Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527743 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हमर पहाडा कू हेरू रंग चा ,
 ठंडी हव्वा ठंडू पाणी हमर संग चा ,
 उत्तराखण्ड की खूबसूरती देखी दुनिया दंग चा I
 देवी देवतो कू यखी वास चा ,
 हमर गढ़वाल की बात ही कुछ खास चा I
 उत्तराखण्ड भारत कू एक खूबसूरत अंग चा ,
 हमर पहाडा कू हेरू रंग चा I
 ठंडी हव्वा ठंडू पाणी हमर संग चा II

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 ज़िन्दगी मा आई वा बांद, जन हवा कू झोका I
 कतका कोशिश करीनी मिन, पर नी मिली मोका I
 सुख चैन दगडी लीगे, जिकुड़ी मेरी घैल केगे II
 
 मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 बोली छौ उइन, साथ च मेरु उम्र भरी कू I
 यखुली यन रेग्यो मी, जन भात बिना तरी कू I
 सुख्यू भात खैकी मेरा पुटुक बिनेगे II
 
 मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 खैर विपदा लगेनी उइंमा, अपरा दिला की I
 चिंता नी कारी मिन, फिर फ़ोन का बिला की I
 पर की जण छाई वा, फ़ोन पर ही सेगे II
 
 मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 दूध लीणा कू गयु मी, उइंका बार मा सोचीकी,
 टोकन डाली मशीन मा, मिन मदरडेरी पौंछीकी,
 सुचदा-सुचदा उइंका बार मा, वा समीणी ऐगे I
 दिखदी रेग्यो उइंतेकी, अर सरया दूध खतेगे II
 
 मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 ब्याली रात सुपन्यु देखी, वा मै दगड़ बच्यानी चाI
 गों - गों बाजारू मा वा , मेते ही खुज्यानी चा I
 जन्नी दिला कू भेद खोली , ढाई आखर प्रेम कू बोली ,
 तन्नी सुबेर ह्व़ेगे II
 
 मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 जून जन्नी मुखडी उइंकी भूले नी भुलेंदी,
 मायादारो की माया कभी तराजू नी तुलेंदी I
 सुरम्याली आंख्युन झणी कन जादू केगे '
 सिदू सादू दीपू ते बोल्या बनेगे II
 
 मन मेरु उदास ह्व़ेगे I
 दिल की बात दिल मा रेगे II
 
 Written By : Deepu Gusain ( दीपू गुसाईं )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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arhwali Classes "गढ़वाली छुई" ब्याली इक चांदी कु तार सीदिखेनी लटलियुं माँ
 दिउर चांदी कु इक तार सी दिखेनी लटलियुं माँ
 अभी त हियुं पोडालू भौजी हियुं पोडालू
 अभी त हियुं पोडालू भौजी हियुं जामालू ..
 दरुनी उमर च यनु हेंसी न उड़वा दिउर्जी
 अभी त ऐना हेन्सलू भौजी ऐना हेसलू
 एसु अजी तक बसंत किले नि औ होलू .
 दिउर अजी तक बसंत किले नि औ होलू .
 अजी त मो तुटलो फिर फागुन लगलू .
 भौजी मो तुटलो फिर फागुन लगलू
 रंग पिचकारी न मार सुखी गात माँ
 दिउर पिचकारी न मारा सुखी गात माँ
 अभी त हियो बर्खालो भौजी हियो बर्खालो
 कंदुडी बयानी च अनबोली बात सुणिनी दिउर्जी
 अभी त आंखी बोलली भौजी जिया सुनलो
 अभी त आंखी बच्याली भौजी जिया सुनलो

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हे हे हे
 सब काखडी खयालि छ्न मादुन,
 बिग्च्यां छ्वरा,
 शरम भी नि ओन्दि मादों,
 अपडा लुंगलों पर जा दे,
 खुटा टुटला ऊंका
 जड मरली, नि आला घर
 रवा भी नि छोडीन मास्तुन १
 अर्र लोण कि पुडकी दिखा दै सब खत्युं,
 सेडु लुंगलु धधोड्यालि मादुन १
 पलीत..!!
 अपडा लुंगलों पर जा दे,
 प्रणाम बड्डी
 बड्डी क्या वै....किलै छै गालि दयणी ????????
 गोलमाल छ सब गोलमाल छ: १११
 
