Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527851 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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By - Narendra Singh Negi

भोल जब फिर रात खुलली ,
धरती माँ नयी पौध जामली
पुराण डाला ठंग्रा व्हे कि ,
नयी लगुलियुं सारु द्याल
मी त नि रौलू, मेरा भुलों ,
तुम दगड़ी ये गीत राला -2
भोल जब फिर रात खुलली ..

इखी ये माटम जम्यूं मी भी
मेरी भी रै ब्वोटीं अंग्वाल -2
बारा खरिक करिन मिल भी
मी भी हिटू उन्दारी उकाल -2
डालियुं कु छैल आर बाटों का गारा -2
मेरा हिटियाँ की गवे द्याला
मी त नि रौलू , मेरा भुलों ,
तुम दगड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली !

बरखा बर्खली, घाम चम्कलू
सुख दुःख आणा जाणा राला -2
कुख्लियुं माँ हेंस्दा खेलदा ब्येटुला
देख्दा देख्दा ब्वारी ह्वे जाला -2
भोल ये फुलुमुन्डिया सासु बणी कि -2
नयी नयी ब्वारियुं रुवाला
मी त नि रौलू , मेरा भुलों ,
तुम दगड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली !

बस्ग्याल रूड़ी, ह्युंद कांपू ,
मिल भी सै रुडियूं कि मार -2
मिल भी बर्ती ऋतू बसंत
मीं फरें भी आई मौल्यार -2
मिल भी कै छे आस कैकी -2
यह डांडा कांठा छ्वीं लगाला
मी त नि रौलू, मेरा भुलों ,
तुम दगड़ी ये गीत राला
भोल जबफिर रात खुलली

मेरा भी अपड़ा पर्या हर्चिनी
मेला खौलों माँ अचान्चक -2
मी भी रोऊँ भकोरा -भकोरी
आंसू आंख्युं माँ रैनी जब तक -2
कौथिग यानि नेड़ेन्या राला -2
नया नया कौथिगेर आला
मी ता नि रोलु, मेरा भूलों ,
तुम दगड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली

मिल भी सैनी फूल आर कांडा
ग्वीन्थी माला गठियाणा कु -2
जण द्वी एक गीत मिल भी
गैन रूँदों हेसाणु कु -2
हैन्स्दारा जब बिसरी जाला
रौन्दारा रवे रवे कि सम्लौना राला
मी ता नि रोलु ,मेरा भूलों,
तुम दगड़ी ये गीत राला
भोल जब फिर रात खुलली

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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By shailendra Joshi

गीत बण जादन भौत लेकिन
गौला मा बार बार क्वी क्वी ही गीत चड़दू
बाटा मा मुखडी भौत दिखदी लेकिन
क्वी क्वी मुखडी देखी फ़र्कणू ज्यू बोल्दू
छुयो का छुयाल भौत मिल जादन
पर भला विचार बुलन वाला मिलदन कभी कभार
बस्ग्याल मा भ्यो बरखादु रोज हर बार
रुड मा भ्यो बरखादु कभी कबार
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़ रत्न श्री नरेन्द्र सिंह नेगी जी कु एक बहूत ही भलु सुन्दर गीत मै "अनुराग चौहान " ये पेज माँ लिख्नु छौ

"रुसाणु छ सौन्गु ,,रुसैले रुसान्दि ,रुसैले रुसान्दि
हैन्सी तौ आन्ख्यो की ,,लुको कख लुकान्दि ,लुको कख लुकान्दि

मनाणु छ सौन्गु ,,मनैले मनान्दि, मनैले मनान्दि
भेद ये मन कु ,, लगौ कन लगान्दी ,लगौ कन लगान्दी "


"रात तेरा सुपिन्या ,,दिन माँ त्यार ख्याल
जुग बठी यु आन्ख्यो ,,तेरी जग्वाल

जाण न पहचाण ,,और भक अंग्वाल
यख नि चलुणु रे ,,तेरु मायाजाल

रिझाणु छ सौन्गु ,,रिझैले रिझांदी रिझैले रिझांदी
भेद ये मन कु ,, लगौ कन लगान्दी ,लगौ कन लगान्दी "

