जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
"पाड़ मा नेता"
देहरादून बिटि,
नेता जब गैरसैण जाला,
अपणि कछड़ी वख लगाला,
पाड़ भौत सुन्दर छ,
यनु भि बताला,
पहाड़ में क्योँ नहीं रहते हो?
तुमारु विकास आज ह्वैगी,
पलायन क्यों करते हो,
जहाँ हम रहते हैं...
खाली पहाड़ का,
क्या विकास करें,
तुम वापस पहाड़ आओ,
हमें वोट देते रहो,
पर ज्व बात हम पसंद निछ,
कतई मत बोलो...
गैरसैण क्या है,
न हम जानते हैं,
और बींगते भी नहीं,
यहाँ आये हैं,
राजनीतिक मजबूरी है,
देहरादून से यहाँ की,
भौत दूरी हैं.....
हम नेता देरादूण वाले हैं,
तुम जिंदगी भर भटकते रहो,
हम पांच साल बाद,
कुछ दिन के लिए भटकते हैं,
तड़फते हैं,
कहेंगे,
जब आला "पाड़ मा नेता"....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"