 @ Deepp Negi..!!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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by Pratibimb Barthwal from UAE
 कथका ब्वाला पर क्वी नी सुण्दू,
 अंगरेज बणीक अपणी सान समझदिन
 अरे जख तख जन भी ब्वाला दगड्यो,
 पर इख सब अपणी भासा समझदिन
 पूछा के ते, मी बी छौं उत्तराखंडी
 बड़ू ज़ोर लगे की इन सब बुलदिन
 बीन्ग नी सकदिन गढ्वली कुमौनी
 बुलण मा कथका त सरम समझदिन
 चला दगड्यो ये पन्ना मा अब सीखी जौला
 पोस्ट नोट्स चित्र मा हम कुछ आप ते बतौला
 जू लिख्यूं च वे पेढ़ी अब तुम कुछ सीखी ल्यावा
 अफू बी सीखा दगड्यो ते सिखे अपर प्रेम जतावा
 गढ्वली कुमौनी ये पन्ना मा सिखला सिखौला
 उत्तराखंडी बणी की हम सच्चू उत्तराखंड बणौला
 - प्रतिबिम्ब बड्थ्वाल

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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प्रयाग पाण्डे क्या भूख लगना कोई अपराध है बताओ ।
 सच -
 मेरे वश में नहीं था ,
 मेरा जन्म लेना ,
 अन्यथा मैं पैदा नहीं होता ,
 तुम्हारी इस व्यवस्था में ,
 जहाँ तुम आदमी को
 एक रोटी तक नहीं दे सकते ...........।
 
 (कानपुर  के रंगकर्मी , कवि और चित्रकार श्री संजीबा  की कविता का अंश )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बालकृष्ण डी ध्यानी उत्तरखंड गांधी धन्य हो
 
 धन्य अखोडी धन्य हो
 धन्य हिंदाव पट्टी धन्य हो
 २४ दिसम्बर १९२४ साल धन्य हो
 उत्तरखंड कु सपूत जन्मया हो धन्य हो
 धन्य अखोडी धन्य हो
 धन्य हिंदाव पट्टी धन्य हो
 
 धन्य विश्वनाथ घाटी धन्य हो
 धन्य बीर घाटी धन्य हो
 नव धरे इंद्रमणि धन्य हो
 उत्तरखंड कू बडोनी धन्य हो
 धन्य टिहरी गढ़वाल धन्य हो
 धन्य मेरु उत्तराखंड धन्य हो
 
 उत्तरखंड कू सपूत धन्य हो
 पीड़ा खैकी पीड़ाहरी धन्य हो
 उत्तराखंड राज्य आन्दोलन धन्य हो
 अलख जगाणु वहलो धन्य हो
 धन्य अखोडी धन्य हो
 धन्य हिंदाव पट्टी धन्य हो
 
 देवदार डाली झुमैली धन्य हो
 गाथा उत्तराखंड लगेली धन्य हो
 शहीदों बेल पनपैली धन्य हो
 बीर गाथा सुनेली धन्य हो
 धन्य टिहरी गढ़वाल धन्य हो
 धन्य मेरु उत्तराखंड धन्य हो
 
 अपरा थै भूली आपरों बाणा धन्य हो
 कंण पीड़ा हारी कृष्णा मुरारी धन्य हो
 लड़दे लड़दे शहीद होगेणी अमर होगेणी धन्य हो
 १८ अगस्त १९९९ छोडीकी गै सर्ग धारी धन्य हो
 धन्य अखोडी धन्य हो
 धन्य हिंदाव पट्टी धन्य हो
 
 वो उत्तरखंड कू गांधी धन्य हो
 बुरंसा बनी खिल्याँ धन्य हो
 काफल जानी चखा धन्य हो
 जुगराज रयां वों सदनी धन्य हो
 य्खका मनखी बीरा धन्य हो
 धन्य टिहरी गढ़वाल धन्य हो
 धन्य मेरु उत्तराखंड धन्य हो
 
