पडिगे ह्युवालू डांडा रेरचना शैलेन्द्र जोशी
पडिगे ह्युवालू डांडा रे
बदन तय क़पैगे ये ह्युवालू रे
चा की कनी बार रे
राजे खंतरो मा भुज्या भटो कू ठुगार रे
बाँज कुले डालियों की ठंडी बयार
हार्डमांस तय चीरि की हड्गो तय कर नि च तार तार
आंगेठो की तात मायादारो की बकिबात
काजदारो कू काज ये हिम् बरखा न लुछयाली
पर जुगो की डोरों घघरू नि छुटदू यी काजदार भी लग्या छा अपणा काज
छोटा नानतिन तय कनु सजा होगे
गवाडीयू च बुवौइन विते भीतर
छटला बादल पिघलु हियु आलू भै कब बसंती घाम
रचना शैलेन्द्र जोशी