Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 291373 times)

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

#बगत.....
Garhwali Poem by Virendra Juyal
बगत छिरकुणुं च लाटा अर तू देख्दै रैग्ये।
बिंगण नि चाणु छै किलै बोल त्वै क्या ह्वैग्ये।।
बगत एक बाटु चा
जैमा हम हिटदा बि छो अर रिटदा बि छो।
बगत एक चिट्ठी चा
जैथै हम ल्यख्दा बि छो अर पढदा बि छो।।
बगत एक मुसु चा
जो खैंडि बि जांद अर चंग्वोरि बि जांद।
बगत एक बसग्याल चा
जैमा सुख क छोया बि फुटदि
अर दुख क ब्वगण बि आंद।।
बगत एक सूड बथौं च जो कुंगला डालौं थै लटकै जांद।
बगत सब्युंक दगुडु करंद जुयाल पर लौटिक कब्बि नि आंद।।
@

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1

#बगत.....
Garhwali Poem by Virendra Juyal
बगत छिरकुणुं च लाटा अर तू देख्दै रैग्ये।
बिंगण नि चाणु छै किलै बोल त्वै क्या ह्वैग्ये।।
बगत एक बाटु चा
जैमा हम हिटदा बि छो अर रिटदा बि छो।
बगत एक चिट्ठी चा
जैथै हम ल्यख्दा बि छो अर पढदा बि छो।।
बगत एक मुसु चा
जो खैंडि बि जांद अर चंग्वोरि बि जांद।
बगत एक बसग्याल चा
जैमा सुख क छोया बि फुटदि
अर दुख क ब्वगण बि आंद।।
बगत एक सूड बथौं च जो कुंगला डालौं थै लटकै जांद।
बगत सब्युंक दगुडु करंद Juyal  पर लौटिक कब्बि नि आंद।।
-

दिनांक-22-05-17.

--
 

Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Pauri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Chamoli Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Tehri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Dehradun Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Haridwar Garhwal, Uttarakhand; Himalayan Poetries, North Indian Poetries , Indian Poems, SAARC countries poems, Asian Poems
 गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; पौड़ी  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; चमोली  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; रुद्रप्रयाग  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; उत्तरकाशी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; देहरादून   गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  हरिद्वार गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1






गज़ल
*****
Garhwali Ghazals by Payash Pokhra
हम त सदनि आंख्यूं मा आंसु सि सरकणा रवां |
न बल तुम त आंख्यूं मा खैड़ सि करकणा रवां ||
वींकी देळिम बटैकि तिसळा हि बौड़िक ऐ ग्यवां |
जैं चोळि का बाना खरयां सरग सि बरखणा रवां ||
रुप्या कळदारु की माळा पैरिक आंखि अागास च |
हम त माटा मा खुट्यूं ताळ पैसा सि गिरकणा रवां ||
बनि-बनि उज्यळों का बीच अंध्यरु भि चमकद |
पोतळ्यूं का कौथिग मा जोगण सि छिरकणा रवां ||
कबि न कबि तुमरि खुट्टि भि कुरचळि त सै हमथैं |
इन जाणिक गंगल्वड़ा सि हरकणा फरकणा रवां ||
द्यख्दै-द्यख्दा बड़-बड़ा पोड़ भि जगा छोड़ि गैन |
तबि त हम भि जर-जरा कैकि उंदू रड़कणा रवां ||
"पयाश" दगड़ा का सबि बाँज-बुराँश भि फूलि गैन |
हम त खरड़ी मुण्डळि जना पाड़ सि दरकणा रवां ||
-
@पयाश पोखड़ा |

Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Pauri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Chamoli Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Tehri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Dehradun Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Haridwar Garhwal, Uttarakhand; Himalayan Poetries, North Indian Poetries , Indian Poems, SAARC countries poems, Asian Poems
 गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; पौड़ी  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; चमोली  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; रुद्रप्रयाग  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; उत्तरकाशी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; देहरादून   गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  हरिद्वार गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; Ghazals from Garhwal, Ghazals from Uttarakhand; Ghazals from Himalaya; Ghazals from North India; Ghazals from South Asia

