Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527902 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गाँव के ।
अब अँधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के ।

कह रही है झोपडी औ' पूछते हैं खेत भी,
कब तलक लुटते रहेंगे लोग मेरे गाँव के ।

बिन लड़े कुछ भी यहाँ मिलता नहीं ये जानकर,
अब लड़ाई लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के ।

कफ़न बाँधे हैं सिरों पर हाथ में तलवार है,
ढूँढने निकले हैं दुश्मन लोग मेरे गाँव के ।

हर रुकावट चीख़ती है ठोकरों की मार से,
बेडि़याँ खनका रहे हैं लोग मेरे गाँव के ।

दे रहे हैं देख लो अब वो सदा-ए-इंक़लाब,
हाथ में परचम लिए हैं लोग मेरे गाँव के ।

एकता से बल मिला है झोपड़ी की साँस को,
आँधियों से लड़ रहे हैं लोग मेरे गाँव के ।

तेलंगाना जी उठेगा देश के हर गाँव में,
अब गुरिल्ले ही बनेंगे लोग मेरे गाँव में ।

देख 'बल्ली' जो सुबह फीकी दिखे है आजकल,
लाल रंग उसमें भरेंगे लोग मेरे गाँव के ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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डाळी जग्वाळी

हे भैजी यूं डाळ्‌यों
अंगुक्वैकि समाळी
बुसेण कटेण न दे
राखि जग्वाली

आस अर पराण छन
हरेक च प्यारी
अन्न पाणि भूक-तीस मा
देंदिन्‌ बिचारी
जड़ कटेलि यूं कि
त दुन्या क्य खाली...........,

कन भलि लगली धर्ति
सोच जरा सजैकि
डांडी कांठी डोखरी पुंगड़्यों
मा हर्याळी छैकि
बड़ी भग्यान भागवान
बाळी छन लठयाळी..........,

बाटौं घाटौं रोप
कखि अरोंगु नि राखि
ठंगर्यावू न तेरि पंवाण
जुगत कै राखि
भोळ्‌ का इतिहास मा
तेरा गीत ई सुणाली.........॥

Source : Jyundal (A Collection of Garhwali Poems)
Copyright@ Dhanesh Kothari

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Updated by अप्णी ब्वोलि अर अप्णी भाषा(गढ़वाली-कुमाउंनी)

स्वाणा स्वीणा, सजीला स्वीणा, आण वाल्दा भोल का स्वीणा,
रंगीला स्वीणा, रसीला स्वीणा, हैंसी खुशी बर्खोंदा स्वीणा,
चला अब स्ये जोला, यों सुपिन्यों माँ दुःख बिसरोला....!
शुभ रात्रि उत्तराखण्ड!
Apni apni bvoli and Updated by language (gadhvali-kumaunni), an elegant svina svana svina, valda bhol svina, of Rangeela svina, lush svina, found happiness svina backhander, hansie now sye jola, rather sad bisrola supinyon mother ...!
Goodnight Uttarakhand! (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Manoj Istwal

बिशेष अनुरोध पर तैयार किया गीत-
तेरी कंदुड्यू की झुमकी....झुमकी झुमकी.
ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी....झुमकी झुमकी
कंदुड्यू की झुमकी छुण-छुण बजदिनी,
याद दिलांदी दिन रात...कनी झुमकी ले तू.
झुमकी-झुमकी ओह नीता तेरी कंदुड्यू की झुमकी
लुकी छिपी की डरी-डरी की,
बणी-ठणी की लगै.पैरे की ...
कख जाणी होली आज...
तौं झुमकी पैरी...झुमकी-झुमकी
ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी....
जू बी देखू त्वे जनई.,
नजर वूंकी क्य बोनई
हेरी-हेरी त्वे थईं.......
ह्व़े जान्दो रगर्याट...तों झुमुक्युं देखि.
झुमकी झुमकी.... ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी....
जब जब हैन्सी तू,.जरा सर्मैकी,
नजर मिलांदी तू, आंख्युन समझैकी
जिकुड़ी जलांदी रोज यार.....
तौं झुम्क्युन दिखैकी...
झुमकी झुमकी... ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी..
देख लोग भी सुंदन ..
कख झुमकी बज्दन,
कख आई आवाज,
म्यारा जिकुड़ी पोडी ग्ये गाज.
तौं झुम्क्युन की..झुमकी झुमकी
ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी....
याद तेरी आणि च, ...
मीथें सतौनी च.....
कनुक्वे काटू दिन रात....
तों झुम्क्युन का सौं छन यार
तेरी कंदुड्यू की झुमकी....झुमकी झुमकी.
ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी....
तेरी कंदुड्यू की झुमकी....झुमकी झुमकी.
ओ नीता तों कंदुड्यू की झुमकी....झुमकी झुमकी.....(गीत-मनोज इष्टवाल/सर्वधिकार सुरक्षित)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गढ़वाली कविता : "त्राहि माम "

