Author Topic: Satire on various Social Issues - सामाजिक एवं विकास के मुद्दे और हास्य व्यंग्य  (Read 146150 times)

Bhishma Kukreti

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क्या तुम भगवान से बि खिजेणा रौंदा ?
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(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes )
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  मजा ही मजा मा  मजाक :::   भीष्म कुकरेती   
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 खिज्याण , चिरड़ उठण , झुंझलाण मनिखौ परबिरती च पण जु बड़बड़ाण आदत बणी गे तो समझ ल्यावो तुम खिज्यंदेर  मनिख ह्वे गेवां। झुंझलण्या मनिखौ कुछ पछ्याणक -
क्या आप सीण से पैल सुचदा कि बिजदि तुमर मूडन खराब रौण।
क्या आप साफ़ साफ़ बुलणो जगा गण गण रूप मा असन्तोषी शब्द बुलणा रौंदा ?
क्या आपक द्वी दाढ़क दांत जब मिल्दन तो तुम तै सब दांत सिल्ल व खट्टा लगदन ?
जब तुम सुबेर बिजदा अर गंदी सांस तै बंद करणो बान तुम दांत साफ़ करणो जगा दंतुं तै गाळी दींदा ?
कबि तुमन अलार्म घड़ी तै गुस्सा मा गाळी त नि देन ?
टूरम या आउटिंगम  तुम फोटो इलै नि खैंचदा कि कख फिर से या जगा याद करण पोड़ल ?
क्या तुम हर चीज मा मीन मेख निकाळणा रौंदा ?
क्या तुम छुट्टी पर घुमण तै अळगस्यूँ , कामचोरुं मेळा समजदा ?
क्या तुम हरेक तै चोर मानिक वोट नि दींदा ?
क्या तुम तै अपछ्याणक वळु से डौर लगद ?
क्या तुम तै पड़ोस्यूं बच्चा यमराज लगदन ?
क्या तुम तै लगद बल तुम या तो समय से पैल पैदा ह्वे गेवां , तुम तो दूसर युग लैक छंवां ?
क्या तुम तै फ्वीं फ्वीं फ्वींफाट करणम आनंद आंद ?
क्या तुम तै लगद कि तुमर संतान तुमसे जळदि च ?
यदि उत्तर हाँ छन तो अपण मिजाज बदलो।


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Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  1 1 /6/ 2017
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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प्रतीक्षालयुं मा प्रतीक्षा प्रसव पीड़ा 

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes )
s =आधी अ
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   
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प्रतीक्षा हमर जमनाक एक संस्कृति च , इन्तजार करण  सभ्यताs  अंग च  , प्रतीक्षा मा जीण एक कला बि च।
               म्यार  प्रतीक्षालय से पैल पैल मुखसौड़ तब ह्वे छे  मि दर्जा छैइम दाखिला लीणो सिलोगी स्कूलम ग्यों।  प्रिंसिपल साब क भैर बड़ो बरामदा छौ अर हरेक क्लास का कमरा बरामदा मा खुल्दा छा। म्यार दगड़ म्यार बडा जी छा जु खुद प्राइवेट टीचर छा तो फॉर्म भरणो समस्या नि छै।  बकैयूं संरक्षक बडा से फॉर्म भरवाणा छा।  बडा जी तै प्रतीक्षा अनुभव नि हूणु छौ किलैकि हौरू फॉर्म भरण म ब्यस्त छा।  हम प्रवेशार्थी भैर खुलाम  एक हैंक से कविता पूछिक परिचय करणा छा तो प्रतीक्षा वेदना को अनुभव नि ह्वे।  प्रतियोगिता /दूसर तै कविता पुछण प्रतीक्षा पीड़ा  नि हूण दीणि छै। 
               फिर जब मि ड्यारा डूण भर्ती हों तो हमर गांव से बस स्टॉप ज्यादा ना सात मील दूर गंगापार सिंगटळि छौ।  उख पूरी रोड प्रतीक्षालय ही छौ।  द्वी तीन  घंटा बाद ऋषिकेशौ कुण बस आंद तो रोड ही प्रतीक्षालय ह्वे सकद छौ।  चाय आदि की द्वी दूकान बि इन्तजारौ दर्द कम करणो आशियाना छा।  1965 से 1974 तक साल भर मा द्वी -तीन दैं सिंगवळिम वेटिंग पेन अनुभव करण इ पड़द छौ।  गेट सिस्टम छौ तो गाडी अपण समौ पर आंद छा अर अमूनन बसूं म जगा नि   मिलदी छै तो प्रतीक्षा अधिक ही हूंद छे।  बस वेटिंग पेन वाकई  मा चाइल्ड डेलिवरी पेन से बड़ो पेनफुल हूंद छौ।  जग्वाळ की पीड़ा स्वील हूणो दर्द से बिंडी दर्दीला !
                       ड्यारा डूनण मा प्रतीक्षालयों मा प्रतीक्षा पीड़ा भौत अनुभव ह्वे पर यादगार अनुभव तो फिल्म हॉल से भैर  जग्वाळ करणो को ही च।  बारा बजिक शो कुण दस या ग्यारा बजि टिकट मिल जावो तो सिनेमा हॉल का बरामदा या भैर चौक मा शो शुरू हूण तक प्रतीक्षा पेन क्या कम पेनफुल हूंद छौ क्या ?
सेल्स लाइन मा छौं तो पिछला चालीस सालों से टूर जीवन को अभिन्न अंग च।  अर बस स्टॉप , रेलवे स्टेशन व एयर पोर्ट पर इंतजारी  दर्द जीवन से से इथगा घुलमिल गे कि जैदिन इन्तजार नि करण पोडद तो इन लगद मि इंडिया मा ना फॉरिन कंट्री मा हूँ।  बस या रेलवे स्टेशनोंमा  जग्वाळ थुड़ा भौत सह्य हूंद।  इखपण तुम कैक बि दगड़ कनि बि , हिंदीम बचळे सकदा पण एयरपोर्टम वेटिंग बड़ी बोरिंग हूंद।  एयरपोर्ट मा सब अपण इगो मुंडम लेक खड़ा या बैठ्यां रौंदन अर तुम युंका दगड़ सुदि मुदि टैम व्यतीत करणो बान छ्वीं नि लगै सकदा।  अर क्वी मिल बि जावो त अंग्रेजी मा ही बात करण पोड़द।   
             अस्प्तालूँ मा प्रतीक्षालय हो बि तबि वु  अस्पताल ही हूंद।  मोळs लड़्डू  पर चांदी लोप लगैक वो चाँदीक लड़्डू नि ह्वे जांद।  उनी अस्प्ताळुं प्रतीक्षालय वाटानुकूलित बि ह्वावन तो बि बीमारी , रोग अर दुःख की हव्वा कम त नि ह्वे सकदी ना।
    क्वी मोरी गे तो यदि मृतक तै मड़घट लिजाणम बिंडी देरी हो तो या प्रतीक्षा परजामा मा ली जांदी।
    सरकारी काम कराणो बान साब की प्रतीक्षा बि त पेनिंग ही होंद।
    अब द्याखौ न फेसबुक मा पोस्ट डाळो अर जब तक क्वी Like अर कमेंट्स नि आवन तो वा प्रतीक्षा कम पेनफुल हूंदक्या ?
   लैंडलाइन टेलीफोन कम्प्लेन करणो बान टेलीफोन पर - आप कतार में हैं , कृपया प्रतीक्षा कीजिये की ध्वनि करैं से बि बिंडी कर्करि लगदी।
कम्प्यूटर रिस्टोर हूणै प्रतीक्षा त जानलेवा हूंदी।
जथगा दिन तथगा किस्मो प्रतीक्षा।  शास्त्र बुल्दन बल जु प्रतीक्षा करण सीख जावो ओ ही इंद्रजीत , महावीर  , लालकृष्ण अडवाणी हूंद।  पर जरा लालकृष्ण अडवाणी तै कबि पूछ च बल प्रधान मंत्री बणनो प्रतीक्षा कथगा अधिक दर्दीली हूंद।

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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,  17 /6/ 2017
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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अरे नि चुलावो , नि चुलावो , स्या मेरि बूड सासुन बणवै छौ   
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  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

नै  मकान बणानो बान पुरण कूड़ उजण जरूरी छौ।  बिहारी ठिकदारक गढ़वळि मजदूर ऐ गे छा।  समान सुमान भैर करणो पैल काम छौ।
सुंदरा बौ - अरे जल्दी जल्दी  उठाओ ढैपर बिटेन सामान।
एक 18 सालौ गढ़वळि मजदूर - ये सुंदरा बोडी , ए बोडी ! यु पथरौ कुछ चीज क्या च ?अर यु इनि काठक क्वी तीन चीज छन  जन थाळी।
सुंदरा बौक सासु जमोतरी - अरे अरे स्यु पयळ च पयळ च।  इ राम दा कथगा काम आंद छौ स्यु पयळ।  पळयो खाणो , रैलु धरणो क्या काम नि आंद छौ। अर वु दुसर बि काठक पयळ च।
मजदूर - हैं माटक भांड त सूणी छौ पर पथरौ भांड ?काठक थाळी ?
जमोत्री  - अरे  त्यार ददा अर बूड ददा की ही त सि काठक थाळी बणइ छन।  मेर बूड सासु बतांदी छे बल बूड ससुर जिक दादा जी मोरद दैं  चुपड़ा सारिक गींठी बचैक रखणो बोली गे छा। त्यार बूड दादान अर त्यार ददा न उ गींठी डाळ काटि छौ।  त्यार बूड ददा त म्यार नि छा दिख्यां पर त्यार ददान त हमर कथगा काम करदा छा हाँ। फिर बल दुयुंन 6 काठक थाळी , एक पर्या , द्वी बड़ पर्वठ अर तीन चार बरोळी बणै छौ।  तुमर साण छै साण काठौ भांड बणाणो।  पता च कथगा दे छे मजदूरी तब ?
मजदूर -कथगा ?
जमोत्री  -टुप द्वी दूण झंग्वर , एक दूण क्वादो , द्वी पाथ सट्टी , एक पाथ  दाळ  , एक गिंदौड़ा , मर्च मसलु  अर तमाखु अलग से। अर चार फांग बगैर त्याड़ दियां भद्वाड़ करणो कुण.
  मजदूर - बस ?
जमोत्री - अरे वै टैमाक सबसे बड़ी मजदूरी छै। सरा गाउँ वळुंन हम तै सुणै बल इतगा मजदूरी किलै दे ?
मजदूर -सरा गौं नि बुल्दी।  सबि बिठुंन बुल्दी।
जमोत्री - हां हाँ सबि बिठुंन तून देन।  बकि सिक्की  ...
मजदूर - यीं ददिक त काम इत्यास बथाणो रैग्या  पर ये सुंदरा काकी इन बथा कि यूँ पथरुुँ अर काठौ भांडुं क्या कन्न ?
सुंदरा - भेळुँद चुटै दीण अर क्या करण ?
जमोत्री - नै नै।  जरा यूं पर क्वी हथ लगालो तो वैकि कुल्लि फोड़ देलु मि।  हमर पुरखोंन कथगा मेनत से यी जरुरातै चीज बणैन अर तुम भेळुंद चुलाणो बुलणा छंवां। 
सुंदरा -हाँ पर तब जरुरात छे अब नी च ना ?
जमोत्री -अरे आग लगल ये नै जमन पर।  यूँ पर हथ नि लगाण।
सुंदरा -तुम बि  ना नरेंद्र कठैत ह्वे गेवां।
जमोत्री - क्वा च उ कठैत ? राजा का ...
सुंदरा - राजाक न।  अच्कालौ गढ़वळिs  स्टार सटाइरिस्ट च।
जमोत्री - औ गढ़वळि व्यंग्यक सितारा ? क्या ब्वाल वैन ?
सुंदरा - बल साहित्यकारों तै इंटरनेट से अधिक पत्र पत्रिकाओं मा ध्यान दीण चयेंद।
जमोत्री - ठीक त ब्वाल अरे इंटरनेट बि क्वी माध्यम च जु किताबों मुकाबला कर साको। बुक्स आर फॉरएवर , किताब अमर छन। 
सुंदरा - तो तुम फिर मोबाइल मा गढ़वळि लोकगीत या नरेंद्र सिंग  नेगी का गीत किलै सुणदा ?
जमोत्री  - वु त , वु त अब क्वी ना तो गांवक गीत बणांदु ना क्वी गीत गांदो तो मीन मोबाईल मा गीत नि सुणनन त कख सुणनन ?
मजदूर - अरे गीत रचण वळुं तुमन कीमत नि जाणी त वूंन किलै गीत रचणन ?
सुंदरा - ये तू यीं बात तैं हैंक दिनौ कुण धौर दे हाँ। 
जमोत्री - कुछ बि ह्वे जैन मीन यी पुराणी चीज भेळुन्द नि फिंकण दीण।
सुंदरा -त तुमि ब्वालो क्या करण यूं वैजमानो चीजुंक ?
जमोत्री - इन कारो नै मकान का एक भितर  चौड़ी सीमेंटकी पटिया -पसूण बणावो अर उखमा यूँ सब चीजों तै धरि द्यावो।  कै चीजै जरूरत खतम ह्वे जावो तो वीं चीज तै कला या आर्ट  बणैक समाळी धौरण चयेंद।
मजदूर - हाँ ये दादी अब लगणु च तू अपण जमानैs  मिंडल पास छे हाँ।  मीन बि दसक किताब मा पौढ़ि छे बल - इफ देयर इज नो रिपीटेड यूज ऑफ एन आर्टिकल मेक इट आर्ट एंड इट्स  वैल्यू विल इनहैंस।
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Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India , 21 /6/ 2017
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इन हाथों से क्या कर्रूँ ?
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यूँ हथुं से क्या करण ?