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


Garhwali Couplets by Preetam Apachhyan -350
-

जांदि त जै ल्हे प्यारि छुची, त्वेतैं मैंन क्य द्यौंण
क्वांसा दिलौ ल्यखदरु छंऊ, ल्हीजा गीत समौंण
(हे मेरी प्यारी! तू जाती है तो चली जा. तुझे मैं क्या दे सकता हूं? मैं तो कोमल दिल का एक लेखक हूं, ले दो चार गीत ही निशानी के तौर पर ले जा)

-
Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Pauri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Chamoli Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Tehri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Dehradun Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Haridwar Garhwal, Uttarakhand; Himalayan Poetries, North Indian Poetries , Indian Poems, SAARC countries poems, Asian Poems
 गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; पौड़ी  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; चमोली  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; रुद्रप्रयाग  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; उत्तरकाशी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; देहरादून   गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  हरिद्वार गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; Ghazals from Garhwal, Ghazals from Uttarakhand; Ghazals from Himalaya; Ghazals from North India; Ghazals from South Asia, Couplets in Garhwali, Couplets in Himalayan languages , Couplets from north India

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


छ्वीं •••••=66.
Garhwali Poem by Virendra Juyal
◆क्य अर किलैई कना छी ?
उक्टेणु खुणि सगोर ब्वना छी।
सटूलों खुणि चकोर ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
सिकासैरियों खुणि अक्ल ब्वना छी।
माटा क हटगों खुणि शक्ल ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
दौंरेट खुणि चखल पखल ब्वना छी।
कुंमस्यों खुणि उकल तकल ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
अनड्या अपडा खीसा भ्वना छी।
पढया ल्यख्यां यख माखा मना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
जो प्रेमी बणिक सौं करार कना छी।
वो ब्यौ का बाद हैंकी धना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
चुनौ बगत नेता राम राम ब्वना छी।
जीतीकै हमसे नि हूण काम ब्वना छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
इस्कोलम पढाण वोला नोट छपणा छी।
जौंल पढणु छो वो घाम तपणा छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
सरकरि बाबू दफ्तरौं मा उंगणा छी।
जनसेवा क बदल दान मंगणा छी।।
म्येरि त समझम पतै नि आणी
यो इन क्य अर किलैई कना छी ?
-
Copyright@ Virendra Juyal
-
Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Pauri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Chamoli Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Tehri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Dehradun Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Haridwar Garhwal, Uttarakhand; Himalayan Poetries, North Indian Poetries , Indian Poems, SAARC countries poems, Asian Poems
 गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; पौड़ी  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; चमोली  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; रुद्रप्रयाग  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; उत्तरकाशी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; देहरादून   गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  हरिद्वार गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; Ghazals from Garhwal, Ghazals from Uttarakhand; Ghazals from Himalaya; Ghazals from North India; Ghazals from South Asia, Couplets in Garhwali, Couplets in Himalayan languages , Couplets from north India

