आंदोलनकारी राजधानी मा
By : Lalit Keshwan
∫य भै कन झकमरै ∫वेया, हमारी राजधानी मा।
दभै अब क्वी बि नी सुणण्यां, हमारी राजधानी मा।।
हमूं तैं रात प्वड़ि ग्याई , वूंकि राति अपणी छन।
अज्यंू तैं रात नि खूले, हमारी राजधानी मा।।
∫य रां क्वी घाम लग गेने, इने बल घाम लगणा छन
अज्यूं तैं घाम नी आए, हमारी राजधानी मा
ज्यों पर छै नजर सबकी,अब वी लोग ब्वन्ना छन।।
झणि कैकी नजर लगगे, हम पर राजधानी मा।
छ्वट-छवट् डाम धारी बड़-बड़ा डाम बणना छन।।
छिः भै कना डाम प्वड़ना छन हम पर राजधानी मा।
हमारी खैरि सूणी की,वंू बी खैरि ऐ ग्याई।।
अब त खैर नी कैकी , हमारी राजधानी मा।
हमूं तैं दाड़ि किटनी ज्योंन, वंूकि दाड़ नी खूली।।
खुल जांदी त हडगी बी नि मिल्दी राजधानी मा।
वु पेटम कुछ बि नी रखदा, वु हैंकाअ पेट जब्कौंदन।
यू जब्का जब्कयों म प्वड़ने ,धब्का राजधानी मा।।
हमन द्वी आ°खा झपकैने, वूनं एकी झपकाये।
यू झप्का झपक्यों म, झप्वडे़ग्यां हम राजधानी मा।।
मनखि मनस्वाग ह्वै गैने, यु सूणी वो बिफिर गैनंे।
वु हमक्वी बाघ बण गेने ,हमारी राजधानी मा।।