Uttarakhand > Utttarakhand Language & Literature - उत्तराखण्ड की भाषायें एवं साहित्य

Poems written by Bhagwan Singh Jayara-भगवान सिंह जयड़ा द्वारा रचित गढ़वाली कविता

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा कांसी कु हुक्का कभी उत्तराखंड का हर परिवार कु एक अभिन्न हिस्सा होन्दु थैई ,बीडी सिगरेट लोग बहुत कम पेंदा था ,मेहमानु की आवभगत और महफ़िल की शान यु हुक्का अब बदलदा समाज का साथ कखी हरीची सी गैई ,,
 ********पहाड़ी हुक्का *******                                           
 
 हुक्का की गुड गुड कखी हरीची गैई ,
 बीडी सिगरेट अब सबू कु फैशन व्हेई,
 जाली की मढी वा चघटी वाली साज ,
 घर बणोंयु गुडाखू ,कखी हर्चिगी आज   
 हुक्का, होन्दु थैई पैली घर की शान ,
 समझदा था, अपरा मैमानु कू मान ,
 दादा पेंदू थैई हुक्का तिबारी बैठीक ,
 दादी पिंदी थैई हुक्का खांदा लुकीक ,
 हुक्का घरु बीटी अब कखी हरची गैई ,
 या त कखी घर सान्द्यों फुण समै गैई ,
 दाना संयाणों की बैठक की शान थैई ,
 ऊ उठणु बैठणु भी अब कखी हर्ची गैई ,
 कांसी का हुक्का कु थैइ पैली बडू मान ,
 बढोंदु थैई स्यू घर्य्या महफ़िल की शान ,
 अब समय बदलिगी हुक्का भी बदलिगी ,
 बीडी, सिगरेट कु अब यु जमानु एगी ,
 पुराणा रीती रिवाज सब बदली गैन ,
 नया नया रीती रिवाज समाज मा ऐन ,
 हुक्का की गुड गुड कखी हरीची गैई ,
 बीडी सिगरेट अब सबू कु फैशन व्हेई,
 
 द्वारा रचित >भगवान सिंह जयाड़ा
 दिनांक >07/04/2013
  अबू धाबी (संयुक्त अरब अमीरात )       
 चित्र सौजन्य ,ऑफिसियल ग्रुप ऑफ नरेंदर सिंह नेगी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा ***चैत कु फुल्यारु मैनू****
 डाड्यों खिलिग्या फिर फूल बुरांस ,
 बौडी ऐग्यन फिर घुगती हिल्वांस ,
 लय्या ,पंय्या, खिली होली फ्योंली,
 चादरी मा लिपटीं प्यारी धरती होली ,
 हरयाली डाल्यों मा फिर बौडी एगी,
 बानी बानी का फूलु न धरती सजीगी ,
 बसंती बयार फिर बगण लैगी होली ,
 फूलु कु जांदी होली नौन्यालू की टोली ,
 चैत कु फुल्यारु मैनू फिर बौडी  एगी ,
 कौथग्यारु मैनू बैशाक नजदीक एगी ,
 बचपन मा रांदु थैइ मन मा बडू उलार,
 जब ओंन्दू थई  बिगोथी  कु त्यौहार ,
 बेटी ब्वारयों की मैत की तैयारी होली ,
 हंसी खेली कुछ दिन अपर मैत राली ,
 डाड्यों खिलिग्या फिर फूल बुरांस ,
 बौडी ऐग्यन फिर घुगती हिल्वांस ,
 
 द्वारा रचित >भगवान सिंह जायाड़ा
 दिनांक >८/४ /२०१ ३
 http://pahadidagadyaa.blogspot.ae

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
 
भगवान सिंह जयाड़ा
मेरु मकसद कैकी भावनावों कै ठेश पहुचौण कु निछ बस "उत्तराखंड देव भूमि ऑफ़ इण्डिया" माँ या फोटू देखि क अनायाश ही कुछ लिखण कु मन करी ,,,,
 
 ****उत्तराखंड मा शराब ***
 कन फुके पहाड़ी समाज माँ या दारू ,
 कनी छ हैंशदी मवास्यों कु या खारू ,
 यख ब्यो बरात होंन या जन्म दिन ,
 अब त यनु उलटू  रिवाज देखि मिन ,
 बिना ईका कार्योँ मा मजा नि रैगी ,
 यन बात यख सबुका मन मा समैगी ,
 शराब छ त सभी लोग वाह वाह करदा ,
 नित सभी वीं मवासी का नौउ धरदा,
 जैन जादा पिलाई वेकि वाह क्या बात ,
 सभी देण्या छन यख यन लोगु कु  साथ ,
 खाणु पाणी कथगा भी जू खूब करदा ,
 शराब नि छ ता लोग ऊं का नौऊ  धरदा ,
 मन्न जन्मण मा अब कुछ फर्क नि रैगी ,
 या निर्भागी दारू  अब सब जगा समैगी ,
 अगर यनि यीं दारू कु बोल बालू रालू ,
 दिन दूर नि ,जब दारु मा सब समै जालू ,
 तब पछतैक कुछ हमारा हाथ नि औण,
 अपरी गलती कु सबून यख बाद मा रोण ,
 कन फुके पहाड़ी समाज मा या दारू ,
 कनी छ हैंशदी मवास्यों कु या खारू ,
 