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
स्व. राजेंद्र धस्माना (10जून,1936--16मई,2017)
एक सिद्धहस्त कवि, लेखक,संपादक, पत्रकार अर रंगकर्मी होणा का साथ-साथ
एक इना दुर्लभ जागरूक
जन-कार्यकर्ता भी छया,
जु उत्तराखंड ही न बल्कि देश का
तमाम छ्वटा-बड़ा जन-सरोकारु का प्रति
अपणा समर्थन अर सक्रिय मदत का वास्ता
हर समय तत्पर रैंदा छया
अर जौं फर भरोसो करे सकेंद छयो ।
पुण्यात्मा धस्माना जी तैं
सादर श्रद्धांजलि स्वरूप प्रस्तुत छ
स्वयं वूंको कर्यूं पंजाबी का
क्रांतिकारी कवि अमर शहीद अवतार सिंह 'पाश' की
द्वी पंजाबी कवितौं को गढ़वाली अनुवाद,
जु हमुन् दिल्ली बटि सन् 1989-90 मा प्रकाशित गढ़वाली भाषा का मासिक अख़बार 'मंडाण' का संयुक्तांक अप्रैल-मई,1989 मा प्रकाशित करि छयो:
****************************************
हे रात, जरा मेरि
आंख्यूंं मा त देख
***************
--अवतारसिंह 'पाश'
क्वांसु मन झकझकु सरैल
बजुरु द्यखणू च अपणी जड़ु की तरपां
गैणा भी नि लगाणा छन क्वी छ्वीं-बात
ह्य भै, क्य ह्वे होलो ईं रात तैं
म्यारा बान नि ह्वेदि तु सुदि-सुदि उदास
तिल् क्या दीण म्यारु, हे चुचि रात !
रैण दे सुदि-सुद्या सोच
जुगार लग्यां गोर एक सोर छन बैठ्यां
अर सर्या गौं सेइ-सि गे जन सुपिन्यौं की खुचिलि
तु रैण दे रात,सुदि-सुद्या सोच नि कैर
मेरि यूं आंख्यूंंम् त झांक
जौंल् नि द्यखुणु अब उ दगड़्या
अखबारुम् छन जैकी सुर्खि आज
हे रात, तेरि वै दिनै रंगत कख गये
जै दिन उ छ्वाया को पाणि-सि
ऐ छौ गद्-गद्-गद्
जुन्यल़ि रातम् पैलि पाढ़ा छौं दगिड़ि-दगिड़ि
फिर चोरु की तरां करणा रवां बहेस
अर बहेस कर्द-कर्द लड़ण बैठि ग्यों
एक-दुसरा दगड़
हे रात, जब तलक लड़णा रवां हम
त बड़ि खुश रै तु
अब ह्वे ग्यों जब एक-दुसरा से दूर
तब किलै छै तु इति माप उदास
त्वे तैं जाण वल़ा का सौं
नि खयेण चैंद त्यारु ज्यू
तिल् क्य दीण म्यारु
मी जि छौं त्यारु दीणदार
तु दे मी बधैई
मि दींदु पुंगड़्यूं तैं
यूं तैं सब पता च
आदिमौ ल्वे कखम् प्वड़द
अर क्य मोल हूंद वेको
इ सब जणदन्
इलैई ब्वनू छौं --- हे रात !
तु मेरि आंख्यूंंम् देख
अर मि भविष्य की आंख्यूंंम् द्यखुदु ।
------------
जेल से छुटण पर
*************
--अवतारसिंह 'पाश'
रिहा होण फर
जब आप भैर अंदन
त हिटणु सिखणा खुण
फिर से नि लगौण प्वड़दन् ग्वाया
ना ही फिर बोलणु
सिखण प्वड़द तुतलैकि
अर हिंगर गाडिकि
ब्वे को दूध कु ख्वजद !
बस असमान मा लिख्यां नामु मा
ढूंढदन आप अपणो नाम
हवा गवै देंद
अर डाल़ा-बूटा झूम उठदन स्वागत मा
ईं तरां शुरुआत होंद
फिर से जिंदगी की
फिर वी कशमकश, वी खैंचाताणी
आत्मा तैं बुथ्योण खुण
मनख्यूं को फिर वी लक्खि-बक्खि बूण
हर्चि जाण खुण
फिर वी जितणा की उम्मीद....
इन होंद शुरू
जिंदगी को सिलसिला नै सिरा से ।
---------
(द्विया पंजाबी कवितौं को
गढ़वाली अनुवाद: राजेंद्र धस्माना,
मंडाण, अप्रैल-मई, 1989 मा प्रकाशित)
Curtsey by Netra Aswal

