Author Topic: उत्तराखंड पर कवितायें : POEMS ON UTTARAKHAND ~!!!  (Read 527948 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कोदा की रोटी, कंडाली को साग,
कोदा की रोटी, कंडाली को साग,
वाह वाह-2
जु ये status त लाइक नि करलू,
वै का मोबाइल या लेपटाप मा लागली आग.........।।

हा हा हा हा हा हि
#BOLYA

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सरर बिरलि बणिकि ऐजादी मेरी डंड्याली मा....।
सरर बिरलि,
सरर बिरलि बणिकि ऐजादी मेरी डंड्याली मा...।
सरर बिरलि........
फुर्र पुतलि बणिकि बेजादी मेरी डंड्याली मा....।
फुर्र पुतलि,
फुर्र पुतलि बणिकि बेजादी मेरी डंड्याली मा...।
फुर्र पुतलि फुर्र सरर बिरलि सरर..............

#बौल्या

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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घुट -घुटी रवोणु हे माँ , मि घुट -घुटी रवोणु
बिराणा मुल्क ऐकी माँजी ,घुट -घुटी रवोणु

खुद मा त्येरी पराण भि खुदाणु छै
बालपने समलौण याद आणि छै
कनु त्येरा हाते कि क्वोदे रवटि खांदू छौ
नॉण लगीं रवटि मा ज्यु मचलंदों छौ

तपदा घामो जब तु घासा भारा ल्यांदी छै
पल्यौख टेकि तै झोई -भात बणोड़ि छै
भात खै तै में लमतम करी स्येजन्दु
ब्यखनि दागड़यों दगड़ी खेलि लागोंदों

रात मा त्येरी छुई सुणी क मि आँखा टपरांदु
त्येरी सांखी मा मोंड धोरी कि स्ये जांदू

अब णि तनि दिन रयां ,ना सि बार रयां
ना सि छुई रयिं , ना तनि गीत रयां

त्येरी खुद भी मि अब ज्यूँरा जन तड़पांदी
त्येरी आँखों कु पाणी म्येरु खूण सुखोंदी

मि बोडलू इक दिन सब कुछ छवोड़ि क त्वै मा
बस मुठ बोटीक रखी , नौनु आलू बोडिक त्वै मा

:हिमांशु पुरोहित "सुमांईया "

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ढोल -दमो गि छुई क्या लाण ,अब बैंड -बाजा बजौणा दिन ऐग्यां ,
मंडाण लगाणा दिन छ्या कभि , अब डिस्को लगौणा दिन ऐग्यां ,

घौर -कुड़ी सल्योणा दिन छ्या कभि , अब घौर -खुटियौणा दिन ऐग्यां
गौं -गौलियों मा राष्याँण छई कभि , ताख समसाण दिख्याणा दिन ऐग्यां

सारी -पुंगड़ी मा मौल्यार छई कभि जख ,अब भंगुलु जमणा क दिन ऐग्यां
कुलें -बाँझ का बूण छ्या जख , ताख क्वीला जगौणा दिन ऐग्यां

गौला मा गुलबंद छ्यो जख, अब नेक्लेश ब्वणा दिन ऐग्यां
हातों मा धगुली छई जख अब ब्रेसलेट ब्वणा दिन ऐग्यां

ऊँची -निसि डांडी -कांठी छे जख , तौं अब माउंटेन ब्वणा दिन ऐग्यां
नौला -धारा कु पाणी छयो जख , तौं भि अब फाउंटेन ब्वणा दिन ऐग्यां

रात डांडी -कांठी जख गैणा जन चमकदि छई , तख अब रांकु बुझौणा दिन ऐग्यां
कनि रैणी पोड़ी म्यर पहाड़ पर , कनु इकुलाँस ह्वे ह्वलू म्येरु पहाड़ झर। …।

:हिमांशु पुरोहित "सुमांईया "

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जख स्कूल खुलिन , तख कुड़ी णि रयिं
जख गों छ्या ,तख वीरान हेंव गयीं
जख मनखि कु प्यार छौ , तख जियुंदा मसाण एगीन
जख डांडियों मा मोल्यार छे यि , तख बूँण क्विराल ह्वेगिन
अब , तुम ही बतावा हे दिदो !
अब डेरू कख बनोण ?

बाटा तिरवाल गोला वाथ्यार , अब बाज़ार ह्व़े ग्येनि
छोटा मोटा चा गि दुकान , बड़ा होटलों मा तब्दील ह्वेगेनि
मन्खियों मा मनख्यात णि ,पूंगडियों मा अनाज णि
बोल्तालों मा मुल्क बिकिग्ये , वोटों कि क्वे औकात णि
अब , तुम ही बतावा हे नेतों !
अब डेरू कख बनोण ?

सुनसान अब गदेरा हवेग्याँ , पाणी कु अब क्वे धारू णि
तिसन प्राण झुरी गयें , गनोणों तै क्वे राजी णि
चार मनखि भि गौ मा णि छिं ,अर , जु छां सी क्वे कामा णि
सुबेर उठी तै छारु (दारू ) पियोणा , ड्योरा दियोखा आनाज णि
अब , तुम ही बतावा हे दरोल्यों !
अब डेरू कख बनोण ?

