Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527790 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाड़ और पहाड़ी
 
 पहाड़ ने कहा पहाड़ी से
 तू इतनी झुकी क्यों?
 पहाड़ी ने कहा
 मै झुकी नहीं खड़ी हु,
 पहाड़ी ने कहा पहाड़ से
 पर तू इतना रूखा क्यों?
 पहाड़ ने कहा पहाड़ी
 तू इतनी हरी क्यों?
 पहाड़ी ने कहा
 मैंने तो धारे  है वस्त्र पेड़ो के,
 पहनी है माला नदियों की
 पर तुझे इससे क्या?
 पहाड़ ने कहा बस यु ही !
 बोर हो रहा था
 तो पूछ लिया?
 पर तू इतनी रुखी रुखी क्यों?
 रूखे तो तुम हो
 पहाड़ी ने कहा?
 जो सालो से सामने खड़े हो,
 कितने बसंत आये,
 कितने पतझड़ गुजरे,
 तुम तो चमकते रहते हो,
 पर पिघलते कभी नहीं?
 टूटते कभी नहीं?
 तुम तो निर्दयी हो,
 अक्खड़
 पहाड़।
 
 जयप्रकाश पंवार "जेपी"

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Rakesh Pundir मेरा  डांडी काँठ्यु का मुल्क जैलू ....बसंत ऋतु मा जैइ .....२
 हैरा बाणु मा बुरांसी का फूल,
 जब बणाग लागौणा होला ....
 नीला पांखों तै फ्योली का फूल,
 पिंगला रंग मा रंग्याणा होला ....
 तखि  फूंडै होलू खत्युँ तेरु बी बचपन,
 उकर सकद  त उकरी लेइ ......
 बसंत ऋतु मा जैइ ....
 मेरा  डांडी काँठ्यु का मुल्क जैलू ....बसंत ऋतु मा जैइ .....२

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Poem by Avaneesh Nautiyal
 उत्तराखण्ड उत्णदण्ड हुयूँ चा ...
 
 कुछ नेतों कु छन्द अयूँ चा ....
 
 जन्ता किलसेणी धार खाळ ....
 
 यून्कू समाचार बंद कयूँ चा ....
 
 मिन पूछी सिपै जी तै ..
 
 कख छी हमरा नेता जी ...
 
 वेन बोली नेता जी त..
 
 चिन्ता करणु दिल्ली जयूँ चा ...
 
 मिन बोली....
 
 आपदा ऐ छे पिछला साल ..
 
 कख छ हमारा बाँठों माल ...
 
 वेन बोली अच्छा अच्छा ....
 
 जाँच टीम मौका पर भिज्युं चा ....
 
 जाँच होली रिपोर्ट आली ....
 
 चिन्ता ना कर घौर जा ...
 
 नेता जी कू तुमारा बाना ....
 
 बथ्यरी चिन्ता कर्युं चा ...
 
 मिन बोली इन नि बोला ..
 
 चुनौ माँ मेरु नेता जी तै वोट दियुं चा ...
 
 त एक वोट माँ तेरु नेता जी तै मोल लियुं चा ...??
 
 अर कौन सी तेरु वोट फोकट माँ दियुं चा ...
 
 दारू अर मुर्गा त बेटा तेरु भी खूब उड़यूँ चा ...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मशीनों मनिख !

मिन सूण
इक्कीसवीं सदी म
मशीनों मनिख होलु
पर मि
इन जणदु कि
इक्कीसवीं सदी म
मनखी ही
मशीन होलु।

सुरेन्द्र पाल का कविता संग्रह 'चुंगटि' बटेक

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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फिक्स !!!

टिपड़ा मिलण फर
हमरु गौं कु घल्तण्यानन्द
बणिकि बगत्वार
एक दिन चलिग्या नौनी क घार

च्या-पाणि क बाद
बात पक्की करे ग्यायी
अर दगडी समधि क समणि
अपड़ी समस्या यन रखे ग्यायी

कि समधि जी!
द्वी कुट्मु कु एक कुटुम बणनू च
कखि तुम फर लोड त नि प्वडनू च
ग्येणा डमडमै बणयाँ
अलमारी का दगड़ फ्रीज़ भी दियाँ

हया !
रेडू -घडी त गरीब आदिम भि देणु च
नौना कि चिट्ठी अयीं च
कि डबलब्यड का दगड़ सोफासेट भि चैणु च
ब्वनु छो कि स्कूटर चलाण बि आ जान्द

म्यारा लूंगी कि आदत च,
कि ब्लैक एंड वाइट नि दयखदु
अर बिना टैपरिकॉर्ड कु वु रै नि सकदु

मूल बात यी च
बकै हमरी क्वी डिमांड नी च
पर भै !