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1



आसीस सुंद्रयाल की गढ़वाली कविताएं
-

गवर्या डागटर
Satirical , Realistic Garhwali Poem by Asis Sundariyal
-
हमर यखौ/ गवर्य डागटर
उन त वो
कम्पाउंडर च
पर लोग वे कु डागटर हि ब्वादिन
किलैकि
एक त
लोगों कु आज तक डागटर द्यखयूं नी
अर
दुसरु वो डागटर से कम दिखेंदु भी नी
ठाट छन भग्याना
ब्वे बाबू कोटद्वार रंदा
बच्चा पौड़ी पढ़दा
पिछला मैना डेरादूण जमीने रजिस्ट्री कै
ये मैना सेकंड हैंड कार ल्है
अब बक्कि चयेंदु क्या च
घर्र स्टार्ट कै गाडी अर सर्र पौड़ी
छंछर वख अर सुम्बार यख
कबि सुम्बार को ज्यू नि ब्वालु ता
मंगल ऐ जावा
न कुवि द्यखणं वलु
न कुवि पुछण वलु
मज़ा छन साब
सरकारि नौकरी जो मिलीं च
पर
आज भले यीं सरकरि नौकरी भ्वार
डागटर साब ऐश छन कना
पर वो वे दिन नि भूला
जब
लोगुन वूं तै अपणी नौनी देंण से
साफ़ कै दे मना
इलै ना कि वो गवर्य डागटर छ
पर इलै कि वो घर्या डागटर च
वो त वेकु जोग भलु छौ
जो वेकु बुबा मास्टर छौ
अर वेन रिटायर्ड हुंदै /
कोटद्वार म प्लॉट ल्हे
बस इन समझा/ वे प्लौटा परताप ही
डागटर साबौ ब्यो ह्वे
इलैहि / जनि डागटर साबम जरा पैसा ह्वे
वून सीधा डेरादूण म प्लॉट ल्हे
ताकि इन नि ह्वा
कि
घर्या बोलिक वूंका नौना तै /
नौनी नि द्या...............
=

.बंबई वलि बोडी
उन ता /मेरि बोडी बम्बे रैंद
पर
साल छः मैना मा/ एक बार
ऐ जांद / घार
 अर
सीधा ऐकी/ अपणा भित्र जैकी
ह्वे जांद लम्पसार
उन ता / मेरा बुबा भयूँ मा
आजतक क़्वी बँटवारु नि ह्वे
पर
ब्वाडा तिन्नी भयूँ मा बीचौ च
त/ बोडी बीचा खंड पर/ आंदे कब्ज़ा कै देंद
उनौ हौरि दिनु / मि रैंदु वे भित्र
मेरा ब्यो कु पलंग / आलमारी / ड्रेसिंग टेबल
सब कुछ वे हि भित्र च
ब्वारी का गैणा/ नौनौ क खेल खिलौणा
सब कुछ वे हि भित्र च
पर हमारि क्या मज़ाल
कि/ बोडी आंण क बाद /
हम जो खुट्टी बि धैर दीवां/ वे भित्र
आज भि बोडी/ बीस भांडों मा
अपणा मैतै / डाडूली अर पणै तैं
खट बिरै देंद
पोर ब्वाडा न /पाणी डिग्गी बणाणो
अपणु बांजु पुंगडु देंणु "हाँ " क्य बोली
कि
बोडिन पंचैतीमै पित्र पूजिदीन/ ब्वाडा का
अबि/ ऐंसु श्वासअ मरीज
कमलू काकान/ कतना हाथ - खुट्टा जुडीं बोडी कु
पर मजाल क्य च / कि बोडिन एक अंगुल जमीन दे दे हो
वे अपंण घौर तक रोड लिहजाणु
उल्टें/ छ्यडला कांडों बाड हौरि कैरया
अपण कारा पर
उन त
बोडी बड़ि बड़ि बात करद
हमारु बंबे मा इन छ/ उन छ
पर
बोडी
जब घौर बटे जांद
सट्टी/झुंगरु/ कोदू
छीमी/ भट/ गैथ
कट्टा /कुटरा भोरि-भोरी लिहिजान्द
पर
जो हमरा गौं का लोग वख रैन्दिन
वो ब्वादीन
कि
न बोडी/ न ब्वाडा
न नौना न ब्वारी
न नाती न नतणं
ये कोदू/ झुंगरू कुइ नि खांद
त फिर
पतानि किलै
उन ता /मेरि बोडी बम्बे रैंद
पर
साल छः मैना मा/ एक बार
ऐ जांद / घार
=
=
बमबारी
-
Garhwali Poem by Asis Sundariyal
-
जै दिन बटे
लीखौंन् कै सुसाइड अटैक
जुवों पर
अर
फेर
जुवोंन् ध्वलीं लीखौं पर बम
वे दिन बटे
बरमण्ड हुयुं च मेरो झम
ब्वन- बच्याणु
सुणण-सुणाणु
द्यखण- दिखाणु
सब कुछ ह्वेगे कम
सिरप स्वचुणु छौं जादा
कि
समझणा किलै नि छॉं हम
=
=
फरक......
उत्तराखण्ड बणण से "पैलि"
अर
उत्तराखण्ड बणणा बाद "अब"
मा
सिरिप
यी फरक च
कि
पैली
वो बिरणा रुवांदा छा/हमतैं
अर
अब
यूँ अपणों खुणि रूणा छा/हम
अर स्वचणा छा.....