 द्वारा रचित >भगवान सिंह जयाड़ा
 दिनांक >१२ /०४ /२०१३

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा आज उत्तराखंड की हकीकत पर मेरु यु छोटू सी प्रयाश ,कन लगी आप तै मेरी या रचना ,,,,
 
     ******लाटू बौडी घौर******
 कु होलू धारउद स्यू नौन्याल औणू ,
 स्यु त मेरु अपुरु लाटू जन छ दिखेणू ,
 भिन्डी साल बीटी छ स्यू घौर औणू ,
 तभी त ठीक सी निछ स्यु पछन्याणु ,
 बचपन मा चलिगी धौउ स्यु घौर छोड़ी ,
 अब ज्वाँन व्हेकि तै आई स्यु घर बौडी ,
 लाटू जब अपर घर गुठ्यारा माँ जांदू ,
 ब्वॆइ बाबू का चरणु मा अपरी सेवा लांदु ,
 कख चलेगी थैइ मेरा लाटा ,बोलदी ब्वॆइ,
 खूब भिंटेंदी गला ,बुड्या आँखी रोई रोई ,
 ब्वॆइ बाबू कु त्वे कभी ख्याल नि आई ,
 तेरा बिना काटि रात हमुन घर रोई रोई ,
 जै भूमि मा त्वेंन अपरू बचपन काटी ,
 भूली गैई थै क्या वीं अपरी पवित्र माटी ,
 सौजड्या तेरा घौर सदा औन्दु जांदा रैन ,
 त्वेसण यु  बुढया आँखी सदा हेरदु रैन ,
 मेरी भी ब्वॆइ कुछ अपरी मजबूरी रैन ,
 नी त अपर घौर किलै नि औण थौ मैन ,
 बेरोजगार शाहरू मा पैली भटकणु रैंयो ,
 कैई दिन भूखा पेट रातू सड़क्यों मा सेयों ,
 प्रदेश दुःख बिपदा ब्वॆइ बहुत उठैन मैंन ,
 निर्भैइ शहरू मा कभी नि मिलादु चैन ,
 अपर भी दुःख बिपदा मा मुख मोड़ी गैन ,
 अब कुछ खाणी कमौणी का दिन ऐन ,
 अब द्वि बक्त की रोटी चैन सी खै सकदू ,
 शुख दुःख ब्वॆइ बाबू कु अब देखि सकदू ,
 भगवान् अब जू मै राजी ख़ुशी राखलू ,
 घौर बौण बराबर अब औणु जाणु राखलू ,
 दुःख शुख मा ब्वॆइ बाबू कु ख्याल रखलु ,
 अपरी जन्म भूमि सी सदा जुड्यु रौलु ,
 बार त्योहारु मा ब्वॆइ अब जरूर घर औलू ,
 तेरा हाथ का पकवान तुम्हारा दगड़ा खौलू ,
 कु होलू धारउद स्यू नौन्याल औणू ,
 स्यु त मेरु अपुरु लाटू जन छ दिखेणू ,
 
 द्वारा रचित >भगवान् सिंह जयाड़ा
 दिनांक >१४ /०४ /२०१३
 फोटो साभार >पहाड़ी दगड्या — with सुनीता शर्मा and 20 others.भगवान् सिंह जयाड़ा दिनांक >१४ /०४ /२०१३ फोटो साभार >पहाड़ी दगड्या" height="264" width="398">

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:
भगवान सिंह जयाड़ा पहाड़ का बिकाश कु यु पहलू हम तै अपरी पवित्र धरोहर और संस्क्रती पर सोचण कु मजबूर करदू
 क्या हम सी कुछ भूल चा होणी ??
 ***बिकाश बनाम बिनाश****
 यु कनु विकाश छ पहाड़ माँ होणूँ ,
 जैका पैथर पहाड़ी जन यख रोणूँ ,
 कुड़ी पुन्गण्यॉ कु बिछोह छ सौणूँ
 बिस्थापन का दर्द सी छ स्यू रोणूँ ,
 कुड़ी पुन्गड़ी लोगु की दुबिगी पाणी,
 बिपदोऊ की बाड़ यख सौणु प्राणी ,
 देवी देब्तोऊ का उठिग्या यख थान ,
 जौकी करदा हम पूजा और ध्यान ,
 लोगु की आस्था कु होणु अपमान ,
 कन  कैई रालू यख मान सम्मान ,
 देब्तोउ का प्रकोप त भौत व्हेग्या ,
 बिकाश की रौड़ मा ,देखदा रैग्या  ,
 देव भूमि तै अब इथ्गा नी खोदा ,
 देबी देबता यख का अब यन बोदा ,
 यख की परिस्थिति समझा ज़रा ,
 बिकाश भी ऊनि ढंग सी यख करा ,
 नि त पहाड़ एक दिन उजड़ी जालू ,
 तब पछतौण का सिवा कुछ नि रालू ,
 यु कनु विकाश छ पहाड़ माँ होणूँ ,
 जैका पैथर पहाड़ी जन यख रोणूँ ,
 
 द्वारा रचित >भगवान सिंह जयड़ा
 दिनांक >०२/०५/२०१३
 अबू धाबी (संयुक्त अरब अमीरात )
 http://pahadidagadyaa.blogspot.ae/ — with सुनीता शर्मा and 13 others. भगवान सिंह जयड़ा दिनांक >०२/०५/२०१३ अबू धाबी (संयुक्त अरब अमीरात ) http://pahadidagadyaa.blogspot.ae/" height="378" width="504">

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