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
  चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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                   मि राजस्थान्यूं , गुजरात्यूं अर गढ़वळ्यूं पार्टी मा नि जांदु अर कुछ ना कुछ बाना , बहाना एक्सक्यूज बणै दींदु जां से न्यूत दिंदेर रुसे नि जावन।  ना ना मि  इलै नि जांदू बल राजस्थान्यूं , गुजरात्यूं अर गढ़वळ्यूं पार्टी मा वेजिटेरियन फ़ूड मिल्दो।  ना भै ना आई चैरिस वेजिटेरियन फ़ूड।  मि तै वेजिटेरियन फ़ूड से क्वी परेज नी च।
   मि जब बि कै बड़ आदिमक पार्टी हो तो जांद छौ।  मि कै पंजाबी , कै सिंधी , कै पारसी या क्रिश्चियनाक ब्यौवक पार्टी म जाणम क्वी परहेज नि हूंद। पर बस राजस्थान्युं , गुजरात्युं अर गढ़वळ्यूं ब्यौ , बर्थडे , जणणि पार्टीम जाणम बड़ी औसंद आंद।  सबसे बड़ी परेशानी राजस्थान्युं , गुजरात्युं अर गढ़वळ्यूं  पार्ट्यूं मा मेकुण या हूंदी कि मि अपण हथुं से क्या कौरूं। हथुं से क्या कौरूं विषय ही मेरी बड़ी परेशानी च।
   मि मुंबई मा सतीश मोलासी (वीडिओकोन का भूतपूर्व डाइरेक्टर  ) , कन्हैयालाल बलोदी (भूतपूर्व मुंबई गार्डन कमिशनर  ) अर नानू गुप्ता (विजय सेल्स का मालिक ) आदि बढ़ आदिम्युं की बच्चों की शादी बड़ा होटलोम ह्वे।  पर सच्ची भुंदरा बौ क सौं मजा नि आयी।  जब कि हमर इक क्रिश्चियन चपड़ासी क बैणि ब्यो पार्टी जु छुट सि हॉल मा  छै उखमा भौत ही मजा ऐ।  नै नै इलै ना कि मोलासी , बलोदी अर गुप्ता जिक पार्टी वेजिटेरियन छे अर चपड़ासी क पार्टी नॉन वेजिटेरियन छे।  मेकुण वेजिटेरियन -नॉन वेजिटेरियन क्वी माने नि रखदन। मोलासी , बलोदी अर गुप्ता जिक पार्टीम मेरी समस्या छे कि मि अपण हथुं से क्या कौरूं, भगवान से पुछणु छौ कि यी हाथ के कामक छन ?  तो क्रिश्चियन की पार्टी मा मि भगवान से प्रार्थना करणु रौं कि मि द्वी हाथ किलै देन , चार हाथ किलै नि देन।
    असल म अजकाल होटल या पार्टी हौलुं मा सिगरेट बिलकुल बंद करे गे।  जु मि सिगरेट नि प्यों तो मेरी समज मा नि आंद कि मि यूं हथुं से क्या कौरूं।  जेबुंद कथगा दै हाथ रख सकद क्वी ? स्लिप पर खड़ हुयां क्रिकेटरों तरां हथ बोटिक कथगा समय तक रै सकदा तुम ?
   फिर राजस्थान्यूं , गुजरात्यूं अर गढ़वळ्यूं पार्टी मा शराब बि नि सर्व हूंदी।  जब ना तो शराब अर ना ही सिगरेट  पीऊं तो मेरी समझ म नि आंद कि भोजन से पैलि द्वी तीन घंटा मीन अपण हथुं से क्या करण ? सॉफ्ट ड्रिंक बि त एक या आधा गिलास पे सक्यांद अर फिर सॉफ्ट ड्रिंक कि गिलासड़ि कथगा देर तक हाथ मा पकड़े सक्यांद।  छी भै। 
  अहा जै ब्यौ मा (न्यूतेरो रात ना भै ) ड्रिंक हो सिगरेट हो अर मंचिंग , क्रंचिंग , चखना हो तो हर समय म्यार हथ व्यस्त रौंदन।  एक हाथ मा जब दारु गिलास , हैंक हाथ मा चखना , मुख मा जळी सिगरेट अर जीबि म चखना हो तो मगज बि व्यस्त ह्वे जांद।  हर समय हाथ अर मुख व्यस्त हूण से समय का पता ही नहीं चलता कि चार घंटे हो गए अभी तक होस्ट ने डिनर काल नहीं की। 
  तो या च राज कि मि ऊं पार्ट्यूं मा नि जांदू जौं पार्ट्यूं मा दारु नि हो अर सिगरेट अलाउड नि ह्वावो।  किलैकि मेरी समज मा नि आंद बल मि अपण हथुं से क्या कौरूं।


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थ्री चियर्स फॉर बेगैरत  , बेशरम , शमलेस चीफ मिनिस्टर ! 

 झूठिस्तान  रिपोर्टर -भीष्म कुकरेती 

             कल मुंबई के सात सितारा होटल में शराब निर्माता संघ का वार्षिक उत्स्व था जिसमे शराब विक्रेताओं को की इनाम दिए गए।  कुछ पारितोषिक इस प्रकार थे।
 सर्वपर्थम पारितोषिक है 'कैच देम यंग ' जो  दिया जा रहा  है सभी प्रदेशों के आबकारी अधिकारियों को जो स्कूल व कॉलेजों के सामने  व बिलकुल पास शराब की दुकानें , होटल खोलने के लाइसेंसलज्जाहीन होकर  देते हैं।  हमें नाज है उन भूतपूर्व  घूसखोर अधिकारीयों पर जिन्होंने मुंबई के जोगेश्वरी में इस्माइल कॉलेज के ठीक सामने एक विदेशी-देसी  दारु की दूकान , ठीक सामने व कॉलेज की दिवार से सटी जगह में बार रेस्टोंरेंट खोलने की परमिशन दी।  थ्री चियर्स फॉर कैच दैम यंग अवार्डीज।
              'नियमों की धज्जी उड़ाओ ' के लिए लाखों अभ्यार्थी थे किन्तु प्रोत्साहन हेतु सभी पारितोषिक बिहार के शराब माफिया व सरकारी अधिकारियों को दिया जाता है। कालू यादव उर्फ़ चक्कूसे छील  दूंगा  इन परितोषिकों को लेंगे।
        'कंट्री लिकर इन ट्यूब' का अवार्ड मुंबई के खूंखार मुर्गी चोर उर्फ़ काणिया को दिया जाता है।
     'आजीवन निर्लज्ज पारितोषिक' हर साल की तरह भी गुजरात के अवैध  शराब के सभी विक्रेताओं   को दिया जा रहा है जिन्होंने शराबबंदी का हर वक्त मजाक उड़ाया।  'क़ानून मेरी जूती से ' का पारितोषिक भी गुजरात के अधिकारियों को दिया जा रहा है जिनके सहयोग से गुजरात में होम डिलीवरी सिस्टम से सालों से अवैध शराब  कारोबार चल रहा है।
  'पुलिस पटाओ , 'पुलिस को धमकाओ' , 'घुस खाओ और पिलाओ' आदि पारितोषिक लेने सभी मंच से अपने आप आएं और अपनी मर्जी से अवार्ड ले जाएँ।
     और हर साल की तरह जिस पारितोषिक को लेने सभी सफेदपोश नेता, मंत्री , संतरी ललायत रहते हैं और वह  इनाम है - 'अभिनव दारु विक्रेता' ... याने 'इन्नोवेटिव लिकर सेलर ' . जैसे कि आप सब जानते हैं कि यह पारितोषिक सबसे बेशरम , बिलंच व लज्जाहीन व्यक्ति को दिया जाता है।
    आपको पता है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सभी राज्यों में हाई वे  का आस पास शराब बेचना या बार बंद करना पड़ा और उत्तराखंड में स्त्रियों द्वारा दारुबंदी आंदोलन में शराब की दुकानों को बड़ी हानि पंहुचायी जा रही थी।  हम लालचियों का धंधा ठप्प पड़ गया  था।  तब आये शराब निर्माताओं के चेहते , शराबियों  के पालनहार , बेशर्मों के बादशाह -उत्तराखंड सरकार !
  शराब बेचने के प्रबल समर्थक उत्तराखंड सरकार ने एक अभिनव तरीका निकाला। उत्तराखंड सरकार ने  शराब को मोबाइल वैन से बेचने का फैसला लिया और इससे सभी कानूनों की धज्जी भी उड़ गयी और हम मानव हन्ता , मानव कलंक , मानव भक्षियों का व्यापार भी खूब चलने लगा है। 
         इसलिए शराब निर्माताओं की ओर से सबसे शर्मनाक , लज्जाहीन , बेशर्म पारितोषिक 'अभिनव ब्योड़ा  विक्रेता' ... याने 'इन्नोवेटिव लिकर सेलर  पुरुष्कार उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को दिया जा रहा है।
थ्री चियर्स फॉर बेगैरत, बेशरम , शमलेस चीफ मिनिस्टर ! 





Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India
*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम सत्य  नहीं  हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र  , स्थान सत्यता दिखाने  हेतु उपयोग किये गए हैं।

Bhishma Kukreti

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थोकदानी बौ अर वींक कजे अलग अलग हुक्का पर तमाकु किलै पींदन ?
( श्री सोहन लाल जखमोला द्वारा कही गयी एक सत्य घटना का नाट्य रूपांतर )


Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   
समय -1997
स्थान -गुलरगाड (टिहरी जनपद ) क्षेत्र का एक गाँव,
छज्जे पर पति  पत्नी अलग अलग हुक्का लिए किन्तु सजला एक ही है तो बारी बारी से तमाकू पी रहे हैं 
समय - सुबह नौ बजे
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(गोबिंद सिंग का आंगन में प्रवेश )
गोबिंद सिंग - औ ! थोकदानी बौ का बि दर्शन ह्वे गेन भै  ...
थोकदानी बौ -ये कन  म्वाड़ म्वार  त्यार।  काकी कुण बौ छै रै बुलणु ?
गोबिंद सिंग - अरे सरा दुन्या त्वे कुण बौ बुल्द त मीन बि  ...
थोकदानी बौ -तुम टिर्याळुं क्वी अंत पंत हूंद त हम उदेपुर्या तुमकुण   ... किलै बुल्दां।
गोबिंद सिंग - देख वां तू टिरयाळ  अर गंगा पार उदेफर की बात नि कौर हाँ।  छे तू टिरयाळुं  घरवळी ना ?
थोकदानी बौ - ऊं उ त मेरी मति मोरी जु मि  इना  .. निथर  ..
गोबिंद सिंग - अच्छा ये थोकदानी बौ  तू अलग हुक्का लेकि बैठीं छे अर जोगी काका क हुक्का अलग पण सजला एकी।  किलै द्वी झण एकी हुक्का पर सोड़ नि मारदा ?
थोकदानी बौ - अरे खानदानी थोकदानी छौं मि।  आमसैण मतलब उदेपुर मा  बारा गौं का थोकदार हवलदार मुरली सिंगै  बेटी छौं मि।  मि त त्यार भिड़युं हुक्का पर बि गिच नि लगौं फिर यी बिचर त  सि  छन  ...
गोबिंद सिंग - वाह !  ये बौ।  भीतर नि धेला  अर नाम गुमान सिंग रौतेला।  जोगी दा से त्यार द्वी लड़िक ह्वे गेन पण अबि बि  ? हुक्का बिलकुल अलग हैं ?
थोकदानी बौ -हाँ हुक्का तो छोड़ आज तक मीन यूंक क्या यूंक ब्वेक पकायूं  भात तक नि खायी।  जैदिन सासु भात पकांदी मि भात ना सिरफ रुटि खान्दु। 
गोबिंद सिंग - हाँ सुण्यु च तेरी सिक्यूं बारा मा बल तू अबि बि भौत सा बामण अर जजमानुं पकायुं भात क्या वूंक हुक्का पर तमाकु नि पींदी।
थोकदानी बौ - त्यार बाबन कथगा दैं भात खलाणै कोशिस कार।   मजाल च या थोकदानी छुट जात्यूं बामण जजमानुं चलायुं भात खाओ। 
गोबिंद सिंग - यां इथगा इ अपण जातिक इथगा  इ गुमान छौ तो फिर किलै बैठि जोगी काका कुणी ? ये जोगी काका क्या मंतर कार तीन कि थोकदारण त्यार पैथर पैथर  ... ?
थोकदानी बौ - ऊ क्या ब्वालल मी बतै  लींदु।  अरे बुल्दन बल बुल्युं क्वी नि खांदन  लिख्युं सबि खांदन।  जोग जोग की बात च। 
गोबिंद सिंग - जोग !
थोकदानी बौ -हाँ जोगुं  बात च।  छै खारी सट्टी हूंद छा म्यार मैत।  ब्यौ बि इन ससुरास ह्वे जख  बीस खारी झंग्वर हूंद छा।  पर ब्यौ का द्वी सालम इ रांड ह्वे ग्यों।   
गोबिंद सिंग - ये मेरी ब्वे!
थोकदानी बौ -  फिर कुछ दिनुं बाद द्यूरा कुण बि बैठु।  पर ज्यूंरा तै म्यार सुख बर्दास्त नि  ह्वे।  वी बि टीबी बिमारीन जल्दी टुरक गे।  म्यार ससुर जी बि टीबीन इ  मोरी छा।
गोबिंद सिंग - ओहो।
थोकदानी बौ - हाँ
गोबिंद सिंग - पर ये जोगी काका !  इथगा बड़ी गुमान वळी थोकदानी कनै आयी त्यार फंदा  मा ?
थोकदानी बौ - अरे यूंक ढोलकी का चक्कर मा ऐ ग्यों मि ?
गोबिंद सिंग - ये जोगी काका ? या काकी क्या बुलणी च।  तू त ढोल बजांदी अर काकी बुलणी बल तेरी ढुलकी चक्कर मा ऐ गे।
जोगी दास - अरे गोबिंद ठाकुर ! एक दैं तल्ला ढांगू क बिजनी  क तूंगी बादी दगड़ आमसैण जिना उनी ग्यों त उख थोकदानी से आँख क्या मिलिन कि मि ऊना ढोलक बजाण लगि गे छौ।
थोकदानी बौ - हां उ त पैथर पता चौल बल यी दास छन।
गोबिंद सिंग - निथर क्या ह्वे जांद ?
थोकदानी बौ - कुछ क्या हूण छौ।  म्यार भाग मा यी छा बस। 
गोबिंद सिंग - हाँ  ..
जोगी दास -ये गोबिंद ठाकुर ! इन त बताओ इना कना आण  ह्वे ?
गोबिंद सिंग - हां काका उ थोकदानी बौ क चक्कर मा   ..
थोकदानी बौ - ये काकी बोल हाँ ..
गोबिंद सिंग - हां उ  भणजौ ब्यौ च पली मैना।  त सोळ गति कुण  ऐ जयां।  मुशकबज अर मंगळेर बि दगड़म लये।   ये काकी  त्वी जी ऐ जै मांगळ लगाणो।
थोकदानी बौ - चुप बै।  थोकदानी छौं मि।  बड़ो आयी थोकदान्यूं से मांगळ लगवाण वळ। 


 24/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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Bhishma Kukreti

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चिर सुंदरी भुंदरा बौ बीमार च, आपक बौ तैं क्वा बीमारी  च ? 

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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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भौत दिनु उपरान्त मीन भुंदरा बौ कुण फोन कार।
मि - हैलो ! हैलो ! कुछ तो ब्वालो।
चिर सुंदरी भुंदरा बौ - कु च सुबेर सुबेर फड़्याणु ?
मि - चलती क्या खंडाला ?
चिर सुंदरी  -साले रोज बोलता है बल चलती है खंडाला।  मुझे पता है तू खंडाला के बहाने क्या करने वाला है।
मि - ये बौ ! मि भीषम छौं।  मुंबई बिटेन ...
चिर सुंदरी  -हाँ हाँ सब समजद  छौं तेरी मक्कारी।  तुम मुंबई वाळ  ना ! मि जाणि ग्यों अब तुम सब का सब ठग,  बदमाश  .... (सेंसर्ड )
मि - ये बौ ! तबियत तो खराब नी  ?
चिर सुंदरी  -अरे तबियत तो मि ठीक करुल ते फिलम प्रोड्यूसर  की।  तू नाम का ही फिलम प्रोड्यूसर छे पर असलियत मा  मि तै पता च कि तू भेड़ की खाल मा भेड़िया छै। 
मि - मि अर फिलम प्रोड्यूसर ?
चिर सुंदरी  - हाँ हाँ तुम सब फिलम प्रोड्यूसर  में सरीका  नादान  सुंदरी तै कास्ट काउचिंग का जरिया फंसादा अर  भौत एक्सप्ल्वाइट करदा।
मि - कास्ट काउचिंग ! कास्ट काउच ! का  ...
चिर सुंदरी  - हाँ हाँ यू स्काउंडलर ! मि  सब जाणि ज्ञान त्यार बारा मा  . मीन देखि आलिन  त्यार हाल।  यू ब्लडी ब्लडी भेड़िया। 
मि -ये बौ।  तेरी तबियत ?
चिर सुंदरी  -चुप मीन नि करणाइ त्यार दगड़ बात।
जिंदगी मा पैल बार भुंदरा बौन इन फोन काट।
मीन सुंदरा  बौ कुण फोन लगाई।
मि - हैलो सुंदरा बौ! मि भीषम  ...
सुंदरा बौ -ऊं  मि सब समजद छौं वीं भुंदरा की चाल।  चालबाज भुंदरा।  जरूर वा खुस्सट  औरत त्यार जरिया मेरी जायजाद हड़पण चाणी च।  मीन नि  आण  वीं खलनायिका का मकड़ जाळ मा।
अर सुंदरा बौन फोन काटी  दे।
मीन बिंदरा बौ कुण फोन लगाई अर मि कुछ बुल्दु कि बिंदरा बौ बुलण लग गे।
बिंदरा बौ - तेरी मक्कार भाभी भुंदरा शा अर चाटुकार भाभी सुंदरा बेन  मेरी हत्त्या की साजिश रचणा  छन अवश्य ही तू इन पता लगाण  चाणी  छे कि मि कै कमरा मा सियुं छौं।  भगवान बि ब्वालल ना मीन त्वे तै नि बताण  कि मि अपण घौर ना अपितु छन्नीम सियुं छौं।
अर बिंदरा बौन बि फोन काटी दे।
 मीन पबितरा काकी कुण फोन कार।  रामा रूमी बाद मीन पूछ।
मि -ये काकी यी भुंदरा बौ पर कुछ भूत भात त नी लग्यूं ?
पबितरा काकी - हां भूत भात त ना पर सलमान खानक बिग बॉस की   छाया लगीं च।  अच्काल वा अफु तै बिग बॉस की एक महिला चरित्र समजणि  च अर उनी बर्ताव करणी च।  तीन त फोन पर इ बात सुणिन।  हम त  वींक पहनावा बि दिखणा छंवां।  वै चरित्र की ही ड्रेस पैरदि अजकाल। बिग बॉस खतम ह्वाल अर फिर वा ये जामा म ऐ जाली।
मि -अर सुंदरा अर बिंदरा बौ ?
काकी - वूं पर बि टीवी सीरियलूं बीमारी लगीं च।  यी द्वी समजणा  छन कि हरेक आदिम यूंक विरुद्ध क्वी बुरु योजना बणानु च।  पर चिंता नि कौर ठीक ह्वे जाला।  एकाद मैना यूंका कजेयूं मनी ट्रांसफर बंद ह्वाइ ना कि यी बि जमीन पर ऐ जाला। 
मि -पर  ...
काकी -इन बीमारी वे पर इ लगद जैक पेट भर्युं हो अर निकज्ज बैठ्यां ह्वावन।  ह्वे जाल सब ठीक।  चिंता नि कौर।

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610  / 2017,
भोजनै  जगा अचार , सलाद अर थाळी बिंडी बड़ैं 