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1


 
गढ़वाली हाइकु
-------
*******वीरेन्द्र पंवार
(1)
जन सुख मा
दुख मा भी उन्नि, ब्वे
जन पहाड़।
(2)
इ डाण्डा काठा
खुदेणा छन भौत
तेरी खुद मा।
(3)
पाच साल मा
तुमारी मुखड़ी ह्वे
तिमला फूल।
(4 )
अपणा घोलु
कबि बौड़ीक आला
उड़दा पन्छी।
(5)
खैचमखैच
कुटुम भयात मा
सदानी रैन्द ।

-
-
Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Pauri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Chamoli Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Rudraprayag Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Tehri Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Uttarkashi Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Dehradun Garhwal, Uttarakhand; Garhwali Poems, Folk Songs , verses from Haridwar Garhwal, Uttarakhand; Himalayan Poetries, North Indian Poetries , Indian Poems, SAARC countries poems, Asian Poems
 गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; पौड़ी  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; चमोली  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; रुद्रप्रयाग  गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  टिहरी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; उत्तरकाशी गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; देहरादून   गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ;  हरिद्वार गढ़वाल , उत्तराखंड ,हिमालय से गढ़वाली कविताएं , गीत ; Ghazals from Garhwal, Ghazals from Uttarakhand; Ghazals from Himalaya; Ghazals from North India; Ghazals from South Asia, Couplets in Garhwali, Couplets in Himalayan languages , Couplets from north India

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
गढ़वाली मुंडरु - हाइकू - {गढ़वालिम}
.
सब यखि च …..
स्वर्ग या नरग …….
जंणींदु नी च ….. {#: 44}
.
.
Of and By : कृष्ण कुमार ममगांई
ग्राम मोल्ठी, पट्टी पैडुल स्यूं, पौड़ी गढ़वाल
[फिलहाल दिल्लि म] :: {जै भैरव नाथ जी की}

Bhishma Kukreti

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 18,808
  • Karma: +22/-1
गढ़वाली मुंडरु - हाइकू - {गढ़वालिम}
.
डौंरै चटाग …..
द्यबतौं कि बयाल …….
नच्चा नच्च ….. {#: 45}

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22