Author Topic: Changing Kumaoni & Garhwali Language-बदलती कुमाउनी & गढ़वाली भाषा  (Read 5416 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रीश - गुस्सा आना (कुमाउनी)

लेकिन इस शब्द को बोल चाल की भाषा में भी कम इस्तेमाल किया जाता है!

मोहन मीके रीश ने गडा!
(मोहन मुझे गुस्सा मत दिला)

वर्तमान -
मोहन मीके गुस्सा न दिला !

Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंडी भाषाएँ अब वो भाषाएँ नहीं बोली जाती हैं जो की पहले बोली जाती थी बदलते समय के अनुसार कुमाउनी और गढ़वाली के बोल चाल में अब हिंदी सब्दों का विलय हो रहा है,अगर किसी को गढ़वाली या कुमाउनी में एक वाक्य कहाँ या बोलना हो तो उस वाक्य में ३०% शब्द हिंदी के होते हैं, एक समय ऐसा भी आयेगा जा कुमाउनी और गढ़वाली भाषाएँ ही बिलुप्त हो जायेंगीं !

 

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