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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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  आप कैक  ड्यार  जावो अर उख गृहलक्ष्मी बड़ा उत्साह , उलार मा आपक समिण  बड़ो मनोयोग से पकयूं बनि बनि पकवान धरदी अर आप बि भूक चूक बणि खूब खै लींदा।
 आप हथ धूंदा , उंकी तौलियान मुक पुंछदा , बड़ी जोर की असभ्य डंकार मरदा अर बुल्दा बल आज कुछ जादा इ  ह्वे गे।
   गृहलक्ष्मी जब पुछदी बल ये जी खाणा  ठीक बण्यु  छौ ना ?
 अर आपक उत्तर ह्वावो , "हां ब्वारी ! अचार अर सलाद मा  त क्या मजा आयी , क्या बुलण।  छा ब्वारी ! इन बतावो कि इथगा बढ़िया थाळी कखन लै भगतू ? मेमानुं  तैं  खाणो खलाणो कुण एक थाळी मीन बि लीण छे."
   तो गृहलक्ष्मी पर बज्जर  नि पोड़ल ?
 अवश्य ही गृहलक्ष्मी का सरा उत्साह खतम ह्वे जालो।  वींक सरा कर्युं -कयूं मोळ जोग ह्वे जालो।
        पुरण जमन मा जब सब कुछ शॉर्टेज मा छौ तब क्वी कैमांगन सुफेद कुर्ता , कैमान सुलार अर हैंक मांगन जुत्त उधार लेकि ब्या मा जावो अर लोग वैक सुलार कुर्ता की प्रशंसा जगा वैक पुराणो धुराणो काळु हुयुं जंद्यो की प्रशंसा करिल्या तो क्या वैक आत्महत्या करणो ज्यू नि बुले  होलु ?
   आप कैक दगड़ कै प्रोग्राम मा जावो अर उख दगड़्या की स्याळी गीत गावो अर आप स्याळी गौळै प्रशंसा जगा हौलौ सिटिंग व्यवस्था अर पंखौं बड़ै करिल्या तो दोस्त वै बगती दुसमन नि बौणल क्या ?
   बड़ै , तारीफ़ या निंदा का अपण समय हूंद , प्रशंसा , स्तवन या आलोचना समिण वळक मनोस्थिति का हिसाब से ही हूण चयेंद ना कि बरात गे धार पोर तुम बजाओ ढोल ये  वार।
   चारणगिरि , स्तुति , दोष लगाण वास्तव मा समय ,  व्यक्ति कु वर्ण -वर्ग अर स्थान की गुलाम च। 
 मीन एक पुस्तक विमोचन द्याख मुंबई मा।  वे विमोचन मा जनि श्री नंद किशोर नौटियाल जी ऐन तनि  द्वी चार हिंदी कवियूंन कवि  की प्रशसा छोड़ि नौटियाल जीक बड़ा मंगण शुरू कर दे , नौटियाल जीक खुट-वंदना शुरू कर दे किलैकि नौटियाल जी महाराष्ट्र हिंदी अकादमी का फूंदा जि बौण  गे छा।
   भौत सा लोग प्रशंसा या आलोचना से अपण उल्लू सीधा करणो हथ्यार बणांदन  तो भौत सा अज्ञानता बस मुख्य वस्तु की बड़ैं जगा गौण वस्तु की बड़ैं करण लग जांदन त   कुछुं समज इ मा नि आंद कि केवल प्रशंसा ही ना दुसरैक आलोचना बि हैंकाकुण प्रशंसा ही हूंदी।
    राहुल बाबा मंच पर बैठ्यां ह्वावन तो यी सब जाणदन कि राहुल बाबान इथगा सालुं  मा  प्रशंसा लैक कुछ त कार नी च त राहुल एक अनुशसन प्रिय नेता च , राहुल एक जनप्रिय नेता च, राहुल गांधी भीड़ जुटाऊ नेता च जन उपाधि वळि प्रशंसा त दिए नि सक्यांद।  इन मा चतुर स्याळ योनि का कॉंग्रेसी नेता नरेंद्र मोदी की कड़ी से कड़ी आलोचना करिक काम चलान्दन।  यु समौ हिसाबन सही युक्ति च , सही रणनीति च।  मोदी आलोचना से सत्यम ब्रुयात  सिद्ध हूंद अर राहुल जीकुण प्रियम ब्रुयात ह्वे  जांद।
    फेस बुक मा त क्या से क्या हूणु रौंद।  छ्वीं लगदन बल सदा नंद कुकरेती आधुनिक गढ़वाली कथा जन्मदाता छा।  तो भौत सा सदानंद जीका गाँव का ग्वीलवासी टिप्पणी दींदन कि सिलोगी स्कूल का मैनेजर साब नंदा दत्त जी का विषय मा किलै नि ल्याख ?
    जरा फेसबुक मा  जीत सिंह नेगी जी की बात उठाओ त  अधिसंख्य टिप्पणी कार नरेंद्र सिंह नेगी जी की बात करण मिसे जांदन अर बिसर जांदन कि प्रशंसा या आलोचना समय , स्थान अर  व्यक्ति/ वर्ण का हिसाब से ही सुहांदी।
    आप बि ध्यान दींदा छा कि ना कि काखम क्यांक प्रशंसा करण चयेंद ? आप जणदा छन कि ना कखम समिण  वळक प्रशंसा की जगा वैका विरोधी की आलोचना ही सही हूंद ? है ना ठीक बुलणु छौं ना मि ?
   
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7/11   / 2017

   हे इंदिरा पौत्र ! चुगुलखोर बि विकल्प बथांदु 

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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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 हे भिवष्य का भारत विधाता क्षमा कॉंग्रेस का मालिक ! इंदिरा पौत्र ! जब बि तुम विदेश जांदा उखक ट्रेनिंग से तुम पर बरबरि , चरबरी अर बुलणम झकज्याट ऐ जांद अर दिन बितद बितद फिर पप्पुयाट छै जांद।
 चलो भलु ह्वे हे नेहरू खानदान का दुप दुप करदो चिराग ! बल तुम ऐन गुजरात चुनाव से पैल अमेरिका से 'हाउ टु मेक पीपल फूल यानी हाउ टु बिहेव ऐज अफेक्टिव  अपोजिशन लीडर ' की परिपूर्ण ट्रेनिंग लेकि आवां  अर अब जरा ठीक से ट्वीटाणा छंवां , जरा सि अकल लगैका बुलणा छां अर अपण जग हंसाई नि करणा छा निथर लोक त सुचणा छा राजिव नंदन से तेज तर्रार त लालू नंदन च।
    हे सौनेय! निथर अब तक त सोनिया जी बि बड़बड़ांदि छे कब आली म्यार राहुल पर अक्कल ! अब कुछ तो अकल की बात करणा छंवां।  मान गए आपके नए अमेरिकी उस्तादों को !
   पर हे सफेद कुर्ता धारी !  तुम पर  मोदी पर अभियोग लगाणो बीमारी तो खतम इ नि ह्वे।  ना ना ! हे इटली  दौहित्र  ! मि तुमर जनमजाति अधिकार नि लुठणु छौं जी।  तुमर खानदानौ अलावा या खानदान प्रतिनिधि का अतिरिक्त क्वी हौर प्रधान मंत्री बण जावो तो तुम तै वैकि कटु आलोचना करणो जनमजाति अधिकार च जी।
     हे प्रिंयका तात ! मि तुमर भारतीय शासन पर एकाधिकार पर धक्का लगाणो बात नि करणु छौं। हे डॉग लवर ! मि त मोदी पर तुमर अभियोग लगाणो तरीका की मखौल उड़ाण चाणु छौं।   
  हाँ जी हां ! हे बाड्रास्य श्याल: ! मि तुमर मजाक उड़ाण चाणु छौं। हे राईहान ममा जी ! मि तुम्हारी छीछलेदारी करण चाणु छौं।
       हे अमेरिका का  ग्रेजुएट ! तुम मोदी जी पर फिर से अभियोग लगाणा छंवां बल मोदी जीन डिमोनीटाइजेसन  से इंडिया का भतिया भंद कर दे।  अर्थ शास्त्र , आर्थिक स्थिति अर विज्ञापन इन चीज च जां पर सियुं मनिख बि टिप्पणी कौर दींदु तुम त फिर बि कॉंग्रेस का बादशाह छंवां तुम टिप्पणी नि करिल्या तो क्या करोड़ों निरक्षर भारतीय टिप्पणी कारल ? अभियोग लगाण त  विरोधी पार्टीक संवैधानिक अधिकार च जी।
     पर हे सोनिया नंदन ! अभियोग लगाणो काम तो क्वी बि गली का पियक्क्ड़ क्या कुत्ता बि लगै सकद कि मोदी जी या सोनिया जीकी या योजना ठीक नी च।  हे राजीव पुत्र ! तुम मा अर गली का पियक्कड़ मा एक भारी अंतर् च बल पियक्कड़ केवल बकबास करणो बान , मत मारणो  बान मोदी जी पर अभियोग लगांद पर हे राहुल जी ! तुम त दुबर सत्ता पाणो बान अभियोग लगाणा छंवां।
          हे कॉंग्रेस का भाग्य विधाता ! तुम तै अकल लगाण चयेंद कि ना बल जब विरोधी अभियोग लगांद त दगड़म वीं कमजोरी का विकल्प भी दींदु।  याद कारो जब अरविन्द केजरीवाल जीन  तुम पर अभियोग लगाई छौ तो दगड़म अभियोग का विरुद्ध विकल्प भी देन अर तब जैक अरविन्द केजरीवाल जी द्वी दैं दिल्ली चुनाव जीत।  मोदी जी तो कॉंग्रेस का जड़नाश करदा करदा नि थकणा छन अर अबि बि कॉंग्रेस पर अभियोग पर अभियोग लगाणा ही छन।  किन्तु मोदी जी अर गली का पियक्कड़ मा भारी अंतर् च बल मोदी जी दगड़म विकल्प बि दींदन।
      हे गुजरात चुनाव जीत का अभिलाषी युवा नेता ! यदि तुम मोदी जी पर डिमोनीटाइजेसन या GST पर अभियोग लगाणा छा तो दगड़म लोगुं तैं  विकल्प बि बथाओ बल तुम यदि गुजरात चुनाव जीती ग्यायी तो डिमोनीटाइजेसन से  उपजीं बिपदा तै कनकै भगैल्या।  गुजरात मा GST  तै कनकै सुधरिल्या ?  बगैर विकल्प का अभियोग मा क्वी दम नि हूंद राहुल जी।  गली का आम पियक्कड़ तो रोज अभियोग ही लगांदन तो क्या लोग पियक्कड़ों  तै प्रधान मंत्री बणै  दींदन ? नहीं जी नहीं।  विरोधी दल का अभियोग अर गली का पियक्कड़ मा सबसे बड़ो अंतर् हूंद बल गली वळ विकल्प नि दींद अर विरोधी नेता तागतवर विकल्प दींदो।     
         हे कॉंग्रेस बत्सल , कॉंग्रेस स्वामी ! हे राहुल जी ! कृपया GST का विकल्प बगैर अभियोग नि लगावो , डिमोनीटाइजेसन का विकल्प बगैर अभियोग नि लगावो।  विकल्प ही तो विरोधी दल का नेता तै  सत्ता तक पौंछांद।  विशेष विकल्प ही तो सोनिया गांधी जी  अटल जी  तैं कुर्सी बिहीन करद।  2009  का लोकसभा चुनाव मा आडवाणी जीन कॉंग्रेस पर पता नी कथगा अभियोग लगैंन  धौं किन्तु आडवाणी जीकी कैन नि सूणी। आडवाणी जी गली का पियक्कड़ जन विकल्प बिहीन अभियोग लगाणा  रैन अर कॉंग्रेस ऐंड कम्पनी चुनाव जीती गे  .
           तो राहुल बाबा ! अबि बि बगत च बल हर अभियोग का साथ विकल्प बि बथाओ निथर तुमन बि आडवाणी जी की योनि भुगतण हाँ।  विरोधी दल का हथियार अभियोग त अवश्य च पर असली मारक  हथियार तो अभियोग का विकल्प च माराज। 
  ' हे कॉंग्रेस-धिराज , कॉंग्रेस्यूं  तारनहार राजीव रत्न ! 'विकास पगला गया'' कुछ हद तक सही प्रश्न च।  किन्तु तुमन त अपण विकासौ नाम देई नी च त हे फिरोज गांधी पौत्र ! लोगुंन तुम तै गंभीरता से कनै लीण ?       
    आपम त चमचा अर चुगलखोरुं फ़ौज च त याद कारो जरा जब गुजरात की अमीबेन यागनिक बैणि जब तुमर समिण भरत सिंह सोलंकी  जीकी  आलोचनि करदि त दगड़ मा इन बि त बोदी होली कि सोलंकी को कु विकल्प च ? या वा बि तुमर तरां बगैर विकल्प का बड़बड़ाणी रौंदी ? चुगलखोर बि विकल्प दींदन तो हे रोलीन विश्वविद्यालय ग्रेजुएट ! फिर आप किलै  विकल्प नि दींदा ?
      प्रकृति का भी यो ही नियम च यदि जै जगा बांज उगण बंद हूंदन उख कुंळैं उगण शुरू ह्वे जांदन। जख्या जमण बंद करण त क्वाद बूण पोड़द। जख लैंटीना मरण हूंद त तूंग  , गींठी उगाण  पड़दन। मोदी जीकी रोटी पर अभियोग लगाण काफी नी च अपितु कॉंग्रेसी पिजा परोसण  बि जरूरी च।
        मेरी  राय च खाली , केवल अभियोग इ  नि लगावो अपितु भारतौ वास्ता सुखमयी , संपनमयी , ऊर्जावान भारत का विकल्प बथाओ जी।
   हां ! पर तुमन किलै सुदरण , सुदरणै जरूरत बि क्या च ? कौन से कॉंग्रेसम तुमर विकल्प च जी जु तुम तै कैकि डौर हो ।
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9/11 / 2017
गढ़वाळम पैल बोर नि हूंद था, अब हूण मिसे गेन 

