हर एक सोच रहा है
वो देख रही है तो किसको एक टक
कही मुझे तो नहीं कही मुझे तो नहीं
लड़किया मौहल्ले की हमारी सोच रही है
ये देख रही है किसको
कोई कहती पढती है मेरे कालेज मे
कोई उस को देख हैऱा हो थी
कोई उसको देख मुस्कुराती
कोई कहती अपने को हूर समाझाती है
कोई कहती सुंदर है क्या इतनी
कोई कहती सुंदर तो है ही
पर सब लड़कियों प्रशन ये ही है देख किस को रही है
लड़कियो की इस वार्तालाप के बीच मौहल्ले के और लड़के है अनुपस्थित
है उपस्थति दर्ज हमारी तो लड़की तो देखेगी ही लड़के को
रचना शैलेन्द्र जोशी