इनी मेरी क़ज़ाण च:"
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मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
देखि नी होलि कभी कैन , इनी मेरी कजाण च
भैंसी सी खबड़ी वींकी, हाथी जनी चाल च
चमड़ी वींकी इन कोंगऴी, जनी गैंडा की खाल च
आँखा वींका ढढू जना, गधी सी आवाज च
जुवाँ मुंड पर इथ्गा छन, दिन रात की खाज च
मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च ..
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मुखड़ी वींकी इनी प्यारी , जन खरस्यण्या कखड़ू हो
टंगड़ी वींकी मोटी इथ्गा, जन सुख्यूं सी लखड़ू हो
सुप्पा जन कान वींका, तिमला जन नाक च
कुकुर सी भुकुण मा वींकी, अपणी अलग धाक च
मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
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धम्म -धम्म जांदी जन, पैलवान क्वी तगड़ू हो
लट्ला वींका इन कुसज्जा , जन बाड़ी कु झंकड़ू हो
रंग वींकू क्या बतौण, जन फुक्यूं सी अरसा होंद
गलोड़ा वींका तिड़याँ इन, जन कट्ठऱ बगोट हो
थौऴ मा जाणै सिरड़ी गड़ी, मिन वा अब सजाण च
मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
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लम्बै वींकी इन ज्यादा, जन घौर की जन्दरी हो
मोटै इन च जन बोल्यो, क्वी लपेट्यीं मंदरी हो
पथा द्वि-एक भात खैकी ,आराम से सेंदी च
नींद मा रौंदी जब, बाघ सी वा घुरदी च
दगड़ी सेण बडू मुश्किल ,सेयाँ मा लतौंदी च
मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
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झुमका पैरदी कान पर , जन मंदिरअ घंडलू हो
गौऴा पर माळा पैरदी , जन भैंसा कु संगळू हो
बाँदर सी खिर्स्येंदी वा, जब वीं मै पै गुस्सा आँद
सूपर्णखा सी दिखेंदी वा, जब मै वींका धोरा जांद
इन सैंदिस्ट खबेश से ,हराम सेण खाण च
मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
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कमर वींकी बरीक इन, जन डाळा कू गोळ हो
कपड़ा वीं पै इन लगदा ,जन रजै कू खोळ हो
भूत सी हैसण वींकू , थकलू जन खंगड़ौंद च
बचाण वींकू बकि बात कू , कागु जनी बसदी च ,
छुयूं मा सब हौरी जांदन, इन भारी बबाल च
मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
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मामला ब्यो कु हो त भुलौं, कै हैंकै कभी नी सुण
गढ़-कुमौ सरू एक हवे जाऊ पर अपणी कजाण अफ़ी ढूंढ़ण,
नी ढुंढल्या त कैन न कैन तुमतै फंसै देंण,
बिना दहेज़ कु कैन अपणु आईटम थमै देंण
जन मै सैणु तुम नि सैयां , इन मेरी इच्छा च
कवी तुम तै नी पुछू ,दिदौं कन तुम्हारी कजाण च
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मैं तै न पूछा दिदौं कनी मेरी कजाण च
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(अविनाश ध्यानी)
ग्राम -लिही (पौड़ी गढ़वाल)