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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     मीन डा डबराल का उत्तराखंड इतिहास का सब खंड बाँचिन पर कखि  नि पौढ़  बल गढ़वाळम लोग बोर (हिंदी मा ऊबना ) हूंद छा।  डा डबराल की खोज अनुसार गढ़वळि मर्द महा अळगसी हूंद छा पर सन 47 तलक मजाल च जु  गढ़वळि कबि बोर ह्वे ह्वावन धौं।
    मीन म्यार बड्या बडा  जी ,  अपण बडा जी , अपण बड्या ददि जी से कबि नि सूण बल हमर गाँव वळ क्वी भाग्यवान या अभागी , अभागण कबि  सुपिन मा बि बोर ह्वे हो धौं। 
     पता नी  मी बि जब तलक गढ़वाळम रौं कबि बि बोर नि होऊं ना ही म्यार उमराक दादा -भाई या काका -ब्यटा बोर ह्वे ह्वाल धौं।
      असल मा तब गढ़वाळम बाछी हूंदी छै त बोर हूणै जरूरत नि छै।  कुछ काम नि  हो त छन्नी या ड्यारम बंधी या खुली बाछी का कांध  मलास ल्यावो।  फिर यदि बाछी नी बि मीलली  त कुत्ता क पूछ इ मरोड़ दींद छा अर एकाध घंटा कुकरौ क़लकळू किर्राट से आनंद ले लींद छा। 
     उन गढ़वळयूं  बोर (ऊबना ) नि हूणो पैथर हौर बि कारण रैन किन्तु द्वी मुख्य कारण छा बल।
     सबसे बड़ो कारण छौ बल गढ़वाळी मा ऊबना शब्द इ नि छौ।  हिंदी क्षेत्र का लोखार ऊबदा था बल ऊंक शब्दकोश मा ऊब शब्द थौ।  अब जब कैमा कुछ ह्वावो तो उ प्रयोग कारल कि ना ? जब तक हमम नर्यूळ  नि छा त हम जणदा  बि नि छा बल कच्चु नर्यूळ साग भुज्जी मा बि प्रयोग करे जांद।  अब कच्चो नर्यूळ उपलब्ध च त गढ़वाळम बि नर्यूळो चटणी बणन शुरू ह्वे गे।  ऊब , ऊबना शब्द हमर शब्दावली मा नि छौ  त गौक सौं हम कबि बि ऊबदा नि छा। गढ़वाळी मा उबण शब्द च , उब शब्द च  अर जौंका अर्थ हूंद सुकण या सुक, उबे गे को अर्थ हूंद सूख गया ।  तो कै तैं पड़ीं छे कि वु सूको या ड्राई हो। 
एक हैंक शब्द च उब्ब या उबैं अर वैक अर्थ च मथि , बेड़ या ऊपर की ओर।  तो गढ़वळि ऊबदा नि छा।  हर समय मजा से रौंदा छा।
      जब तलक गढ़वळयूंन  अंग्रेजी नि सीख तब तक गढ़वळि जणदा इ नि छा कि मनिख बोर बि हूंद। गढ़वळयूंक बोर नि हूणो दूसर कारण च बल हमर शब्दावली मा 'बोर ' , 'बोरिंग ', 'बोरडम' जन उटपटांग शब्द नि छा। 
  गढवाळी मा ऊब या बोर शब्द का नजिकौ  शब्द च बिखळाण।  किन्तु बिखळाण शब्द ऊब या बोर का सौत्या स्वार -भ्वारौ शब्द च।  गढ़वळि मा बिखळाण स्वाद तक सीमित च अर कमी से संबंधित शब्द नी च अपितु अधिकता से संबंधित च।  रोज एकि चीज खावो तबि बिखळाण पड़दी।  अर एकि चीज तबी खयानद जब वा चीज भौत ह्वावो। 
      ऊब याने बोर याने समय काटणै परेशानी।  किन्तु हमम समय काटणो कुण भौत सा टुटब्याग छा जन कि कैकि जड़ काट द्यावो , छ्वीं छ्वीं मा कैक बि नाक काटी द्यावो या कुछ नी तो पीठ पैथर कैकि काट ही कौर ल्यावो। कुछ नी त विधवा काकी क वाड इ सरकै द्यावो।  उन गढ़वाल की सनातनी संस्कृति याने कखड़ी चोरी वास्तव मा समय काटणो एक साधन छौ। हमम ऊब अर बोर शब्दावली नि छे त हम ऊबदा बि नि छा ना ही बोर हूंदा छा।  किन्तु जड़कट्वा शब्द च तो हम जड़ काटण मा आज बि सर्वश्रेष्ठ जड़कट्वा छंवां।
     फिर हम समय काटने के लिए शुरू करो अंताक्षरी लेकर हरी का नाम बी सीकी गे छा तो समय काटणो परेशानी नि राई।
 
      अब शहर आण से अर हिंदी -अंग्रेजी सिखण से हमर डिक्सनरी मा ऊब अर बोर द्वी शब्द जुड़ गेन त हम शहर या गांवका सब गढ़वळि अब ऊबण मिसे गेवां अब हम भौति ज्यादा बोर हूण लग गेवां।  खासकर जब हमर भाई बंध हमर ड्यार आंदन त हम भौति बोर हूंदा अब।  अब हम स्वार भारों से बोर हूंदा पर पैल  हम भला छा तब हम बोर ना अपितु रिस्तेदार , भाई बंधों से चिरड्यांद छा।  चिरड़ शब्द हमारी अपणी शब्द संपदा छै तो हम चिरड्यांद छा।  हमम जु ह्वाल वेको ही तो इस्तेमाल करला कि ना ?
       जब बिटेन हमर डिक्सनरी मा बोर अर ऊब शब्द ऐन हम तै यूं बैर्यूं तैं भगाणो बान भौत सा खटकर्म करण पड़दन।  बोरडम या ऊब हटाणो सबसे उमदा, नायब  अर कारगर तरीका च दारु पे ल्यावो।
       तो यदि गढ़वाळयूं दारु छुड़ाणै त गढ़वळयूं शब्दकोश से ऊब अर बोर शब्द हटाण पोड़ल।  जैदिन ऊब अर बोर शब्द गढ़वळि शब्दकोश से हट जाला  तैदिन समझो कि दारु शराब बंद।
       चलो मेरी झकझक सुणी तुम बि बोर ह्वे गे ह्वेल्या मि बि बोर ह्वे ग्यों।  मि त ब्याळै बच्युं अद्धा खुलण वाळ छौ।   तुमर क्या विचार च ?
     
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11/11 / 2017
मि अंधविश्वासुं  पर बिलकुल बि विश्वास नि करदु

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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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 जी दसवीं मा विज्ञान विषय लीण से म्यार अंधविश्वासों पर विश्वास कम ह्वे। बीएससी पास हूणों बाद  मीन  अंधविश्वासों पर विश्वास करण बिलकुल बंद कर दे, टूण -टणमण पर  विश्वास खतम  ह्वे गे। अर एमएससी करणो बाद त मि लोगुं तैं सिखाण लग ग्यों  बल अंधविश्वास पर केवल मुर्ख लोग ही विश्वास करदन।  मि बिलकुल वैज्ञानिक सोच वळ ह्वे ग्यों।  मि अबि बि लोखुं तै सिखाणु रौंद बल अंधविश्वास केवल वहम च अर वहम की दवा अर  भ्र्ष्टाचार मिटाणो नुस्खा ना त मोदी जीम च ना राहुल जी मा च ना ही सुप्रीम कोर्टम च।

     मि तैं यी फोकट का वहमों पर विश्वास नि करदो।  जन कि भौत सा लोग बुल्दन बल बिरळ रस्ता काटी द्यावो त रस्ता मा कुछ डाळो या कुछ देर रुक जावो अर तब जावो।  यु बिल्ली रास्ता काट गयी शब्द ही अंधविश्वास च , वहम च , सब बकवास च। मि नि मनंद कि बिरळौ रस्ता कटण से कुछ नुक्सान ह्वे जांद।  मी बि जब बिल्ली कबि दिख्यावो त इन जतन करदु कि बिल्लीक रस्ता कटण से पैली मि अगनै चल जौं।  जु बिल्लीन रस्ता काटी इ दे त मि मुख भितर इ भितर बुल्दो 'हे नागराजा ! हे नागराजा ! हे नागराजा !". ना ना मि वहम या अंधविश्वास का कारण यु सब टोटका नि करुद।  आइ डोंट बिलीव ओना सुपरस्टीशन ऐट ऑल।  वु त छुट्ट इ बिटेन मेरी दादीन सिखाई बल "म्यार घ्याळु ! कुछ बि ह्वे बिरळौ क्ट्यूं रस्ता पर कतै नि जाण हां " अर  दादी से मि इथगा प्रेम करदो छौ कि क्वी आस्तिक भगवान से बि इथगा प्रेम क्या कारल।  बस दादी का प्रेम का खातिर मि बिल्ली बुल्ली का क्ट्यूं रस्ता पर नि जांद। केवल स्वर्गीय दादी का प्रेम का खातिर मि इन करुद निथर मि यूं बेकार बाबा आदिम का जमाना वळ बथुं पर विश्वास नि करुद।  मि तैं भौत गुस्सा आंद जु इन प्रयोजनहीन बथुं तै मणदन अर अपण बहुमूल्य समय यूं टोटकों पर बरबाद करदन। आइ हेट सच सुपरस्टीशियस फूल्स।  मूर्खों की क्वी कमी नी च दुनिया मा। 
      मि तैं भग्यान  खुशवंत सिंह अर बिशन सिंह बेदी भौत पसंद छन।  यी द्वी ऊं क्रिकेटरुं की खाल उधाड़दा छा जु अन्धविश्वास , मिथ्या भय अर बेकार का वहमों पर विश्वास करदन।  जी हाँ अरे खेल तो शरीर अर परिपक्व मानसिकता  का मिल्युं जुल्युं खेल च फिर मैदान मा आंद दैं दैं खुट पैल धारो , सूरज या असमान जिना द्याखो , सेंचुरी ह्वे गे त आकाश जिना धन्यवाद ब्वालो जन टोटका करणो क्या काम ! मि तै इ सब खटकर्म पसंद नि छन। पर मै सरीका वैज्ञानिक सोच वळौ कुण बि ना बड़ी आफत च परिवार का दबाब।  मि तै बड़ो बकबास लगद बल धोनी 47 नंबर का टीशर्ट पैरो।  अरे यदि धोनी 75 नंबर की टीशर्ट पैरल त कौन सा वेन हेलीकॉप्टर शॉट नि मार सकण।  इथगा बड़ो क्रिकेटर अर सुपरस्टीशन पाळि बैठ्युं च।  हां मे सरीका वैज्ञानिक सोच वळ मनिख धोनी या विराट कोहली तै इन बेहूदा बहमों से दूर रौणो तयार कर बि ल्यालो किन्तु अपण ड्यारम हम सरीका आधुनिक सोच  वळुं चलण बड़ो कठिन च।  अब म्यार नौनु जब बि नै कमीज या पेंट ख़रीददो तो त भितर 133 नंबर कु टल्ली सिलाण नि बिसरदु।  वै तै बहम च कि 133 नंबर वैकुण लकी च।  अब अपण बच्चों तैं बि क्वी समझै सकुद।  जब भगवान शिव गणेश जी तै नि समझै सकिन त मि कनै अपण नौनु तै समझाऊं कि बहम  अच्छी बात नी च ।
   अब द्याखो ना आज मंगळवार च आज छंचर च , आज भूप्यार च त बाळ नि काटण , दाड़ी नि बणान , नंग नि कटण मा  क्वी तर्क च।  बस कबि सैकड़ों साल पैल कै पागलन बोली ह्वालु अर हम मूर्ख लोग आज बि पाषाण युगीन अंधविश्वासों पर विश्वास करदां।  मि तै बि यी सब करण पोड़द।  मि शनिवार , मंगळबार तो छवाड़ो ऐतवारो कुण दाढ़ी नि बणै सकुद, ऐतवार म्यार जन्मदिन च।   अर छंचर व औँसी दिन नया  कपड़ा नि पैर सकुद।  आज मि 65 सालक ह्वे ग्यों पर म्यार वैज्ञानिक सोच अर अंधविश्वास का बीच मेरी 90 सालौ ब्वे बीच मा ऐ जांद अर बच्चा झड़नाती वळ बि ह्वे जावो वु अपण ब्वेक दिल थुका दुखै सकुद।  कखि ब्वे जाने अनजाने माँ शराप दे द्यावो तो बुरु त म्यारी ह्वाल कि ना ? ये सोचिक मि अपण ड्यारम वैज्ञानिक अर आधुनिक सोच लाणम मजबूर छौं।  किन्तु मि यूँ सब बातों पर कत्तै बि विश्वास नि करुद। 
  मि तैं आशा च मि त मजबूरी बस अंधविश्वास वळ काम करुद किन्तु  आप यूं अंधविश्वासों से दूर ही ह्वेल्या हां ?
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12/11  / 2017
समाचारूं पर कुछ टिप्पणी - नवंबर 2017

