Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 98882 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हे दीदी हे भुली
कख गैनी ऊ समोसा
कख गिनी वू पकोड़ी लाला की पकोड़ी
वू चाट वू छोला
वू मेला की जलेबी
वू गुड़ चना वू भेली
क्या दिन छा भै
अब कबि बीपी लो कबि हाई
कभी गैस उब कभी उन्द
ज्वनि मा भी क्या दिन छा ज्यू खै ऊ पचै
लिम्बा नारंगी की खाटाई
अब हुन्दा दांत सिला
ऊ मीठी मीठे
ये बुडापा मा निर्भाग शुगर
वो ब्यो बारात
पाथो भरी खाण भात
वो च्युडा वो भूखणा
ये बुडापा मा रै गिन ये सब सैदाण
अब कभी गोली कभि चा कैपसूल
गिचा मा
ज़माना जामना की बात चा
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi मी हैसदा उजाला मा भी डौर की निकलू भैर
 मी घणा अंधेरो मा त कत्ते ना निकलू भैर
 जामना की या ही फरमान चा मी खुणी
 दोष मेरु क्या ये ही चा मै नारी छोऊ
 तुमरी कू नज़र कुनैत की मारी छोऊ
 कब तक मेरी उमर तै दोष देला
 कब तक मेरा फैशन तै दोष देला
 मित्ते नौ निसाब च्यैणु चा
 अपणी बेजेतीकू हिसाब च्यैणु चा
 कब तक बौग मारला तुम
 रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi उडते परिंदों  की परवाज सी हो ती है आजादी
              मै उडू तो   क्यों  हो जाती है  तुम्हे   परेशानी
 दुसरे के पंख काट के उड़ना चाहती   है ये दुनिया ये आबादी
  बोलू तो बोलता  है
                    चुप हू तो चुप क्यों  हो
                                    आदमी को किसी किरदार मै जीने  नही देती  ये दुनिया सारी
                           ए मोला  ये कैसी  सी आजादी
 पत्थर मे मूरत बनादी , चाँद मे जीवन तलाश दिया
 असंभव को संभव कर दिया
                  जो चाहा वो कर दिया आदमी ने
  पर इक काम न कर सका आदमी
 आदमी आदमी को समझा  न सका
 
                        अपना काम आसान ना कर सका
 सब आजाद है क्यों सुने किसी  की
 सब की खुली  कलाई है
 मै सुनता नही  किसी की  मै आजाद हू  थोडा बर्बाद हू
 आजाद का मतलब बर्बाद नहीं होता है
     किन्तु आजाद का मतलब सिर्फ मै भी नहीं होता .
                                      कविता शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi कविता----------------- शैलेन्द्र जोशी
 भै नरु
 हरु करू भारु करियु तू वेंन गढ़ गीतों तय भै नरु
 हे तू वे जनि गितैर नि हु वे सक दू फेर
 गढ़ कवी गढ़ रफ़ी गढ़ कविन्द्र हे नरेन्द्र सिंह नेगी
 सब्दो कु कोठार चा गढ़वाली भासा खुनी मौलियार चा
 भै नेगी महान छाया गढ़ गीतों की जान छ्या
 गीतों की गंगा सदनी तयरा मुख बीटी बग दी
 हैसदी हैसदी गा दी गीत मुड मा टोपला हाथ मा बाज़ा
 बहुत स्वाणु लग दू जब गांदी जब कुई पहाड़ी गाना
 जब तू ढौल मा ऐकी ढौलैर हुवीकी
 यु गीतों की छालार बैकी डैरो डैरो पौंच जादी
 उत्तराखंड की समस्या मा रचय बस्य तयारा गीत
 तयार नया कैसीट जब बाज़ार मा अन्दु ता धरा धडी बिक जादू
 तयरा नया गीतों की जग्वाल मा लूग रैदन
 जनि गीत बाज़ार मा अदन ता समलोनिया हो जा दन
 कालजय गीतों कु रचनाकार गढ़वाली गीतों कु सिंगार
 मखमली भोंन कु जादूगर भै नेगी
 हिवाले संसकिरती तय हिवाला ऊँचे देंन वाला अपणु तोर कु कलाकार
 गढ़ गीतों कु हीरा भी तू छे नवरतन छे तू गढ़ कु गढ़ रतन छे तू
 बात बोदू गढ़ की मन की गढ़ गौरव छे तू
 नौसुरिया मुरली जनि सुरीली गौली छा तेरी
 गंगा जनि शीतलता चा तेरा गीतों मा
 मायालु गीत तेरा मायालु भोंन चा
 गीतों कु बाट की लेंन पकड़ी की गीतों का बटोई बनी की
 गीतों का बाट ही बनी गया
 ये मुलुक का सुर सम्राट बनी गया
 गीतों की पियूष जुगराज रया सदनी संसकिरती पुरुषTAG SUGGESTIONS