 धन्य अखोडी धन्य हो
 धन्य हिंदाव पट्टी धन्य हो
 धन्य विश्वनाथ घाटी का वो बीर धन्य हो
 धन्य टिहरी गढ़वाल धन्य हो
 धन्य मेरु उत्तराखंड धन्य हो
 धन्य मेरु इंद्रमणि बडोनी धन्य हो
 धन्य हिन्द का सपूत धन्य हो
 
 एक उत्तराखंडी
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

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Write a comment...Optionsजगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु ‎"संकल्प नयाँ साल फर"
 
 भुला, भुल्यौं, दिदा, दिद्यौं,
 मंगलमय हो आपतैं,
 बल नयुं साल-2013,
 बद्रीविशाल जी की कृपा सी,
 जुगराजि रयन,
 हमारू कुमाऊँ- गढ़वाळ,
 दनकदु रयन आप,
 प्रगति पथ फर,
  चढ़दु रयन ऊकाळ....
 
 कामना छ मँहगाई कम हो,
 नेतौं तैं सदबुध्धि आऊ,
 जनु ऐंसु का साल ह्वै,
 यनु अनर्थ कब्बि न हो,
 काल चक्र कैका बस मा,
 नि होंदु बल,
 प्रकृति कू नियम छ,
 होंणी हो खाणी हो,
 कामना कवि "जिज्ञासु" की.....
 
 गढ़वाळी मा लिखणु छौं,
 तुम भी लिख्यन बोल्यन,
 अपणा नौना नौनी,
 जरूर सिखैन लिखणु बोन्नु,
 गढ़वाळी, कुमाऊनी, जौनसारी,
 कृपा होलि तुमारी,
 आप एक उत्तराखंडी छन,
 बोली भाषा कू,
 सम्मान अर सृंगार,
 संकल्प नयाँ साल फर.......
 
 -जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
 नव वर्ष फर शुभकामनाओं सहित उत्तराखंडी समाज तैं समर्पित मेरी या गढ़वाळी कविता
  सर्वाधिकार सुरक्षित एवं ब्लॉग पर प्रकाशित 31.12.12

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Timeline Photos ऐ बेल 
 
 ऐ  बेल ही च 
 और कुछ ना …३   
 ऐ बेल ही च , और  कुछ  ना
 
 सब ऐमा ही दड़यूँ च  ..२ 
 सब ऐमा ही  मिलयूँ च 
 और कुछ ना 
 ऐ बेल ही च , और  कुछ  ना
 
 गांठी गांठी जुडी च बेल की   ..२
 एक गांठी खुली सब गांठी खुलींच बेल की
 और कुछ ना 
 ऐ बेल ही च , और  कुछ  ना
 
 खैरी बेल विपदा भी बेल च  ..२ 
 हैसुणु दूर भातैक ,वो रुणों वहालो भी बेल च 
 और कुछ ना 
 ऐ बेल ही च , और  कुछ  ना
 
 आनु वालो बेल ,जणो वालो भी बेल च  ..२
 बीच मा भी खड़यूँ वो भी बेल च 
 और कुछ ना 
 ऐ बेल ही च , और  कुछ  ना
 
 ऐ  बेल ही च 
 और कुछ ना 
 ऐ बेल ही च , (और  कुछ  ना) ………..3
 
 
 एक उत्तराखंडी
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीतBy: देव भूमि बद्री-केदार नाथ

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Optionsघुघूती बासुती न हाथन तात
 न खुटन तात
 पडिगो ईजा सुर सुराट
 घरू हनी जानु
 हैगे अधरात
 जाओ खाओ घर जबेर
 लट पटांन गेठी साग
 ऐगो बाघ -ऐगो बाघ
 टीटाट पडिगो नान्तीनाक
 बड बाज्यू गुड़ गुडाट
 आमक हैरो कच्काचाट
 हका हाका हका हाका
 पुछोड लुकै भजिगो बाघ
 ठण्ड-ठण्ड भोतै हैरै
 खाताड ढ़गी सी जाओ आज
 कविता के सर्वाधिकार सुरक्षित
 घुघूती बासूती के पास —

 

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