:" हिमाँशु पुरोहित सुमाईयां "

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु सुख कु पहाड़ ,
जख बांद इक किसान छई , सारी -पुन्गडी माँ हर्याल छई
बुणों माँ बुरांश छया ,क्यारियों मा हिलांस छया
गौं -गौलियों मौल्यार छई ,धरम -करम समान छई
पंदेरियों माँ छुयांल छई , बाणी -ब्वोली माँ मिठास छई
इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु दुःख कु पहाड़ ,
जख माटा का ठेकदार छ्या , और ढुंगो का सोदागार छ्या
इतिहासों मा देव भूमि छई , अर पत्रों माँ डाम भूमि छई
नेतों कु भ्रस्टा चार छयो ,और बोतलों माँ बिक्णु पहाड़ छयो
रोजगार जख सपाट छयो ,अर पहाड़ कु ह्वोणु विनाश छयो
इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु खुद कु मरुँ खुदेड़ पहाड़ ,
जख बाला पण की समलौण छई ,स्कूलया छ्वरों की कथ्गेर छई
ध्याणियों का बगदा आँशु छ्या ,रैबसी बोड़ना का सांसा छ्या
दाना -स्याणु कु इकुलांस पराण छयो , बेटी -बुवारियों कु खेरी छई
पहाड़ यूँ द्येखा उदास छयो ,पहाड़ियों क खेरी कु सेह्भगि छयो
इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु रुन्देड पहाड़
जख बाँझ का कट्यां डाला छ्या ,बुरांश का पतझड़ी झाडा छ्या
पाणी का रीता नौला -धारा छ्या ,गाड -गद्निया विष सामान छई
उकाली जण डांडा उंदयरी जण ह्वैगेणि पहाड़ कि माटी म्येरी डैमो माँ समे ग्येणी
बूण -पहाड़ों माँ कनु बज्र पड़िगेणि , झणि -कुझाणि म्येरु पहाड़ निर्बीज ह्वेगेनी

update by-हिमाँशु पुरोहित सुमाईयां

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अरे यु दहेज़ क्या छ

दहेज़ सुलगुणी आग छ

गरीबों माथा दाग छ

मनस्वाग लग्यों बाग छ

बड़ा फन वाळू नाग छ

बिगर गीतो कु राग छ

सेठों कि सग्वाड़ी कु साग छ

बैट्यों कि बळी ये जाग छ.

प्रभात सेमवाल (अजाण ) सर्वाधिकार सुरक्षित

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कनु मन खुदाणु च आज ,बैरी ज्यु यनु झुराणु च आज
बोल्यां जन अफु मा बबराणु च बल , चल हिट डेरा पैटी जाला

तौं गौं -गौलियों गा बीच , उडदा ठंडा बथौं ग बीच
जख डांडी -कांठी हर्याली ह्वौ ,अर मनख्यात वखे मयाली ह्वौ

तौं हरयां भरयां कठ्यों मा , फूलों गि तौं घाटियों मा
जख आँखा खुल्दी परडी स्येल , जन उकळी बाटा कि ठंडी छैल

तौं गाडी -गदन्यों का छछराट मा , ऊंचा डांडियों कि काखियों मा
जख निस्सा गंगा कि छै धारा , ऊँचो ह्यूं चलि पहाड़ा

तौं धार मा गा बथौं मा ,ठंडु बथौं सुर -सूर्यों मा
जख रात डांडा मा गा रांका , ऊँचा आगाश का गैणा

: हिमांशु पुरोहित "सुमाईयां "

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बिराणा मुल्क ऐकी माँजी ,घुट -घुटी रवोणु

खुद मा त्येरी पराण भि खुदाणु छै
बालपने समलौण याद आणि छै
कनु त्येरा हाते कि क्वोदे रवटि खांदू छौ
नॉण लगीं रवटि मा ज्यु मचलंदों छौ

तपदा घामो जब तु घासा भारा ल्यांदी छै
पल्यौख टेकि तै झोई -भात बणोड़ि छै
भात खै तै में लमतम करी स्येजन्दु
ब्यखनि दागड़यों दगड़ी खेलि लागोंदों

रात मा त्येरी छुई सुणी क मि आँखा टपरांदु
त्येरी सांखी मा मोंड धोरी कि स्ये जांदू

अब णि तनि दिन रयां ,ना सि बार रयां
ना सि छुई रयिं , ना तनि गीत रयां

त्येरी खुद भी मि अब ज्यूँरा जन तड़पांदी
त्येरी आँखों कु पाणी म्येरु खूण सुखोंदी

मि बोडलू इक दिन सब कुछ छवोड़ि क त्वै मा
बस मुठ बोटीक रखी , नौनु आलू बोडिक त्वै मा

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ढोल -दमो गि छुई क्या लाण ,अब बैंड -बाजा बजौणा दिन ऐग्यां ,
मंडाण लगाणा दिन छ्या कभि , अब डिस्को लगौणा दिन ऐग्यां ,

घौर -कुड़ी सल्योणा दिन छ्या कभि , अब घौर -खुटियौणा दिन ऐग्यां
गौं -गौलियों मा राष्याँण छई कभि , ताख समसाण दिख्याणा दिन ऐग्यां

सारी -पुंगड़ी मा मौल्यार छई कभि जख ,अब भंगुलु जमणा क दिन ऐग्यां
कुलें -बाँझ का बूण छ्या जख , ताख क्वीला जगौणा दिन ऐग्यां

गौला मा गुलबंद छ्यो जख, अब नेक्लेश ब्वणा दिन ऐग्यां
हातों मा धगुली छई जख अब ब्रेसलेट ब्वणा दिन ऐग्यां

ऊँची -निसि डांडी -कांठी छे जख , तौं अब माउंटेन ब्वणा दिन ऐग्यां
नौला -धारा कु पाणी छयो जख , तौं भि अब फाउंटेन ब्वणा दिन ऐग्यां

रात डांडी -कांठी जख गैणा जन चमकदि छई , तख अब रांकु बुझौणा दिन ऐग्यां
कनि रैणी पोड़ी म्यर पहाड़ पर , कनु इकुलाँस ह्वे ह्वलू म्येरु पहाड़ झर। …।

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