(Best  of  Garhwali  Humor , Wits Jokes , गढ़वाली हास्य , व्यंग्य )
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   

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  आरएसएस का एक आंतरिक सर्वेक्षण मा भाजपा गुजरात विधानसभा चुनाव हारणी च (मंगलेश डबराल की फेसबुक वाल से )
टिप्पणी - हैं ! डबराल जी ! आरएसएस कब बिटेन तुम तैं आंतरिक बत्थ बताण लग गे ? अचकाल तुम तैं कॉंग्रेस अर कम्युनिस्ट नि पुछदन त आरएसएस क्या पुछलि ? (प्रकाश पांथि का कमेंट्स )
रैबार कॉनफेरेन्स से उत्तराखंड का पत्रकार नाराज (भौत सा पत्रकारों फेसबुक वाल मा )
टिप्पणी -- औ त वैदिन तुमकुण ड्राई डे राई या अपण खीसाकु पीण पोड़।  कबि कबि अपण गेड़ीन बि पीण चयेंद (भीष्म कुकरेती की टिप्पणी )
 मेक इण्डिया प्रोग्रैम फेल (राहुल गांधी )
टिप्पणी -ए अभागी इकम खुस हूणै बात क्या च ?
जीएसटी मा भौत कमी छन (भूतपूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम )
टिप्पणी -जी हाँ प्रस्तावना मा सोनिया गांधी नाम नी च अर 17 जगा स्पेलिंग मिस्टेक छन (वर्तमान वित्त मंत्री जेटली  मन ही मन मा )
गढ़वाल मा शिक्षा स्तर दिनों दिन तौळ जाणु च (भूतपूर्व मंत्री सुरेंद्र नेगी )
टिप्पणी - जब तुम सरकार मा छा तब कौन सा स्तर अळग छौ
उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ हिमाचल चुनावी भ्रमण का बाद मौरेसिस भ्रमण  पर
टिप्पणी - कबि लखनऊ मा बि रात बिताओ । 
कमल हासन का हिसाब से हिन्दू आतंकवाद फैलणु च।
टिप्पणी - औ त तेरी भविष्यै राजनीतिक दुकान मा सेक्युलरी खिलौणा मीलल
ममता बनर्जी अर शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे की मीटिंग ह्वे
टिप्पणी -मोदी का कुटण -पिटण से उत्तरी अर दक्ष्णि ध्रुवों का मधुर मिलन
अयोध्या मा राम मंदिर बौणल (सुब्रमणियम स्वामी )
मुंगरी पाकल त पाकली ही पर तब तक म्यार संधि भूक चल जालो
100 से अधिक वस्तुओं का GST कम करे गे
टिप्पणी - भाजपा तै सलाह - इथगा बि नि थूको कि चाटणै जरूरत पड़ि जावो
कॉंग्रेसी डीएन बडोला और कॉंग्रेस विरोधी भीष्म कुकरेती के एक विषय पर विचार मिलते हैं -
सभी राजनीतिक प्रवक्ताओं मा सबसे घटिया प्रवक्ता - भाजपा प्रवक्ता अनिल बलूणी

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13/11 / 2017

गढ़वाळ  पर कविता कन लिखण -भाग 1

 

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  हफ्ता मा एक ना एक कवि मेकुण फेसबुक पर मैसेज करदन बल भैजि  गढ़वाळ पर कविता कै तरह से लिखण।  तो आज मि सब तैं इक्छुटि बतै दयूंद बल गढ़वाळ पर कविता या लेख कन लिखण।
        सबसे पैल त गढ़वाल तै कबि बि एक बड़ो भूभाग नि समझण , गढ़वाल तैं एक छै जिलौं (देहरादून मिलैक ) से बण्युं भूखंड ना अपितु एक द्वी  सौ से कम जनसंख्या वळ बाबा आदिम का जमाना का भूभाग समझण।  जी हाँ आपक कविता या लेख मा गढ़वाल एक छुट गां ही चित्रित हूण चयांद।  कबि बि तुमर लेखुं मा गढ़वाल का बावन गढुं बिगळीं भौगोलिक व अन्य सांस्कृतिक बिविधता का दर्शन नि हूण चयेंद अर जख तक हो तो रवांल्टी , जौनपुर अर जौनसार तैं गढ़वाल का अंग नि बताण। 
  हमेशा लिखण कि गाँव खाली ह्वे गे किन्तु जु शिल्पकार गाँव मा छन ऊं तैं कतै गढ़वाली (आपक ग्रामवासी ) नि मनण।
    सबसे अधिक रूण गढ़वाली (आपक गांव की ) संस्कृति खतम हूण पर लिखण चयेंद कि हमर ग्रामवासी (गढ़वाली ) अब माटो -पाटी -बुळख्या से पढ़ाई नि करदन अर नया  क़िस्म का कागज , पेन व कम्प्यूटर तै जथगा गाळी देल्या आप उथगा बड़ा कवि माने जैल्या।  जी हाँ आपक कविता , लेखों मा रूण हूण चयेंद कि लोग अब नंगा खुटुंन भैर नि जांदन  अर चप्पल , जूतों पर जथगा जोर से जुत्त मारिल्या आप तै महान कवि की श्रेणी मिल जाली।
     
       फिर कबि बि गढ़वाल याने आपक 100 -150 जनसंख्या वाळ गाँव मा आधुनिकता ऐ गे नि बथाण।  पाणी नळ, रस्ता , बिजली ,मोटर सड़क , गाँव गाँव मा स्कूलों वर्णन नि करण।  मुंबई का नजिक विरार , कल्याण म लोड शेडिंग तै एक सामन्य बात समझण किन्तु आपक गाँव याने छै जिलोँक गढ़वाळ मा बिजली लोड शेडिंग तै रावणी कृत्य साबित कर दीण चयेंद।  आपक गाँव याने गढ़वाल तैं दीनतम क्षेत्र बताणम कबि नि शरमाण चयेंद।
  गैस स्टोव की  भयंकर ढंग से आलोचना हूण चयेंद अर धुंवादार चुल्ला की पूजा।  धुंवादार चुल्ल तैं बदीनाथ बताओ अर गैस स्टोव तै भयंकर रागस।  कवियों तैं अफु इंडक्शन कुकर खरीदण चयेंद किन्तु आपक कविता मा गांव याने गढ़वाळम ढुंगळ संस्कृति की ही वकालत हूण चयेंद।  आप जथगा जोर से आधुनिकता का विरोध मा साहित्य रचिल्या उथगा जोर से आप तै पुरुष्कार का अवसर मीलल।  कवितौं मा आधुनिकता विरोध एक बड़ो साहित्यकार या पत्रकार हूणो निसानी च।  अपण काका कुण आटु पिसणै बिजली चक्की लाण किन्तु साहित्य अर रिपोर्टिंग मा घट्ट बांज पड़्यां छन की बुलंद आवाज हूण चयेंद।
     कवि सम्मेलनों मा पलयान कु रूण रुण चयेंद , पलायन रोको का आंदोलनकारी कविता पढ़न चयेंद किन्तु दुसर दिन अपण नौनी या नौनु तै अमेरिका भिजणो इंतजाम करण चयेंद।
     अपण बेटी कुण स्वीमिंग पूल मा नयाणो कुण बिकनी खरीदण चयेंद किन्तु साहित्य या रिपोर्टिंग मा पंजाबी ड्रेस की अर सरकार की खूब भर्तसना हूण चयेंद कि गढ़वाळ मा अंगुड़ संस्कति खतम हूणी च।
      गढ़वाली कवि तैं चाहे ऊ गाँव याने पूरा गढ़वाल मा रावो , बॉर्डर पर रावो या कनाडा मा रावो बाबा आदिम  जमाना का गाँव की खुद मा खुदेड़ कविता ही लिखण चयेंद।  अफु ट्रिपल फिल्टर सिगरेट पीण किन्तु ग्रामवास्युं कुण ताकीद हूण चयेंद कि तुम अग्यल -पतब्यड़ संस्कृति का संवाहक बौणो।
      अफु अपण बेटी ब्यौ मा न्यूतेरो रात कॉकटेल पार्टी हूण चयेंद अर बेटा की बरात मा हरेक  कार मा बार सजी हूण चयेंद किन्तु साहित्य अर रिपोर्टिंग मा गढ़वाल मा शराब पियेणी च की खूब  खाल खिंचै हूण   चयेंद। 
           ध्यान रावो बल आपक  साहित्य या रिपोर्टिंग का चरित्र बारवीं सदी का ही हूण चएंदन। ह्वे साको तो पाषाण युगीन चरित्र ही दिखावो।  कबि बि अपण साहित्य या रिपोर्टिंग मा नया किस्मो छुट ट्रैक्टर की प्रशंसा नि हूण चयेंद।  अबि बि कटल खणण  वळ किसान तै महान किसान बताण, ये गरीब किसान की वंदना चारण  शैली (मौलारम या गुमानी पंत शैली ) मा कविता रचण चयेंद।   अर मिस मेजर जखमोला, आईपीएस कुकरेती या बड़ी  अधिकारी मिस बिष्ट का विषय मा कविता नि रचण।  यूं गढ़वाल का गर्व नव गढ़वाल्यूं की  हमेशा ही अवहेलना करण चयेंद। 
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 -बाकी अगला भाग मा

14/11 / 2017,
कॉंग्रेसी भग्यान भक्त दर्शन,  जगमोहन सिंह  अर  बलदेव सिंह आर्य जन नेतौं  बारा मा किलै नि रूंद ह्वाल ?


   

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     अचकाल सोनिया गांधी , राहुल गांधी अर अहमद पटेल बड़ा परेशान , आतुर अर चिंतित छन बल यदि गुजरात का चुनाव नि जितदा, यदि 2019 का चुनाव नि जितदा त भाजपा सरकार सब नेहरु –गांधी मिमोरिय्ल पर ताळ लगै द्याली अर राष्ट्रीय धरोहरों नाम रोबर्ट बाड्रा पुत्रों नाम पर नि धरे जाल . राहुल अर प्रियंका चिंतित छन बल नया नया एयरपोर्ट आणा छन त क्वी बि एयरपोर्ट सोनिया गांधी नाम से नि  बुले जालो .सोनिया गांधी क रुण च बल इथगा स्मार्ट सिटी आणा छन किन्तु मोदी सरकारन अबि तक एक बि प्रपोज्ड सिटी का नाम राहुल गांधी नाम से धरणो प्रपोज नि कार . गुलाम आजाद का बुलण च बल स्मार्ट सिटी का नाम राहुल गांधी अर प्रियंका का नाम से नि होला तो भारत का लोगुं पर बड़ी नाइन्साफी ह्वेली  .गुलाम का दगड्या गांधी प्यादा उर्फ़ आनन्द शर्मा बुलणु  च बल इंडियनों उपर इथगा अत्याचार तो ब्रिटिश लोगुंन नि कार जथगा अत्याचार भाजपा  नेहरु खानदान का नाम बगैर स्मार्ट सिटी खुलण से करणी च .