धरती घैल च
घैल पोडयूँ असमान
रुणी डाली टूप टूप यखुली
चखुला रिटणा बौल्या समान

रूमुक्ताल प्वडी द्यैली मा सुबेर की
पंदेरा घाट श्मशान समान
थर्र -थर्र कौंपणी जिकुड़ी कुयेडी
बैठ्युं कक्ख लुकैकी मुख सुर्ज घाम

व्हेय गईं गदेरा रोई रोईऽ समोदर
रन्डे ग्याई फ्योंली भी ज्वान
लमडयूँ लतपत -लमसट्ट व्हेकि भ्यालूं
कक्ख प्यारु म्यारु लाल बुराँस

हर्च्यीं मौल्यार फूलोंऽ फर
भौरों पुत्लौं खुण शोक महान
ढून्गा अब सिर्फ ढून्गा रै गईं
विपदा मा देब्तौंऽ का भी थान

गलणु ह्युं लाचारी मा द्याखा
जाणु उन्दु काल समान
छित्तर छित्तर व्हे गईं बीज हिमवंती
हे विधाता ! त्राहि माम
त्राहि माम
त्राहि माम

रचनाकार : गीतेश सिंह नेगी ,सर्वाधिकार सुरक्षित

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अगला चैलेंज--

''मन जब मिलिगे छा त डोला ल्योंदी ढ्सके की
जोग संजोग का सारा बैठी की क्या पायी रे तिन!''

इसके बाद की अंतिम लाइन क्या है!
हिंट :- गाना नेगी दा का है
The next challenge--"milige, lyondi a dhsake mind when dola's jog sanjog sitting found all what Ray 2!"

What is the last line of the above!
Hint: song of da Negi (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बरखा पर एक कविता लिखी है गल्तियों के लिये माफी चाहता हॅू।

हाय रे बरखा नी औण पै तू फेर
(बसग्याल़)

रूमझुम-रूमझुम बरखी बरखा,
बढ़गी गाड़ गदेरौं मा पाणी,
कैकी डोखरी, कैकी पुगडी,
बगगी पाणी मा आस पुराणी।
हाय रे बरखा नी औण पै तू फेर।

सरगै किड़कताल्यूॅन डौर लगदी,
तबर्यूॅ बरखा हौर लगदी,
बीदा द्योकू बजर पोडिगे,
कूड़ी बी देखा खन्द्वार ह्वेगे।
हाय रे बरखा नी औण पै तू फेर।

कखी त गौंका गऊॅं बगी गिन,
पीड़ी पिस्तान्यूॅ तक नऊॅं मिटिगिन,
कैका गोरू भैंसा नी रैनी ,
सीबी पाणी मा रामदी गैनी
हाय रे बरखा नी औण पै तू फेर।

‘‘पक्का डौंण्डा बी रौल़ा बणिगिन,
उबाणा मा बि बौल़ा बणिगिन,‘‘
कखीत गौंका गौंकरैलिन खाली,
उजड़ीगी फसल, बगगिन डाली
हाय रे बरखा नी औण पै तू फेर।

सौण भादों कू गिगड़ाट देखा,
कूडैं पठाल्यूॅ कू थर्राट देखा,
बूड़ बूढ़्यों कू भबड़ाट देखा,
गाड़ गदन्यूॅ कू सुस्यांट देखा,
हाय रे बरखा नी औण पै तू फेर।

स्वरचित
सुरेश स्नेही

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ज़िन्दगी की छवी बातों तै
बटोलनू छौ आंखरो मा मी टीप टीपी
तुम टीपणा छा त टीप ल्या
निथर मिन भी क्या कन
तुमरी जिकुड़ी की छटपटाहट तै
सब्दो मा ढाली की गीतों मा पिरोणू छौ
सुणी की भींग सकदा त भींगल्या
निथर मिन भी क्या कन
मी ज़िन्दगी की गाथा
छंद अलंकार बतै सकदू
और मितै आंद भी क्या
मेरी गीत कविता तै हुंगारा लगै की ताली बजै की
समलौणिया कर सकदा त कर ल्या
निथर मिन भी क्या कन
रचना शैलेन्द्र जोशी

