Poiet Shailendra Joshi
July 20 · Edited
आपके लोकप्रिय व्यंग सम्राट नरेन्द्र कठैत जी का नया व्यंग संग्रह ''नाराज नि हुया " बहुत जल्द बाजार मे उपलब्ध होगा
पुस्तक के अन्दर की झलकिया

कागज पर बातै रफ़्तार पकड़नू तै हम ''अर्धविराम ,अल्पविराम बि लगौंदा पर कै बि 'अर्धविराम ,अल्पविराम मा बात तै थम्ने हिम्मत नि ! या इन बि बोल सकदा अर्धविराम ,अल्पविराम से क्वी बात थम्ये हि नि लोग त इख तक ब्व्लंदन कि जै दिन क्वी बात अर्धविराम ,अल्पविराम मा अटकगि समझ ल्या बात लटकगि ब्वनौ तै त अर्धविराम अर ,अल्पविरामा बाद पूर्णबिराम बि अपणी पूरी ताकत झौक दैंदु पर बात कै दौ , पूर्णविराम तै बि लांघी ऐथर बढ़ जांदी !
गड्वाली भासा मा “खुनौ तै ल्वे’’ बि ब्वल्ये जांदू यि बात तै कु लाटू नि जणदू होल्लू ! पर गड्वाली भासा बीटी ल्वे वुनि कम होणु च जन हमारि जुबान बीटी ब्वे ब्वनु हरचणु च ! दिखौण क्या च ,साफ़ झलकुणु च कि जै सरेल मा ल्वे दंन्कुणु चैणु छौ वे मा खुनौ दौरा प्वडना च ! , वे मा खुनौ क्वी दोस नि ! खून त अपड़ो काम कन्नै लग्यु च ! दरसल जब तक हम तै अपड़ा ल्वे कि कीमतों पता नि चल्द तब तक खूनन ही काम चलौंण प्व्डलू !