  ब्याळी उत्तराखंडी फेसबुक मा गांधी परिवार का दुःख  दिखेणु छौ . नेहरु प्रेमी रूणा छा बल केंद्र सरकारन नेहरु का नाम से क्वी बिज्ञापन नि दे . इंदिरा भक्त ऐड़ाट भुभ्याट करणा छा बल राज्य सरकारन नेहरु स्तुति नि कार . तो मोदी भक्तों जबाब छौ  बल कनो मनमोहन सरकारन नरसिम्हा राव तै कथगा  दें याद कार .

       जख तलक प्रत्येक कौंग्रेसी  कु सवाल च कॉंग्रेसी नेहरु गांधी का अलावा  कै हैंक तैं कॉंग्रेसी नि समझद . उत्तराखंड मा 17 सालों  मादे 10 साल कौंग्रेस कि सरकार छै किन्तु गौ बुरु चीज च जु नौरसी नारायण दत्त , इम्पोर्टेड विजय बहुगुणा या नेहरु खानदानी प्यादा हरीश रावतन महान गांधीवादी भक्त दर्शन जी का बाराम सोचि बि  हो।  मीन कखि नि पौढ़  बल कबि यूं नेहरू गाँधी  ड्यार पाणी भरण वाळ , राहुल गांधी का खुट जपकाण  वळ या संजय गांधी चप्पल उठाण  वळुं कबि भक्त दर्शन जी का नाम पर कै कूण्या  नाम धौर हो।  मि तै याद नि यूं चाटुकारोंन गढ़वाल का प्रथम लोकसभा सदस्य  भक्तदर्शन जी का नाम पर क्वी गोष्ठी उरै हो।  माँ बैणि तलाक धौं  जु सोनिया गांधी तैं अपण ब्वे से भी अधिक महत्व दीण वळ कॉंग्रेसी कार्यकर्ता बि भग्यान भक्तदर्शन तै सुमरिं

Bhishma Kukreti

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गढ़वळि कवि  बड़ा निर्दयी  छन

 चक्कलस   :::   भीष्म कुकरेती   

मीन प्रसिद्ध चित्रकार रवि वर्मा का बाराम पौढ़ी छौ कि वूंक प्रेरणा स्रोत्र मुंबई की एक वैस्या छै तो मि तै सोळ अन भरवस छ बल हरेक प्रेम रस कु कवि की क्वी ना क्वी छोरी प्रेरणा स्रोत्र हूंदी च।

राजा रवि वर्मा  की प्रेरणा से प्रेरित ह्वेक मि  एक ऐतिहासिक लेख की तयारी मा छौ कि गढ़वाली प्रेमयुक्त कविताओं जनक अर ऊंक प्रेरणाओं बारा मा दुन्या तै अंग्रेजी म बतौं। 
  मानो या नि  मानो अधिकतर गढ़वळि कवि निर्दयी छन , निर्मोही छन , मतबल आज का  ज़िंदा  कवि,  गिताड़ अर गजलकार टरकाणम उस्ताद छन ।
  अब पुरण दगड्यों मा मदन डुकलाणै छ्वीं ले ल्यावो।  श्रृंगार रस पर सवादी  कविता लिखदन अर अपणी हीरोइन की आंदि जांदि सांस तक गौणी दींदन पर मजाल च जु कबि मै तै बतै व्हा बल वा क्वा च जैंकि प्रेरणा से इथगा मयळि कविता रचे गेन।  बोतल देवी क मंदिर मा मदिरा देवी पूजा करद करद मीन मदन तै कथगा दैं पूछ बल भाई मदन यार बता त सै वीं 'गर्ल फ्रेंड ' तै जैंका नाम पर तू इथगा मजेदार गजल रची दींदी ? अर हर बार क्रूर मदन डुकलाण कबि वैजयंती माला क नाम ले ल्यावो त कबि मधुबाला क नाम।  एक दैं त चिकन टंगड़ी गिच पर लिजांद लिजांद मदनन लीला चिटणीसक नाम ले ल्याई।  ठीक च दगड्यों बीच हम बेवकूफ बणनो कोशिस करदा पण बूडददि तैं श्रृंगार रस की कविता कु प्रेरणा स्रोत्र त नि मने सक्यांद ना ?  भौत दैं फोन पर बि वींक बारा मा पूछ पर आजकल मदन कबि कटरीना कैफ का नाम बथांद त कबि प्रियंका चोपड़ा नाम हाँ एक दैं आयुस्का शर्मा क नाम तक ले ये निर्दयीन।  हूँ ! ये भै कनै मानु सच। तुमि न्याय कारो कि  नौनाक वाइफ या गर्ल फ्रेंड  से वातसल्य रस की कविताओं प्रेरणा मीललि कि प्रेम रस कविता की ?
 
  जब मदन से थक  ग्यों त मीन सम्मानीय नरेंद्र सिंह नेगी जी से पूछ बल नेगी जी आपन इथगा प्रेमरस युक्त कविता रचिन त जरा अपण प्रेरणा कु नाम बतै द्यावो।  अर हर बार नेगी जी अपण धर्मपत्नी नाम बथै दींदन।  अब क्या बुलण जब इथगा बड़ आदिम इथगा बड़ो झूट ब्वालल त तुम तै भगवान से बि भरवस नि उठ जालो कि ना ? अरे ! धर्मपत्नी की प्रेरणा से रामचरित मानस लिखे जांद , धर्मपत्नी की प्रेरणा से हनुमान चालीसा लिखे जांद ना कि प्रेम सतसई।  खैर नेगी जीन बि निरास ही कार अर अपण प्रेरणा कु नाम नि बथै।
   पौड़ी का ही छन त्रिभुवन उनियाल।  यूंकि 'बौ ' बड़ी फेमस च।  मीन फोन पर पूछ बल उनियाल जी जरा वीं असली बौ का नाम बथै द्यावो जांकि प्रेरणा से आपन इथगा जीवंत चरित्र पैदा कार।  उनियाल जी लगदन कि डिप्लोमेट ह्वे गेन ऊँन फेणुका चौधरी का नाम ले ल्याई बल मेरी प्रेरणा स्रोत्र तो फेणुका चौधरी च। राजनीतिग्य जि प्रेम प्रेरणा स्रोत्र बणदा त भारत मा जातीय दंगा किलै हूंद।
   
   
    निरस्येक  मीन गिरीश सुन्द्रियाल से बात कार बल तुमर गीतों म हर मौसम मा  मौळयार इ रौंदी त जरा अपण प्रेमीका को नाम तो बताओ।  सुन्द्रियाल  वै जमानौ चौंदकोट्या बांद  बौ सुरीला , छमना , भामा की छ्वीं लगाण मिसे गे  . ये मि छौं दुनिया का झठा सेल्समैनों सरदार अर झूठों का सरदार मा गिरीश झूठ बुलणु छौ त किलै  बात खपण छे।
     मीन दिल्ली पयाश  पोखड़ा तै फोन कार कि जरा वीं छोरी नाम त बता कि वा छ कन च जैंक प्रेरणा से इथगा रसीली गजल खत्यांदन।  विभूति भुलान त गजब ही कर दे।  ब्वाल बल मेरी प्रेरणा त सुनील थपलियाल घंजीर  च बल।  धर्मेंद्र नेगी तै फोन कार त बुलण लगिन बल गुरूजी म्यार प्रेरणा त हरीश जुयाल जी छन।  म्यार इन ऐतिहासिक लेख अंग्रेजी मा ही हूंदन।  अर जु अंग्रेज , अमेरिकी या विदेशी महाभारत या पुराण पौढ़िक सिद्ध करदन बल कृष्ण अर अर्जुन समलैंगिक छा वो तो म्यार लेख बाँचीक न्यूआर्क टाइम्स मा  लेख प्रकाशित कार द्याल बल ऑल गढ़वाली क्रिएटिव आर समलैंगिक तो भ्यूंचळ नि ऐ जाल।  घरवळिक  त मि तैं चिंता नी किन्तु मुंबई की मेरी प्रेमिका म्यार बारा म क्या स्वाचल ?
   अब मेरी हिम्मत नी हूणी कि मि वीरेंद्र पंवार सी पूछ।   मि तै पता नी किले लगणु च बल वीरेंद्रन बोली दीण कि मेरी प्रेरणा त मेरी भैंसी च। 
   
    समज मा नी आणु कि ये ऐतिहासिक लेख तै कनै पूर कौरु।  आपि कुछ सुझाव द्यावो जरा।

*झुटिस्थान से लियुं लेख।
25 /12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

*लेख की   घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख में  कथाएँ , चरित्र , स्थान केवल हौंस , हौंसारथ , खिकताट , व्यंग्य रचने  हेतु उपयोग किये गए हैं।
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    ----- आप  छन  सम्पन गढ़वाली ----
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Bhishma Kukreti

