Kandli
By : Jyanti Prasad Badauyee
मि छौं हारू घास कण्डˇि,
रैंदू बारामास कण्डˇि
तना म्यारू हारू हू°द
पत्ति मेरी हैरि
जलड़ु मेरो गुण हू°द
भुज्जि मेरी हैरी
हींग तुड़का लगै कैकि
चुनै रोटी साथ मा
चटपटी सुमर्या°ण लगदी
स्वाद लगदू जीभि मां
भूत - भूतड़ा भगांदू मी
छैˇ - झपेटू जब लगद,
छोटा नौंनो को सबि अन्याड़
मेरि डैरी को भाजि जांदान
तपदि भारी रूड़ि मास
मेरी कण्डˇि ककड़ि खैकी
तीस सबकी बुझी जांदा।
बाद मां जब बुडे़ जांदू,
मेरी छाल काम आंद
मेरा रेशों कू कमाल
कनु भलू सुहाणु लगद
थौला ट्वपली भलि बण्दीं।