The First Poem I am putting on behalf of Mr Geetesh Singh Negi Ji on 10 yrs of Uttarakhand
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दस साल बहौत दिन व्हेय ग्यीं
उठ्णु चा एक सवाल मनं मा
सोच्णु छोवं आणि दयूं उम्बाल थेय बैहर अब
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
छेई आश होलू बिगास
व्हेय ग्यीं दस साल
पर नि व्हेय अभी कुछ खास
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
कन्न लाडा छाई,कन्न जीता छाई
कन्न कन्न खेला छाई हमल खंड
एक छाई जब मांगू हमल उत्तराखंड
याद कारों पौड़ी ,मंसूरी ,खटीमा गोलीकांड
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
भूली ग्यो सब सौं करार ,रंगत मा छिन्न गौं बज्जार
ना बिसरा उ आन्दोलन -हड़ताल , उ चक्का जाम
एकजुट रावा, बोटिकी हत्थ,ख़्वाला आँखा अब
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
जाओ घार ,पहाड़ मुल्क अपड़ा सुख दुःख मा
ना बिसरो कु छोवं हम
ध्यो करला देब देब्तौं ,अपड़ा पहाड़ी रीति-रिवाजौं हम
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
जक्ख भी रौंला ,मिली-जुली की फली- फुलिकी
बणा दयावा वक्खी एक प्यारु उत्तराखंड महान
एक ध्यै,एक लक्ष्य ,एक प्रण, बढ़ोला उत्तराखंड की शान
कैकी कन्ना छोव अब हम जग्वाल
(उत्तराखंड राज्य का उन् सपनो थेय समर्पित जू अबही पूरा नि व्हेय साका )
रचनाकार :गीतेश सिंह नेगी (सर्वाधिकार सुरक्षित )