनमे रूदिवादी एव बधुवा मजदूर के विरूद मे दो उपन्यास, एक कहानी संग्रह एव कविता संग्रह सम्मिलित है ! उत्तराखंड एक दर्पण, तथा उकाव - होरव ( कुमोअनी) २००७-२००८ की रचनाये है ! 


Risky Pathak

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Mehta Jee Good work....

'जागर' उपन्यास काण्डपाल  जी की प्रथम कृति थी| 'बचपन की बुनियाद' उनकी हाल में ही प्रकाशित पुस्तक  है|   

पंकज सिंह महर

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मेहता जी ने हालांकि कांडपाल जी का संक्षिप्त परिचय ही दिया है, लेकिन उससे ही पता चलता है कि कांडपाल जी साहित्यिक लेखनी के विद्वान होने के साथ-साथ पहाड़ प्रेमी भी हैं, "भल करो च्याल त्वील" शीर्षक देखकर ही बहुत अच्छा लगा।
     मेहता जी, इनकी किताबों के प्रकाशक कौन हैं, क्या उनका पता और संपर्क हमें मिल सकता है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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वर्ष १९९९ मे  कारगिल युद्ध मा ५२७  सैनिक शहीद हुए थे ! काण्डपाल जी ने ८४० घंटो मे ३८ चैपटरो की एक पुस्तक " कारगिल के रण बाकुरे" की रचना की ! इस पुस्तक मे शीदो की नामावली भी है! इन्होने अधिकांश शहीदों मी परिवारों को यह किताब पहुचाई ! जिसका उनके पास रजिसट्री एव कोरियर रहीद रहित पूरा रेकॉर्ड है !

वर्ष २००० मे इन्द्रप्रस्थ शाहित्य भारती सम्बन्ध अखिल भारतीय साहित्य परिषद आचार्य चतुरसेन सम्मान के भी सम्मानित भी किया गया है !
   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पशुबलि का विरोड़ करते हुए देवालायो को लहूलुहान होने के बचाने के लिए वे कई लेख लिख चुके है ! इनके से कई लेख ( आपकी की बात कालम मे चार सौ से अधिक लेख रास्ट्रीय सहारा और उत्तराखंड के विभन्न पत्रिका मे छपे है !  पशुवलि के विरोध मे इनके बिरदरो ने इन्हे बिरादरी से अलग कर दिया परन्तु इन्होने मंदिरों मे बकरी काटने का विरोध जारी रखा और लोग उनके अनुकरण करने लागे है ! "जागर" उपन्यास मे उन्होंने मसान पूजा (पशु बलि) का खुलकर विरोध किया है !

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Bahut himmat chahiye hoti hai apno ka virdoh karne main. Puran ji waastav main prashansa ke paatra hain.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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श्री काण्डपाल जी के क्रत्तव को समानित करते हुए ३० अगस्त २००४ को सुप्रसिद्ध राष्ट्रीय दैनिक समाचार राष्ट्रीय सहारा ने " प्रेरक व्यक्तितव सम्मान से समानित किया है !

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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काण्ड पाल जी ने उत्तराखंड पत्रिका मे प्रकाशित लेख " जाग सभापति जाग" के शीर्षक के देश के सभापतियों को उनके कर्तव्य के प्रति जगाया है तथा इस लेख की सैकडो प्रतिया लोगो तक पहुचाई है ! इस बात का उल्लेख मई २००४ के दैनिक जागरण के भी प्रकाशित हुवा है ! इस पत्रिका मे जन जागरण हेतु इनके लेख निरंतर छपते रहते है !

 

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