एक बात मी भूल ग्या छायी
कि मिल कैश कि बात नि कायी
तुम जणदा छां कि मयारू लूंगी /जनि-कनि नि च
दिल्ल्ली कि गाड़ियों मा ब्य़चणु रैन्द बिक्स
अब यन बथावा कि
नौनी क नाम फर कथगा कर्यूं च फिक्स

समधि क चुप रैण फर
घल्तण्यानन्द तैं गुस्सा आयी
अर वैल देलिम आकी धमकी दयायी

कि समधणी जल्दी दे जबाब
नथरी बात ह्व़े जैली ख़राब
मैं खतरनाक खानदानी आदमी छौं
लड़का कु बाप छौं
इलै सैइ अर साफ़ छौं

वरना लड़की कैंसिल ह्व़े जैली
नाक कटेली त तुमरी कटेली
अर नाक रैली त तुमरी रैली

समधणी ल इथगा सूंणिकि
गिच्चा ल कुछ नि ब्वालो
अचणचक खुट्टा कु निकाल
जैकु नंबर छौ सिक्स
अर तुरंत समधि क मुंड फर
कैर दे फिक्स।

हरीश जुयाल 'कुटुज़' का कविता संकलन 'खिगताट' बटेक
sk:)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नमो नारैण !

यीं बात पर जोर च
गांव कु पदान चोर च।

दिन - दव्फरी गैणा दिखेणा
सूरज घनघोर च।

विकास कार्य नमोनारैण
रूप्या खाण कु सगोर च।

खै -खैकि अघांदु नि
आदिम च कि गोर च।

हरीश जुयाल 'कुटुज़' का कविता संकलन 'खिगताट' बटेक
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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वाईफ वंदना :

त्वेमेव वाईफ लाईफ त्वेमेव
फ्योंली-बुरांस सि टाइप त्वेमेव।
त्वेमेव मेरी नारंगी कि दाणी
त्वेमेव बांजा की जलडूयूँ कु पाणी।

त्वेमेव मेरी घ्यूवा कि माणी
त्वेमेव घरया अल्लू कि दाणी।
जलेबी कि घ्यरणी भवति त्वेमेव
धणिया कु तुड़का सवदी त्वेमेव।

गुस्सा मा घल्तणया साग त्वेमेव
मुंड मा खैडै कि कटाग त्वेमेव।
खिल-खिल खिलकदी घरवली त्वेमेव
त्वारा बिलकदी बिरली त्वेमेव।

दुन्या खुणै कि मि साब छौंऊं
पर त्वे खुणे मि अनाथ छौंऊं।
हथ -मुंड जोड़ी ख़ुटौं मा प्वड़यूँ छौंऊं
आज्ञा च्यामी, सहितं नमामि।

हरीश जुयाल 'कुटुज़' का कविता संकलन खिगताट बटेक
sk:)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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है मेरी प्यारी तेरी मेरी य्यारी।
दूर देश मा याद आँदी भारी।
तेरू गुस्सा हूण फिर मानी जाँद।
परदेश मा मेँ भारी पिताँद।
तेरी याद आँदी प्यारी तेरी याद आँद......।

त्वे बिगर यख प्यारी बाटा सूना लगदीन।
तेरा हथौकू पक्यूँ खाणूकू यख ज्यू तरसदीन।
तेरा मजाकै मुटगी की मार यख धक्का मेँ लगदीन।
तेरी चुँगनी की चसाक यख भारी भरमदीन।
तेरी याद आँदी प्यारी तेरी याद आँद.........।
By-: मनोज रावत (बोल्या)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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तेरी खट्ठी मिट्ठी याद तौं यादौं कु सवाद।
तेरा दगडा दगडी चलि गेनि॥
मैमा रैगेनि टप टपकरा॥॥

गढ-गौरव माननीय
नेगी जी थी ऊँकी गाईकी कला की 40वीँ वर्षगाँठ का शुभ
अवसर मा म्यारा तरफ से बहुत-बहुत बधाई।

मनोज लखेडा —

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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फुलदेली

चैत का मैना अ अ अ अ
देली देली सजणी व्हाली साथ फूलों का का गैन
फुलदेली व्हैजा दैण पहाड़ो की

छम्मा छी देली मेरी छम्मा
भोर भोरी की खाले भेली छम
दैण व्हैजा घार ,घार का द्वार
ऐ रिती रिवाज मेरु पाड़ा का छम
छम्मा छी देली मेरी छम्मा
भोर भोरी की खाले भेली छम

नाना नानी छोरों की टोली छम
गौं की गौली गौली दैणी छम
घुमे घुमे की देली वहैगे झम
भाई वैणा जीरों लाख बरीस झम
छम्मा छी देली मेरी छम्मा
भोर भोरी की खाले भेली छम

आवा पूजा कूड़ा कूड़ा देली पूजा छम
तेवै दिली मिल सों नमस्कार झम
भर भकार दैण व्हैजा मेरा दर छम
मेरु उत्तरखंड जीरों लाख बरीस झम
छम्मा छी देली मेरी छम्मा
भोर भोरी की खाले भेली छम

छम्मा छी देली मेरी छम्मा
भोर भोरी की खाले भेली छम
दैण व्हैजा घार ,घार का द्वार
ऐ रिती रिवाज मेरु पाड़ा का छम
छम्मा छी देली मेरी छम्मा
भोर भोरी की खाले भेली छम

एक उत्तराखंडी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
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