जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासुposted toShailendra Joshi जोशी जी,
आप सृजन करते रहो,
अनुभूति व्यक्त करते रहो,
कलम से मन की बात कहते रहो,
पर्वतों से अतीत पूछते रहो,
देवताओं की धरती उत्तराखंड,
जन्मभूमि है तुम्हारी,
गर्व करते रहो......
लिख दो काल के कपाल पर,
जो देखते हो, कल्पना करते हो,
शैलपुत्र सोचना क्या,
रचना संसार अंतहीन है......
बद्रीविशाल की आप पर,
कृपा रहे,
मिलता रहे माँ सरस्वती का,
आशीर्वाद आपको,
मेरा कविमन तो यही कहे....
-जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु"
18.42013
jjayara@yahoo.com