Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 99061 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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गली संगडी अर
मनखी चौडु ह्वेगे
बगत कि दौड़ा दौड़ी मा
दिल छुपियु कुजणी
कै मुसदुला मा
चौड़ी गात
सैनि सक्णी
छोटु दिल कु भार
पिरेम भौ कु
कखी मोल न भोऊ
रयु अज्क्याल
इन्नी छन भैजी सब्भी
मन्ख्यो का हाल
क्या वार क्या पार
रचना .......................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
16 hrs ·

म्येरा मन का
दंदोल जब तलक
नि बण जाला
म्येरा गिच्चा का
बोल
तब तलक छिन
दीदा त्येरा सबाल
जन ही ह्वे भीतरे
बात लिक तब द्यखा
त्येरा बबाल
जण द्यु छौ दीदा
त्येरी सार तार
तू छेय पत्रकार
रचना .......................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
January 9 at 8:03pm ·

म्येरा सुरों मा बसी
सरसुती भगबती
ज्यू भि रयेकी गयेकी
होली गौला मा म्येरा
गीत गै गैकी
करलू माँ सरसुती
त्येरी इस्तुती
कृपा रखी सरसुती
कंठ गौला मा म्येरा
त्येरी किरपान सुणदा
लुग गीत म्येरा
गौला मा बिराजी रै तू
यी जलम आखिर साँस तक
साधना सुरों बिटी करदु रालु
सरसुती माँ भगबती
गंगा सुरों कि जमुना गीतू कि
बगदी रा समोदर दुन्या मा
बसी रै तू बस म्येरा गौला मा
सरसुती भगबती
ज्यू भि रयेकी गयेकी
होली गौला मा म्येरा
गीत गै गैकी
करलू माँ सरसुती
त्येरी इस्तुती
रचना .........शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
January 4 at 8:19pm · Edited ·

जख भि तू जांदी दग्डयो कु
दगडा त्वैकू चैदू
हे इस्कुलिया बांधा
क्वी बैख देखी झट खौली जांदी
मन मा कुछ नि रैंदु
फेर भि मूल हैस जांदी
हे इस्कुलिया बांधा
बिराणा पीठी का ठंगरा मा
लगुली सी छाई तू
बथो मा हलान्दी फौंगी रे तू
जैन जिथे ढलकै
उथै ढलक जांदी तू
बिना मेकप का जुनी सी
दमकणी छेय तू
फयोली सी मुखड़ी मा
रिबन का दुई फूल
खिलिया दुई लटलियो मा
गर मीठी नींद मा
कचि उमर मा पकी उमर का
सुपनिया देखती तू हज़ार
बिखरा लटुला जुनी मुखडा मा
कालू काजल पस्यु मा
गलोड़ी मा बादल सी घिरुयु
ना चदरी ओदणु कु सगोर
लाज से बे फीकर
फैर भी सर्म चा
भिन्डी तुवे मा इस्कुलिया बांधा
रुढ़ सी झौल तुवे मा
हुयुन्दी सी सैली चा
शरारत चौमास त्वे मा
बसंत कु मौलियार छेय तू
खूबसूरती कु भण्डार
निर्मल चित कु कोठार
जवानी कु उदंकार छेय तू
है इस्कुलिया बांधा
रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
19 hrs · Edited ·

यी मैगी ज्वनि कि
माया मैकू भी
दी दे जरा
सबसिडी मा
मैकू भि दी दे छोरी
अपणी कलेजी कु रस
निचोड़ी मै भि चुकालु
माया कु मोल
यी मैंगी ज्वनि कि
माया कु स्वाद
मैकू भि चखे दे
चुम्खी माया कि छोरी
मैफर भि लै जै
जिन्दगी भर मणलु
त्येरु अहसान
साहूकार पैसा वल्ला
डमडमा बैख त
बिना सबसिडी कु भि
चुका देला यी मैगी
ज्वनि कु दाम
मै जना गरीबू कु रख
जरा ध्यान भै तू
चुकालु मि भि दाम
कलेजी कु रस निचोड़ी
रंगी दैलु त्वैकू अपणा रंग मा
त्येरी हि ज्वनि हि त्येरी माया
त्येरी हि सरकार त्येरी हि सैरु राजपाट
बस दी दे तू भै
मैकू छोरी यी मैंगी ज्वनि कि
माया कि सबसिडी
सबसिडी भै सबसिडी
रचना ............................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
January 12 at 7:20pm ·

