Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 98960 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
hailendra Joshi
April 14
तू आमे बौर
मी रंगिलू भौर
आलु त्येरा धोरा
चुरैकी ले जालु
त्येरा रस
रस का नसा मा त्येरा
गौ गौ का म्यैला
झूमलु बैसाखा थौल
तू आमे बौर
मी रंगिलू भौर

रचना .......शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
February 19
ज्यू बेसरम चा
ज्यू निकजु चा
ज्यु बैमान चा
ज्यु कुछ बि बोल सकदु
जैका गिच्चु भरोसा नि चा
ज़माना मा नेता उई चा
व्यंग पिच्कारी। .... शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
February 16
तेरा गीत की लैन चा
आलु घाम छिरकि मुठ बोटीक रख
कर ले भै वादा
आज नेगी दा
देलू हम तै विकल्प राजनीती कु
अन्ना की लड़े मा
तिन भी लड़े लड़ी सदनी भ्रस्टाचार बीटी
गै नि गीत यना
कभि गै नौचामी कभि गै मछु पाणी
अब क्त्गा खैलियो जना गीत सुणि
देहरादून क्या दिल्ली वालों का भी पसीना छुट दा
उक़ा पसीना छुटा दी रै
अब गीत यना बनई
जू विकल्पों की हो नामा वाली
पंच बदरी पंच केदार की धरती मा पंच ऍमपि दी इना जो हो साचा
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
February 14
दास्तान ए इश्क़
कब हुआ शुरू
ये बात तो
बहस की है जरा
लेकिन खेल
सारा नज़र का है
चेहरे मुस्कुराहट पहले आयी
या शर्म की लाली
ये बात तो
बहस की है जरा
लेकिन खेल
सारा नज़र का है
दुपट्टा पहले सरका
या झुकी आँखे पहले उठी
ये बात तो
बहस की है जरा
लेकिन खेल
सारा नज़र का है
उसके चेहरे के पसीने
लतपत रुमाल मे था
प्यार का करार
जो रख दिया था
रेस्टोरेंट कि मेज मे
या राह मे गिरी चुनरी
पर था प्यार का पैगाम
ये बात तो
बहस की है जरा
लेकिन खेल
सारा नज़र का है
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
February 13
एक सैड हिन्दी इंग्लिश चा
एक सैड गढ़वलि खासणी चा
मै कै हौर नि
तुमरि घौर बात करणु छौ
छवी कब गप्प
गप्प कब गॉसिप
बण ग्येनी
तुम तै क्या
कै तै बि पता नि चली
जन बोई कब मम्मी
मम्मी कब मॉम हवेगे
जन बुबा कब पापा
पापा कब डैड ह्वेगे
तुम ही बोला पता चलि
सैद बदलदु समाज येथै हि बोल्दन
उन बि परिवर्तन समाजों नियम चा
पर ये परिवर्तन हौर कुछ नि ह्वे
गढ़वलि हर्ची गै
रचना। .......शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
February 11
चुल्ला की आग
ऊँन्नी नि जल्दी
बौण हिटै चा
भारी वीकी
तब जल्दी
चुल्ला की आग
चुल्ला की आग
उन्नी नि मुझदी
भारी हव्वा फुकी
मेहगयीन जब
तब जैकी मुझदी
चुल्ला की आग
रचना। …शैलेन्द्र जोशी
See Translation

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
April 30
छोरी छरहरी
हरी मिर्ची सी
बदन दमकत भायो
चांदनी निशा सी
रूप चमकत भायो
उषा उजाली सी
छरहरी काया तेरी
सांप सी सरसरी
हिर्दय मेरे डंक लगाये
मोये प्रेम का शिव बनाये
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi

April 29

तोरा यों रूप बालमा
गजब धाय हाय रामा
मोरे तन मे आग लगाये बालमा
मोरे जिगर की बरफ बिगलाये
प्रेम की गंगा सागर तक पहुचाये रामा
बदन की आग मे
शबनम सी ठंडक पहुचाये तोरी हँसी बालमा
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
April 28 · 

दिदा दागी बि चा
दिदा बागी बि चा
और बणयु सबसे भलु
आज बीजेपी मा
भोल बणगी कांग्रेसी
परसी नितरसी बितेनी
सपा बसपा मा
आज बणगी दिदा निर्दली
सुधारक बणयु समाज कु
उठायु बीड़ा नेतागिरी कु
गिच्ची भितर कुछ भैर कुछ
छाई दिदा बडू आली जाली
भैर इमानो झुटू स्वांग
भितर बिटी चा दिदा कपटी बैमान
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0
Shailendra Joshi
April 27 · 

शिलान्यास के पट्टो मे
नाम गुदवाने वाले पठठे
जनता के दिल मे राज नहीं करते
भले कुछ दिन पिछवाडे को
कुर्सी का आराम मिल जाये
जनता की जब मार पडे
पीड़ा हरने वाला बाम भी फिर ना मिले
रचना शैलेन्द्र जोशी

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22