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi ज़िन्दगी की छवी बातों तै
 बटोलनू छौ आंखरो मा मी टीप टीपी
 तुम टीपणा छा त टीप ल्या
 निथर मिन भी क्या कन
 तुमरी जिकुड़ी की छटपटाहट तै
 सब्दो मा ढाली की गीतों मा पिरोणू छौ
 सुणी की भींग सकदा त भींगल्या
 निथर मिन भी क्या कन
 मी ज़िन्दगी की गाथा
 छंद अलंकार बतै सकदू
 और मितै आंद भी क्या
 मेरी गीत कविता तै हुंगारा लगै की ताली बजै की
 समलौणिया कर सकदा त कर ल्या
 निथर मिन भी क्या कन
 रचना शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi Sundayछत मे आना गोरी
  ईद ए चाँद बनके
 टूट जा ये रोजा आज तुझे  देख के
 हम तो तेरे दिदार के ली ये तरस गये है तेरे प्यार के लिए 
 तीर ए तरकस चुबा बैठे है दिल ए गुलजार मे
 गोरी तेरे प्यार मे
 दर्द ए दिवार पर सर टिकया है
 घुटन कमरे मे गम ए आसू बहाये है  तेरे प्यार मे
 ईद है गले मिलो मेरे यार
 भूल जा ओ तुम लड़की हो हम लडके है
 ईद है बस गले मिलो मेरे यार
 टूट जा ये रोजा आज तू जे देख के
 कविता शैलेन्द्र जोशी Photo: छत मे आना गोरी ईद ए चाँद बनके टूट जा ये रोजा आज तुझे  देख के हम तो तेरे दिदार के ली ये तरस गये है तेरे प्यार के लिए तीर ए तरकस चुबा बैठे है दिल ए गुलजार मे गोरी तेरे प्यार मे दर्द ए दिवार पर सर टिकया है घुटन कमरे मे गम ए आसू बहाये है  तेरे प्यार मे ईद है गले मिलो मेरे यार भूल जा ओ तुम लड़की हो हम लडके है ईद है बस गले मिलो मेरे यार टूट जा ये रोजा आज तू जे देख के कविता शैलेन्द्र जोशी height=440Like ·  · Share

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
Yesterday
दुनिया एक शराब है
जो करती आपको खराब है
एक पैग मस्ती उमंग का पी
ज़िन्दगी के नाम
फिर जान की जिंदगी का नशा क्या है
तुने यूही सर पे चड़ा रखा है अंगूर की बेटी को
ये दो पल की दारू
ने लुटा लिया तुने साले कमीने अपना सब कुछ
जान गया जिस दिन तू जिंदगी का नशा
उस दिन लगेगा तुझे ये नशा वशा दारू वारू सब मूत
रचना शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
Wednesday
पुत्र है रमेश का
ईश है क्रिकेट का
बॉम्बे का बॉम्बर है मुम्बे का मुम्बेकर है
मास्टर है बलास्टर है
शिवाजी की पौधशाला की पौध है
विरोधी टीम के ली ये रूद्र है
भारत माता का पुत्र है
हर नव क्रिकेटर जिसके चलना चाहता पद्चिन
नाम जिसका सचिन
भारत भूमि का सचा सपूत होने का अर्थ दुनिया को बतलाया
सर जॉन ब्रेडमेन की ड्रीमएलेवेन मे स्थान पाया
हर रिकॉर्ड अपने नाम करवाया
ध्यानी का ध्यान धर तेंदुलकर
खेल मे धीर है गम्भीर है
क्रिकेट का हीर है शतकवीर है
क्रिकेट इतिहास् मे पदचिन जिसके सबसे भिन्न
नाम जिसका सचिन
ऐसा महान क्रिकेटर को
करता हू मै जय हिन्द
कविता शैलेन्द्रजोशी

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Shailendra Joshi
 
घौर मा चा आपदा
ऐथर नी औ क्वी आपदा
जाणा सब्बी लोग देरादूण बसणा कू
क्वी जाणू किरै मा
क्वी लेणू बिस्वा
क्वी फ़्लैट मा
मिन भी बनै प्लान जाणों कू
बाधीन बोरिया बिस्तरा
जणी सुणी ज़मीन का रेट
देखदू रै ग्यो आगास मा
मिन बोली हे परभू
कखी रै भी गे गरीबू ठौर -ठिकाना
रचना शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi  ज़िन्दगी की छवी बातों तै
 बटोलनू छौ आंखरो मा मी टीप टीपी
 तुम टीपणा छा त टीप ल्या
 निथर मिन भी क्या कन
 तुमरी जिकुड़ी की छटपटाहट तै
 सब्दो मा ढाली की गीतों मा पिरोणू छौ
 सुणी की भींग सकदा त भींगल्या
 निथर मिन भी क्या कन
 मी ज़िन्दगी की गाथा
 छंद अलंकार बतै सकदू
 और मितै आंद भी क्या
 मेरी गीत कविता तै हुंगारा लगै की ताली बजै की
 समलौणिया कर सकदा त कर ल्या
 निथर मिन भी क्या कन
 रचना शैलेन्द्र जोशी 

 

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