ऊँकि चिद चा
वुन बीड़ा उठे
बोली भासा
संसकिरती
बचाणा कु
वु दुन्या समाज मा
एक अलख जगे
दुन्या समाज जत्गा बिंगी
होली पर ऊँका जिकुड़ा पीड़ा
तब सरे जब अपणा बाल बच्चों
पर फरके उन एक नजर
मि यख पाड़ का रंग मा रंगियु
और तुम भी देसी ह्वे ग्या
पीड़ा कु रोग नासूर हवेगे
वि दिन बीटी
रचना .......................शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
January 24 at 7:53pm ·

फ्योंली बिगरैल ह्वेगे
बे सिजन खिलणी चा
बुरांस बैमान ह्वेगे
पूस की ठण्ड मा
खिली लाल हवेगे
फ्योंली कु फूल तै
त्वे जनि कतामति चा छोरी
बसंत की नि करि जग्वाल
मौल्यार मा ही कतामति ह्वेगे
छोरा बुरांस कु फूल बि
त्वे जनि बैमान चा
बसंत की नि करि जग्वाल
मौल्यार मा ही कतामति ह्वेगे
ग्लोबल वार्मिंग कु सब्बसि जादा
असर हम मनख्यों मा चा
डाला बोटा पौन पंछी
फूल कांडा डाला सब्बि
हमरि चार पैथर चलदा
बचपन बिसरीकि कि हम मनखी
बगत से पैली ज्वान होणा छन
फ्योंली और बुरांस तै क्या बुन फिर
मौल्यार बिसरकि बिना बंसंत अया
ज्वान ह्वेकि
बंसत खौलिगे मेरु क्या रोल चा
जब सब्बि बगत से
पैली जवान होणा छिन
रचना। .... शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
January 23 at 7:28pm ·

हर घुंट दुख का पिकर
अपने अंसुवन से सींच
हरा भरा करती संसार
ये दौहित्रीयां
बेटी ही देती
खुशीयाँ जग को
बेटी ही देती
बेटे जग
गायत्री सी पावन
ये दौहित्रीयां
गंगा सि निर्मल
ये दौहित्रीयां
ऊँच पद सिहासन
पर विराजित है
ये दौहित्रीयां
पर फिर भी घर का
काम करे प्रफुलित
हो कर ये दौहित्रीयां
क्या वार क्या पार
दो घरों सिंगार
ये दौहित्रीयां
नर क्या नारायण
निर्मात्री ये दौहित्रीयां
अपने वंश के चलाने के लिये
चाहिये ये दौहित्रीयां
फिर अपने वंश मे
तुम को क्यों नहीं
चाहिये ये दौहित्रीयां
बेटी के लिये कंस नहीं
कृष्ण बनो फिर देखो
मथुरा वृंदावन कर देगी
घर तुम्हारा ये दौहित्रीयां
रचना ..............................शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
January 22 at 8:21pm ·

क ..................................कल्पना
वि ..................................विचार
ता ......................................तालमेल
यानि कवि के कल्पना और विचार शब्दों के साथ छदो अलंकारो का ताल मेल है कविता ये कल्पना विचार का ता आप तक पहुँचता है तब पूरा होता है ये कवि का ता यानि बिना ताल मेल के कविता अधूरी है..................शैलेन्द्र जोशी

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Shailendra Joshi
January 17 at 8:23pm 

गड्वाली गडवाल कु हो
या हो दिल्ली बॉम्बे कु
पर गड्वाली हुणा की
पहचाण बि एक चा
और नातु भि एक
क्या चा क्या चा
क्या करना भयों
यों चा बस गड्वाली
हुणा कि अनवार
गड्वाली सिर्फ
नाचौणया विषय रैगे
ब्यो मा डीजे का
एक ट्रैक तक
रचना .....................शैलेन्द्र जोशी

 

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