मा और बौजि
नौनि रे बौजि बडा घर की , खरी नि वीकी खायी रै
चार भायो की यकुली बैण, यान भी कुछ पत्कायी रै
नि रणु दबी सैसर मा , कुछ मरी जमाना कि पैड,
कुछ मैत्यो की बि सिखायी रै ,
माडा घर का माडा जोग , माडी हि भैजी की कमायी रै ,
उलार नी हैन कुटम्दारी मा पूरा , यान बि बौजि कुम्णायी रै,
मा रै यक्ल्वार्स्या सदानी की , बल काम कु ही हबासू रै,
फिक्का पक्दा गैन दुयो का , दुर्मति को यनो बासो रै,
गरीबी थै जड नागल कि , सासू ब्वारयो कु सुद्दि तमाशु रै /