Shailendra Joshi कविता----------------- शैलेन्द्र जोशी
भै नरु
हरु करू भारु करियु तू वेंन गढ़ गीतों तय भै नरु
हे तू वे जनि गितैर नि हु वे सक दू फेर
गढ़ कवी गढ़ रफ़ी गढ़ कविन्द्र हे नरेन्द्र सिंह नेगी
सब्दो कु कोठार चा गढ़वाली भासा खुनी मौलियार चा
भै नेगी महान छाया गढ़ गीतों की जान छ्या
गीतों की गंगा सदनी तयरा मुख बीटी बग दी
हैसदी हैसदी गा दी गीत मुड मा टोपला हाथ मा बाज़ा
बहुत स्वाणु लग दू जब गांदी जब कुई पहाड़ी गाना
जब तू ढौल मा ऐकी ढौलैर हुवीकी
यु गीतों की छालार बैकी डैरो डैरो पौंच जादी
उत्तराखंड की समस्या मा रचय बस्य तयारा गीत
तयार नया कैसीट जब बाज़ार मा अन्दु ता धरा धडी बिक जादू
तयरा नया गीतों की जग्वाल मा लूग रैदन
जनि गीत बाज़ार मा अदन ता समलोनिया हो जा दन
कालजय गीतों कु रचनाकार गढ़वाली गीतों कु सिंगार
मखमली भोंन कु जादूगर भै नेगी
हिवाले संसकिरती तय हिवाला ऊँचे देंन वाला अपणु तोर कु कलाकार
गढ़ गीतों कु हीरा भी तू छे नवरतन छे तू गढ़ कु गढ़ रतन छे तू
बात बोदू गढ़ की मन की गढ़ गौरव छे तू
नौसुरिया मुरली जनि सुरीली गौली छा तेरी
गंगा जनि शीतलता चा तेरा गीतों मा
मायालु गीत तेरा मायालु भोंन चा
गीतों कु बाट की लेंन पकड़ी की गीतों का बटोई बनी की
गीतों का बाट ही बनी गया
ये मुलुक का सुर सम्राट बनी गया
गीतों की पियूष जुगराज रया सदनी संसकिरती पुरुषTAG SUGGESTIONS