Parashar Gaur
July 9 at 11:24am ·
आज का अनुबादित गढ़वाली शेर
सोची सोची इनु होलु , उन होलु , इन ह्वेई जा
*1गंठै गंठै की गांठा , जिंदगी ईनिमै * २ तमाम होवे गए
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*1गंठै गंठै = सोच सोच कर , बुन बुन कर ! * २ तमाम = समाप्त , खतम , बीत जाना