"रुसाणु छ सौन्गु ,,रुसैले रुसान्दि ,रुसैले रुसान्दि
हैन्सी तौ आन्ख्यो की ,,लुको कख लुकान्दि ,लुको कख लुकान्दि

मनाणु छ सौन्गु ,,मनैले मनान्दि, मनैले मनान्दि
भेद ये मन कु ,, लगौ कन लगान्दी ,लगौ कन लगान्दी,

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मेरा सब्द मेरा बोल मेरा आंखर
सब ठगे का ठगाया रै गिन
छोरी तेरा रूप का ऐथर
निथर मिन कानी कानी बांधो मा रचा छिन
गीत भला भला
कै की होली इनी स्वाणी रचना
छंद आलंकर भी सोचाना
तेरा रूप देखी छंदो ते छंद नि आणू
कलम कंठ का सरोकार एक बार
देखी देला तेरा रूप ज्यूत
फूल चाँद सूरज की उपमा
बिसरी की तेरी ही उपमा देला
कना कना फोरमेट मा धालिन मिन गीत कविता
तेरा रूप देखी का ऐथर इ कवी वे गया रीता

कविता शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Pahadi Classes
 
पहाड़ बै शहर तक, ज्वान बै बुड़ तक
सब कर हैलीं ख़राब, काव रंगे पाणि य.. नाम छू शराब !!

कैक हाथ में थैल, कैक हाथ में बोतल देखिणों
कैक हाथ में अद्ध कैक हाथ में पऊ हुणों !!

होटल में चार दगड़ी भैठा, बोतले-बोतल खुलणीं
शराब पीई बाद सुद्दे झुलम जै झुलणीं !!

ब्या हो या बरात, नामकरण हो या शराद
और चीज भूलि लै जला बोतल धरिया याद !!

दीपक कुमार पाण्डेय - बागेश्वर कॉलेज पत्रिका 2009 !!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कुई ब्व़नु बंगाली छौँ ,कुई ब्व़नु मी नेपाली जी
उत्तराखंडी बोलण मा यून्की ,किल्लेय टवट्कि व्हाई जी .....

अपड़ो थेय थंतियाई यून्ल ,बिरणो थेय पिल्चाई जी
अप्डी ही फूकी झोपडी तमाशु , दुनिया थेय दिखाई जी

कैल बुखाई डाम यक्ख ,कैल बस चक्डाम ही खाई जी
कैमा फौज़ चकडैतौंऽ की ,कैमा भड बड़ा बड़ा नामधारी जी

कुई बणया छीं चारण दिल्ली का ,कुई भाट देहरादूण दरबारी जी
शरम ,मुल्क बेची याल ,छीं इन्ना कमीशन खोर व्यापारी जी

कैकु मुल्क कैक्की भाषा कैकु विकास ,हम त दर्जाधारी जी
कुई मोरयाँ भाँ कुई बच्यां ,बैठ्यां हम त बस सार ठेक्कदारी जी
बैठ्यां हम त बस सार ठेक्कदारी जी
बैठ्यां हम त बस सार ठेक्कदारी जी

स्रोत : हिमालय की गोद से ,गीतेश सिंह नेगी ( सर्वाधिकार सुरक्षित )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Garhwali Classes "गढ़वाली छुई"
 
तेरा गीत की लैन चा
आलू ग़म छिर्की मुठ बोतिक रख
कर ले भै वादा
आज नेगी दा
देलू हम तय विकल्प राजनीती कू अन्ना की लड़े मा
तिन भी लड़े लड़ी सदनी भ्सताचार बीटी
गै नि गीत यना
कभि गै नौचामी कभि गै मछु पाणी
अब क्त्गा खैलियो जना गीत सुणि
देहरादून क्या डेल्ही वालो का भी पसीना छुट दा
उक़ा पसीना छुतादी रै
अब गीत यना बनई
जू विकल्पों की हो नामा वाली
पंच बदरी पंच केदार की धरती मा पंच ऍमपि दी इना जो हो साचा
कविता शैलेन्द्र जोशी