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कविता----------------- शैलेन्द्र जोशी
भै नरु
हरु करू भारु करियु तू वेंन गढ़ गीतों तय भै नरु
हे तू वे जनि गितैर नि हु वे सक दू फेर
गढ़ कवी गढ़ रफ़ी गढ़ कविन्द्र हे नरेन्द्र सिंह नेगी
सब्दो कु कोठार चा गढ़वाली भासा खुनी मौलियार चा
भै नेगी महान छाया गढ़ गीतों की जान छ्या
गीतों की गंगा सदनी तयरा मुख बीटी बग दी
हैसदी हैसदी गा दी गीत मुड मा टोपला हाथ मा बाज़ा
बहुत स्वाणु लग दू जब गांदी जब कुई पहाड़ी गाना
जब तू ढौल मा ऐकी ढौलैर हुवीकी
यु गीतों की छालार बैकी डैरो डैरो पौंच जादी
उत्तराखंड की समस्या मा रचय बस्य तयारा गीत
तयार नया कैसीट जब बाज़ार मा अन्दु ता धरा धडी बिक जादू
तयरा नया गीतों की जग्वाल मा लूग रैदन
जनि गीत बाज़ार मा अदन ता समलोनिया हो जा दन
कालजय गीतों कु रचनाकार गढ़वाली गीतों कु सिंगार
मखमली भोंन कु जादूगर भै नेगी
हिवाले संसकिरती तय हिवाला ऊँचे देंन वाला अपणु तोर कु कलाकार
गढ़ गीतों कु हीरा भी तू छे नवरतन छे तू गढ़ कु गढ़ रतन छे तू
बात बोदू गढ़ की मन की गढ़ गौरव छे तू
नौसुरिया मुरली जनि सुरीली गौली छा तेरी
गंगा जनि शीतलता चा तेरा गीतों मा
मायालु गीत तेरा मायालु भोंन चा
गीतों कु बाट की लेंन पकड़ी की गीतों का बटोई बनी की
गीतों का बाट ही बनी गया
ये मुलुक का सुर सम्राट बनी गया
गीतों की पियूष जुगराज रया सदनी संसकिरती पुरुष
Poems — — — — — — — — — — — — — — — — — shailendra Joshi bhai haru kariyu naru decide thou bhai bharu Karoo Heartland songs Hey naru venn thou they have read and they may indulge jani jeter kavi stronghold stronghold free du Rafi Citadel cavender o Narendra Singh Negi s larder sabdo Cha Cha gadhvali khuni bhasa moller of the great shadow stronghold songs, bhai Negi chya songs gave the home haisdi haisdi Ganga sadni tayra gave singing song BT bug mud look very svanu baza du Ma Ma topla hand when Gandi when Caribbean Cui­sine another dhaulair huviki Hill song when thou dhaul Ma aiki Abhimanyu songs chalar baiki dairo dairo paunch jadi Uttarakhand problem Ma rachay Ma kaisit when preparing new marketplace basya tayara song andu table sold magic tayra new songs javagal dhadi defeats Ma lug raidan jani song market Ma Aden table samloniya kaljay songs gadhvali songs level going s s s creator wizard velvet bhonn embellishment set a high hivala denn strictness heavily bhai Negi Apnu includes some artists even thou some Heartland songs diamond s good thou good navratan stronghold stronghold stronghold of inner good thou thing Ratan bodu Citadel's good graces thou nausuriya jani jani TERI Ganga coldness surili gauli Murali Cha Cha song thy thy songs Ma mayalu mayalu bhonn songs from some of the songs of songs of lenn caught made was made only from of batoi these were songs made the Emperor the muluk sur Piyush jugraj was put raya Sadni strictness male (Translated by Bing)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Garhwali Classes "गढ़वाली छुई"
July 20
मी हैसदा उजाला मा भी डौर की निकलू भैर
मी घणा अंधेरो मा त कत्ते ना निकलू भैर
जामना की या ही फरमान चा मी खुणी
दोष मेरु क्या ये ही चा मै नारी छोऊ
तुमरी कू नज़र कुनैत की मारी छोऊ
कब तक मेरी उमर तै दोष देला
कब तक मेरा फैशन तै दोष देला
मित्ते नौ निसाब च्यैणु चा
अपणी बेजेतीकू हिसाब च्यैणु चा
कब तक बौग मारला तुम
रचना शैलेन्द्र जोशी

 

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