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चुल्लक  गैस स्टोव से चिरड्याण
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 चबोड़ , चखन्यौ , ककड़ाट  :::   भीष्म कुकरेती   
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माटौ चुल्ल - औ ये ब्वे ! नि सयेंद , नि रयेंद , नि खयेंद
गैस स्टोव (अपणी मनम ) -अब ये तैं  मृत्यु डौर लगण लग गे , एन सब्युं निसिणि करण।
चुल्ल - ये ब्वे ! ये ब्वे ! क्या ह्वाल भोळ , भोळ क्या ह्वाल ..  . भोळ क्या ह्वाल।  निजड़ू  शत्रु गैस स्टोव आण से म्यरो वंश  समाप्ति अवश्यम्भावी च।
घण्यसौ बंठा - ये चुल्ल माराज सीण दि हम तै।
चुल्ल -चुप बै बंठा।  तेरी मृत्यु  आली ना नजीक तब पता चौलल।   त्वे पता बि  च कि निरबंशी मोरणो दुःख क्या हूंद।
गैस स्टोव (मन इ मन मा ) - अब यूं सब्युं बत्थों मा नि सियाण। आज संस्कृति नाश पर आज अवश्य ही भाषण भीषण होलु।
बंठा - ह्यां पर रोज रोज क्या रौंद तू रुणु कि अब तेरी मृत्यु ही ना त्यार बंश बि खतम ह्वे जाण
चुल्ल - अबै त्वे क्या पता बंश नास का क्या दुःख हूंद।
बंठा - पता च।  सि प्लास्टिकै बल्टी अर टब ऐ इ गेन ना ।  पर मीम धीरज च , धैर्य च , सहनशीलता च।
बौळी -हाहाहा
बंठा -क्या छे ये बौळी मै पर हंसणी ?
बौळी - मि त्वे पर नि हंसणु।
बंठा - त ! कै पर छे हंसणी ?
बौळी - मि त तै भुल्लकड़ चुल्लु पर छौं हंसणु।
चुल्लु - क्या च इखम हंसणै बात ? मेरी मृत्यु निश्चित च अर तू हंसणी छे हैं ?
बौळी - जरा वु दिन याद करदी जब ये घौरम तै बंठा की दीदी तमोळी ऐ छे।  तब सब माटौ घौड़ , घंटी , हिसर अपण अवश्यंभावी बंश नाश पर रुणा छा अर तू हंसणु छौ बल सब माटक भांड कूंड , पत्थरौ भांड कूंड अर लखड़ूं भांड कूंड खतम ह्वे जाल पर चुल्लु कबि नि मोर सकुद।  तीन तब अट्टाहास कौर छौ कि माटौ चुल्लाक मृत्यु कबि नि हूण।  माटौ चुल्ल अजर छन , अमर  छन।
कठब्वड़ पुटकाक बरोळी - हाँ हाँ , तब त ये चुल्लन घमंड मा संस्कृत श्लोकों मा बोलि छौ बल मृतिका भांडुं मृत्यु अवश्य आली , मृदिका  पात्रुं वंश नाश हूण च , काष्ठ पात्र समाप्त ह्वाला किन्तु मृतिका चुल्ली: तो मनुष्य वंश  का साथ ही समाप्त ह्वाल।
जंदरी - हां ! येन म्यार वंशौ नाश पर बि अट्टाहास कौर छौ बल पाषाण -भंडम बि मृत्यु लोक चल जाल किन्तु मृदिका चुल्लि: न समाप्त नि हूण।
गैस सिलिंडर - स्टॉप , स्टॉप।  कीप क्वाइट।  डोंट अटर ऐनी वर्डस।  लेट मि स्लीप पीसफ़ुली।
कूण्या - पता नी यु लाल गोळ उच्चु  भांड कैं बिजली मा रौंद गिटर पिटर करणु धौं। बिंगणम बि नि आंद एक बुल्युं।
चुलखंदौ लखड़ - अरे म्यार बारम बि त स्वाचो।  जब बिटेन स्यु शत्रु गैस स्टोव आयी मि चुलखंद म पड्युं पड्युं सौड़ ग्यों।
पटिला - अच्छु ह्वे तू नि जळदु।  अरे त्यार धुंवान हमारी क्या कुगति हूंद छै।
सब -हाँ अब ना धुंवां ना हमर अंसदारी।  धुवांहीन  वातावरण म मजा ही मजा.आनंदम !  आनंदम !
चुल्लु -सालो ! तुम सब म्यार बैरी ह्वे गेवां।  मेरो कुलनाश हूणू च अर तुम आनंदम आनंदम भजणा छवां।
पसूण - देख भाई चुल्लू ! ये ब्रम्हांड कु नियम नियति च बल जु जनम ल्यालो वैकि मृत्यु अवश्यम्भावी च।  इख तलक कि जु नया वंश, नया कुल याने जु नया उपकरण आंदो वैन पुरण हूण।  फिर वैक जगा नया उपकरण आंद अर पुरण उपकरण स्वतः ही अप्रासांगिक ह्वे जांद।  उपकरण याने संस्कृति अर संस्कृति ठहरदी नी अपितु समाप्त हूंद जांद।
चुल्ल - अरे त्वे पर बितदी ना तब बुल्दु मि।
पसूण - बितण क्या च।  परसि नि ऐ छा ये उबर नया किस्मौ ओड जु अब नयो कूड़ बणाणो बात करणु छौ।  बुलणु  छौ बल काष्ठ रहित बिल्डिंग बणौलु।
मोर, सिंगार, देळी (एक  दगड़ी ) - मतलब अब हमन बि बदल जाण ? हमर बि वंश नाश ?
पसूण (प्रसन्नचित ) - बिलकुल।  तुमर , हमर क्या तकरीबन हम सब्युंक वंश नाश हूण।
पर्या - मतलब हर अन्वेषण से पुरातन को नाश ?
पसूण - हाँ हर नयो  अन्वेषण पुरण उपकरण संस्कृति बिनास करदो।  अब हमर बारी च।
घण्यस - तो क्या करे जावो ?
पसूण - कुछ नहीं।  बस नई संस्कृति याने नया  उपकरणों स्वागत अर अपण वंश नाश पर प्रसन्नता।  प्रसन्नता ही जीवन च , प्रसन्नता ही हम उपकरणों नियति च।
सब -परिवर्तन की जय हो।  परिवर्तन की जय हो
सिलिंडर - लॉन्ग लिव चेंज !





26/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

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 जब ब्यौ मा  अंगेठी चलदी छै  (संस्कृति समळौण )
(यह प्रकरण श्री सोहन लाल जखमोला ने सुनाया था )
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 नाट्य रूपांतर   :::   भीष्म कुकरेती 
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काल -सन  1904
स्थान - बड़ेथ  (मल्ला ढांगू )   ( किमसार, उदयपुर , यमकेश्वर ब्लॉक से 25 -30  मील दूर  ))
स्थान - बड़ेथ का ब्रिटिश काल का चौक
 कुमना नंद बड़थ्वाल  (बड़ेथक  ) - हे चंदनु ! चल तू भी ऐ  गे  बखारी  बिटेन।  ले सि जसपुर बिटेन जोगी  भैजि , डाबर बिटेन  सदा भैजि  बि  ऐ गेन।  अब चिंता नी
(रामा रूमी हूंद )
कुमना नंद - सदा भैजि ! अच्छु  ह्वे जु  तुम डाबर बिटें  ऐ गेवां  . मेरी त  निंद इ हर्चि गे।  इथगा दूर सुदनु बरात किमसार लिजाण।
सदा नंद डबराल (डाबर , डबराल स्यूं वासी )-  ब्वे कथगा दिनुं बिटेन घचकाणि छे बल मौसेर  भाइक नौनु सुदनु क ब्यौ च अर मि अबि तक नि बड़ेथ नि ग्यों।
कुमना नंद बड़थ्वाल - ज्यठि  ब्वेक हम सब पर बड़ो प्रेम च।
सदा नंद - अच्छा भैजि क्या क्या इंतजाम ह्वे गे।  25 -30  मील दूर बरात जाणो बात च त  ...
कुमना नंद - हूं  हां।  कख बड़ेथ अर  कख किमसार।  हिंवल पार , लंका दूर।  पर ढुंगा क भुप्पी बडोला ममा जीन उख रिस्ता की बात कार।  त्याईस गुण मिलणा छन। खानदान देखिक ना नि  बुले गे।
जोगी  कुकरेती (जसपुर ) -  भैजि ! और क्या चयेंद ? जातिक कंडवाल ,मोतीराम जीक त छै भैंसी लैंदी , तीन जोड़िक  बल्द , आठ तंदला बखरों अर  एक तंदला ढिबरों क च।
चंदन सिंह -हाँ बड़ जिमदारु , बड़ु  कामकाज।  अर  मीन सूण बल मोतीराम जीक चार त म्वार जळट छन बल।  हर मैना  दु दु परोठी शहद हरिद्वार भेषक बाबा जीक इख जांद बल।
सदा नंद - हाँ भेषक बाबाक इख आयुर्वेदिक दवा जि बणदन।  मोतीराम कंडवाल जीक  भैजिन उखी त बैदकी सीख।
कुमना नंद - हाँ पर सि सात आठ दिन पैली मोतीराम जीक रैबार बि त आयी।
जोगी - क्या भुला ?
सदा नंद - कुछ इन तन ?
कुमना नंद - बल द्वार बाट  हूण से पैल बल ऊँन हमर कै बराती तैं  हुक्का नि दीण अर ना आग।
जोगी -  हाँ त रिवाजौ बात च।  इखमा क्या ? हम बि त भातौ पिठै लगाणो बाद ही अपण समदयूं तैं हुक्का पिलांदा।
कुमना नंद - भैजि ! रैबार पूर  त सूणो।
जोगी - बोल , बोल
कुमना नंद - बल मोतीराम जीक बड़ो नाम च उदेपुर मा  त पचास बरात , कम से कम चार घ्वाड़ा , चार हुक्का, एक बैठक हुक्का अर कम से कम चार अंगेठी त आण इ चयेंदन  ।
सदा नंद - ये मेरी ब्वे बड़ खानदानौ दगड़ रिस्ता जवाड़ो त  ताम झाम बि बड़ ही करण पड़द।
जोगी - हूँ।  घ्वाड़ा , हुक्का बि  लिजै ल्योला।  हूँ पर  चार अंगेठी ?
चंदन  सिंह  - ह्यां यांकि बान त भाना डुलेर बुलै छौ।  अबि तक नि आयी।  यूंक बि अब भाव बढ़ गेन।
जोगी - ले सि  ऐ गे भाना  डुलेर।
(रामा रूमी हूंद )
चंदन - क्या रै भाना  देर लगै द्याई ?
भाना - हाँ ग्वीलम  अम्बा दत्त ठाकुर जीक इख देर ह्वे गे।  ऊंक नौन बाला दत्त जीक क बरात जाण मन्यार स्यूं नैथाणा।  त ब्योलीक ड्वाला  लाणौ डुलेर चयेणा छन।
जोगी - ये हां बाला कु ब्यौ बि  त सुदनु ब्यौ से छै  दिन बाद च।
भाना - हां।  बरात मा आठ डुलेर अर आठ अंगेठी लिजाण वळ अर एक बांजक लखड़ लिजाण वळ चयेणा छन। ये ठाकुर लोगो अंगेठी जगा गुपळ जळैक किलै नि लिजान्द होला।
सदा नंद - ये क्या बुलणु छे ? गुस्स -गुपळ मुर्दा लिजान्द दैं लिजांदन।  ब्यौ मा अपशकुन्या चीज लिजांदन क्या ?
भाना - हम तैं क्या पता।  हम त टकौं ब्यौ करदा त  हमर ले क्या।
जोगी - ये भाना ! सुदनु बरातौ कुण बि चारेक डुलेर अर अंगेठी लिजाण वळ चयेणा छन।
भाना - कथगा अंगेठी जाणा छन बरातम ?
चंदन - कम से कम चार अंगेठी।
भाना - बरतीन जाण किमसार।  मतलब डेड़  दिन जाण अर डेड़ दिन आण।  ऊं त इख बि आठ अंगेठी लिजाण वळ अर एक लखड़ लिजाण वळ चयाल।
कुमना नंद - हां इथगा त चयला ही।  दूरक बात च।
भाना - इन च काका ! डुलेर त मि पांच बीसी लयों पर जळदि अंगेठी लिजाणो क्वी डुलेर तयार नी होणु।
जोगी - अरे भाना ! इन कनै बात बल अंगेठी लिजाणो क्वी डुलेर तयार नी ?
भाना - इन च जळदि अंगेठी लिजाण  क्वी खाणो काम नी च।
चंदन - अरे पर अंगार त रंगुड़ो तौळ रंदन फिर ड्यूल बि खूब डमडमु रौंद
भाना -कबि लिजा धौं जळदि अंगेठी।
चंदन - पर आमदनी बि त खूब हूंदी कि ना ?
भाना - अरे क्वा च आमदनी पैंथर पड़्यु ? सब बुल्दन बल बच्यां रौला त तमाखू मांगि देखि खै ल्योला।
सदा नंद - हाँ पर अंगेठी वळुं तै मजूरी अलावा दु दु गिंदोड़ा बि मिल्दन।
भाना - डबराल ठाकुर ! हमर लोग बुल्दन बल इथ्गा कट्ठण अर खतरा वळ काम इ जि करण हूंद त मथि मुलक पेंशनर काम मतबल चाय बगानों मा काम नि करदा हम।
कुमना नंद - ह्यां पण।  हमकुण अंगेठी लिजाण जरूरी च।  समदी जीक मान सम्मान कु  सवाल च।  बेटी ब्यौ मा जथगा ज्यादा अंगठी तथगा बड़ो नाम हूंद।
भाना - मुश्किल च
जोगी - अरे त इकै गिंदौड़ा हौर ले ले
भाना - गिंदोड़ा सवाल नी च।  क्वी बि इथगा कट्ठण अर खतरा वळ काम करणो तयार नी च।
सदा नंद - अच्छा त अम्बा दत्त जी अंगेठी लिजाण वळुं क्या इंतजाम करणा छन ?
भाना - क्या करण जन लाट साब सरकार सड़क बणानो करदी।  अर क्या।
चंदन - क्या ?
भाना - दुगड्ड -भाभर बिटेन डुट्याळ मंगाणा छन।
सदा नंद - डुट्याळ ? दुगड्ड भाभर बिटेन ?
भाना - हाँ ठाकुर।
कुमना नंद - ठीक च।  अब जब मान सम्मान कु सवाल हि ह्वे गे त हम बि डुट्याळ इ मंगोला।
सदा नंद - हाँ यी ठीक रालो
जोगी - बिलकुल जी।  अंगेठी उठाणो बान डुट्याळ इ ठीक राल। कै तै दुगड्ड भाभर भिजण पोड़ल।
कुमना नंद - हाँ


27/12 / 2017, Copyright@ Bhishma Kukreti , Mumbai India ,

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