Poiet Shailendra Joshi
August 21 · Edited
यो चा खुदैड़ मुल्क
की पहचान भै
रीति रिवाजों
बार त्यौहारों मा
भि दिखेन्दी विकी अनवार भै
दय्ख्णु हो खुदैड़ मनखीयों
का बार त्यौहार
सिधा चली ऐजा
नंदा राजजात
कन्न भारी करुणा
भेट भीटिकी लोग
गौरा की बिदे मा
रोणा बिलकणा
मैत ध्याणीयो
आंदु त्यौहार
बरस बार
नंदा राजजात
रचना ....शैलेन्द्र जोशी