Author Topic: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....  (Read 26081 times)

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #120 on: January 31, 2011, 07:06:04 AM »

                 "कहता है पहाड़"

कहता है पहाड़ माना की तुम मुझे याद करते हो,
ये भी माना की तुम मेरी बात भी करते हो,

और कठीनाईयों मे तुम मुझ पर गुस्सा भी करते हो,

अरे मे तो पहाड़ हु उस नारी की तरहा,
दूर से प्यारा और नजदीक से उलझन लगता हु

सुन्दर सिंह नेगी 31-01-2011

दीपक पनेरू

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #121 on: January 31, 2011, 08:04:38 AM »
बहुत खूब नेगी जी.......

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #122 on: February 12, 2011, 09:05:45 AM »
                           निशास

आज भौतै निशास लागी रौ मैकै, निशास यै वजैल लागी रौ,
किलै की परबेर मी य टैम पर घर जै रौछी, लेकिन अलबेर मी यां दिल्ली मे धक्क खाण लै रई,
आज मैकै घरै की याद नै उणैय बल्कि उन सब लोगो याद उणै जो आब घर छोड बेर पत नै जाणी को मुल्क नैहै गई।

धन्यबाद

सुन्दर सिंह नेगी 12-02-2011

                 

हिन्दी अनुवाद

           उदास

आज मै बहुत उदास हु, उदास इस वजह से हु, क्योकी पिछले साल मै इन दिनो अपने घर मे यानी पहाड़ मे था,
लेकिन इस साल मै यही यानी दिल्ली मे ही धक्के झेल रहा हु, आज मुझे अपने घर की ही याद नही आ रही है बल्कि उन सभी लोगो की याद आ रही है जो अब अपना मूल निवास छोड़कर न जाने कोंन से मुल्क मे रह रहे है।

धन्यबाद

सुन्दर सिंह नेगी 12-02-2011

Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #123 on: February 12, 2011, 09:21:22 AM »
वाह नेगी जी क्या बात बहुत खूब

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #124 on: February 12, 2011, 09:34:07 AM »
सुक्रिया सभी कवि, लोगो एवं मित्र भाईयों का.

dramanainital

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #125 on: December 23, 2011, 01:27:07 PM »
                   दे दिया.

इतने भी हम खिलाफ़ नहीं तेरे, ऐ गरीब,
तेरा शोर सुन के तुझको, खाना तो दे दिया.

ताकत की हवाओं में ,उड़ जाएँ तेरे तीर,
ये तय किया पर तुझको निशाना तो दे दिया.

सब खर्च किया हमने ,तेरे ही नाम पर,
नाम ही को सही ,तुझको खज़ाना तो दे दिया.

भूखा है तू ,नंगा है तू ,पर पास बम तो है,
ले तू भी फख्र कर ले ,बहाना तो दे दिया.

हर हाल ज़िंदा रहना ,ही है तेरा मकसद,
हर हाल ज़िंदा रहने ,ठिकाना तो दे दिया.

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #126 on: January 10, 2012, 01:04:46 AM »
मेरा पहाड़ के सभी सदस्यों को सुचित करते हुवे आपार हर्ष हो रहा है कि मै सुन्दर सिंह नेगी मेरा पहाड पर एक स्व लेखन विषय सुरू करने जा रहा हु आप सभी मेरा पहाड के सदस्य लेखको से अनरोध है कि आप भी अपनी स्वरचित रचना इस निजी बिषय मे लिख सकते है। मै कोई लेखक नही हु,मै कोई कवि नही हु फिर भी कुछ लिखने कि कोशिश करता हु,तो आप भी कर सकते है कोशिश कुछ लिखने की,वैसे मेरा पहाड मे लेखको की कमी भी नही है ये सुन्दर सिंह नेगी का मानना है।

 

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