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Garhwali Classes "गढ़वाली छुई"
 
अब क्या च वुख …अब ता वापस ऐजा

अब क्या च वुख …अब ता वापस ऐजा

हे भुला मेरा
अब तु लोडू भी बडू हो ग्याई,
बडू लोडू भी इंजिनियर बन ग्याई .
सुन म ए की बेटी कु भी लखपति जवाई मिल ग्याई .
चुट्टू लोडू भी स्कालरशिप माँ भेर देश जानू

अब भुला वापस ऐजा , कुछ गौ कु भलु केजा
कटका लोग आंखा तानी खे इंतजार माँ छन तेरा
आपरू लाडू कु भलु करेले ,
थोडा गौन्कू वालू भी भलु केजा .

भुला जब तु छुतू छे
तब ये गौ कु भलु सोचिद छे .
पर अब तु बडू हो गे , नोकर बाज हो गै
भूल गै तु वू दिनु थे .
भूल गै तु यूँ गौ वालू थे .
भूल गै कोदा - झंगोरा पुन्ग्दु थें …
भूल गै दाली का पकोड़ा थें

अब क्या च भुला वुख अब ता वापस ऐज .
अपुदु भलु हो गै एक दुई और भलु के जा

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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update by-Chamoli_Indians (Uttarakhand)

यखा
का
बांज-बुरांश,
कुएँ-पय्याँ,
आरु-अन्ग्यार,
पिपव-देवदार,
अख्वड़-किरम्वड़
कुञ्जा फूल अर् हिन्स्वव्
तिम्ला-तेडू, काफल- बेडू,
खड़ीक-भ्योंव, अर्
उस्त-उतीस,
काखड़ी, मुंगरी,
चचिंडा, गुदड़ी,
मर्च-मर्च्वड़ा,
साग-सगवाड़ा,
सब्बि
डाल्यों-फलों,
रँगीला-फूलों,

अर्

यखा
का
गाड़-गदरा,
धारा-मंगरा,
छौड़ा-छंछड़ा,
बुग्यावों, अर्
धार-धारों,
कु ठण्डु बथौं,

घ्वीड़-काख़ड़,
बांदर-सुंगूर,
रिक्ख-बाघ,
बिरावा-कुकूर,

यखे कि
हवा-पाणी,
मनखी-प्राणी,
प्वथलों की वाणी,

सदा अमर रय्याँ !!!!

विश्व पर्यावरण दिवस ०५ जून का जून का उज्यावा मां उत्तराखण्ड कि धरती माँ त्वे थैं शत-शत नमन........

Written By:
कुलदीप सिंह सजवाण
05 जून २०१३ की रात
रात ११:०० बजि
जून का उज्यावा मां

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Garhwali Classes "गढ़वाली छुई"

खाणु भी फ्री कू च्येणु चा

दारू भी मिल जौ फ्री की

बाटो मा ऐच नज़र

ज्यू जोडू मैकू जोडू हाथ

करा मेरा सत्कार मी छोऊ पत्रकार

मी करू कुछ अंट संट मेरे पास मीडिया

अगर कुछ बोली मेरा बारा मा तुमरी बजै देलू बैंड

जै हो यूकी की पर यु लाटों कू समझों सोशल मीडिया का दौर मा हर मनखी पत्रकार

रचना शैलेन्द जोशी

खाणु भी फ्री कू च्येणु चा

दारू भी मिल जौ फ्री की

बाटो मा ऐच नज़र

ज्यू जोडू मैकू जोडू हाथ

करा मेरा सत्कार मी छोऊ पत्रकार

मी करू कुछ अंट संट मेरे पास मीडिया

अगर कुछ बोली मेरा बारा मा तुमरी बजै देलू बैंड

जै हो यूकी की पर यु लाटों कू समझों सोशल मीडिया का दौर मा हर मनखी पत्रकार

रचना शैलेन्द जोशी

 

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