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http://e-goriganga.blogspot.com/search?updated-min=2009-01-01T00%3A00%3A00%2B05%3A30&updated-max=2010-01-01T00%3A00%3A00%2B05%3A30&max-results=6हुणदेश व्यापार केन्द्रित तीन पुस्तकों का विमोचन
पूर्व घोषणा के अनुरूप भारत तिब्बत व्यापार पर लिखी गई तीन महत्वपूर्ण पुस्तकों, (1) Hot Pursuit of Kazakh Bandits by a Johari Trader, 1941, (2) Travails of Border Trade तथा (3) Caravan to Tibet, का विमोचन जिसका आयोजन समारोह जोहार मिलन केन्द्र, हल्द्वानी तथा मल्ला जोहार विकास समिति, मुन्स्यारी द्वारा दिनांक 22 मार्च,2009 किया गया । यह समारोह दुर्गा सिटी सेंटर, हल्द्वानी में 3-6 बजे सांय में आयोजित किया गया जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों से आये 250 से अधिक लोगो ने भाग लिया जिसमें मीडिया, प्रेस तथा लखनऊ, दिल्ली, मुन्स्यारी, देहरादून तथा नजदीक के स्थान भीमताल, नैनीताल, उधमसिंह नगर से आये प्रतिभागी शामिल हुये।
प्रमुख गैरसौका प्रतिभागियो मे प्रो. अजय रावत, डा. गिरिजा पांण्डे, श्री आनन्द बल्लभ उप्रेती, सम्पादक पिघलता हिमालय, श्री दिवाकर भट्ट, संपादक आधारशिला, पूर्व आई.जी. पुलिस श्री बचखेती , श्रीमती जया गुप्ता सहित हल्द्वानी नैनीताल के स्थानीय प्रबुद्ध नागरिक शामिल थे। सौका समाज के करीब सभी आयुवर्ग के लोग पुरूष व महिलायें उपस्थित थे ।
समारोह का आयोजन व्यवस्थित ढ़ग से किया गया था प्रतिभागियों के यथोउचित स्वागत तथा आरामदायक बैठने, पानी, अल्पाहार आदी की बढ़िया व्यवस्था की गई थी।
हल्द्वानी में तीन उच्चस्तरीय पुस्तकों के विमोचन को सहज में एक एतिहासिक घटना माना जा सकता है जिससे हल्द्वानी में गंभीर प्रकाशन को शुरू कर उसे प्रमुख शिक्षा केन्द्रो में ला खड़ा किया है। हल्द्वानी में अभी नैनीताल में कंसल व नारायण बुक डीपो सरीखे उच्चस्तरीय पुस्तकों के दुकानो का अभाव है तथा ऐसी पुस्तकों को प्राप्त करने में अति कठिनाई होती है।
श्री गजेन्द्र सिंह पांगती, अध्यक्ष जोहार मिलन केन्द्र ने बहुत सुयोग्य समारोह संचालन किया। पुस्तकों के लोखकों तथा उनके प्रकाशकों के बारे में श्री हीरा सिंह धर्मसक्तू, श्री गजेन्द्र सिंह पांगती तथा डा़. नारायण सिंह पांगती ने श्रोताऔं को विस्तार से अवगत कराया।
तदुन्तपराय, लेखकों ने विस्तार पूर्वक अपने पुस्तकों के बारे में बताया। श्रीमती दीपा अग्रवाल ने बताया कि वह किस प्रकार अपनी माता नैन्सी जोशी व पिता डा. आर्थर रावत तथा श्री ईन्द्र सिंह रावत और डा़ शेर सिंह पांगती जी के पुस्तकों से प्रभावित हुई। अब डा़ शेर सिंह पांगती जी के पुस्तक “ हाट परस्यूट आफ कज्जाकी बैन्डिटस ” (बिमोचित हो रही दूसरी पुस्तक) को जानने के बाद उन्होने माना कि शौका व्यापारियों के बहीदुरी के किस्से जिन्हे उन्होने बचपन में सुना तथा पुस्तक में पढ़ा तथा अपनी पुस्तक में लिखा वह महज कल्पना न थी बल्कि वास्तविक घटनायें थी। उन्होने कहा कि आज अपनो के बीच अपने को पाकर बहुत खुश है तथा उनके कार्यो को मान्यता दिये जाने से वे काफी उत्साहित हुयी है। डा़. नारायण सिंह पांगती ने एल्मार ग्यापा द्वारा लिखित व डा़ शेर सिंह पांगती द्वारा अनुवादित पुस्तक के प्रकाशन की भूमिका विस्तार से बताई कि किस प्रकार उनकी पत्नी श्रीमती जया ने इस विषय पर रुचि लेना शुरू किया और उन्होने अपने स्व. पिता के साहसिक कारनामों को प्रकाशित कर के उसे अपने माता पिता को उनके प्रसाद स्वरूप समर्पित करने का निर्णय लिया। डा़ शेर सिंह पांगती नें इसे अनुवाद करने के तथा श्री ग्यापा के साथ के अनुभवों को बताया। श्री भवान सिंह रावत अपने पश्चिमी तिब्बत के लम्बे व घटनापूर्ण कार्यकाल के अनुभवों से सभी को अवगत कराया जिसमें उन्होने चीनी अधिकारियों से व्यवहार जो राजनीतिक बदलाव के साथ किस प्रकार बदल गयीं को रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत किया। उन्होने बताया कि श्री लक्ष्मण सिंह जागपांगी जिन्हे उत्तराखंड के प्रथम पद्मश्री होने का गौरव प्राप्त है उनकी तिब्बत व्यापार में मुख्य भूमिका होने से उनके संबन्ध में उनके जीवनबृत तथा कार्यो पर एक खंड़ उनकी पुस्तक में जोड़ा गया है।
लेखकों के बाद सर्व श्री सुरेन्द्र सिंह पांगती, उ.प्र. के सेवा निवृत वरिष्ठ सिविल अधिकारी, श्री आनन्द बल्लभ उप्रेती, सम्पादक पिघलता हिमालय, प्रोफेसर अजय रावत ने भी कष्टदायक शौका जीवन व तिब्बत व्यापार बिषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किये तथा लेखकों के अथक प्रयासों की भूरी भूरी प्रशंसा की।
इस आयोजन के मुख्य अतिथि श्री शेर सिंह रावत, सेवानिवृत संयुक्त सचिव, भारत सरकार ने विस्तार से बताया कि किस प्रकार वे श्री भवान सिंह रावत के पुस्तक के लिखे जाने के दौरान उससे जुड़े रहे और उनके पुस्तक के सुधार के सुझावों को श्री रावत ने सहर्ष स्वीकार किया। उन्होने आशा व्यक्त किया कि श्री रावत के बढती उम्र तथा गिरते स्वास्थ्य के वावजूद यह उनके नये कैरियर की शुरूवात है और वे शीघ्र और अन्य पुस्तके लिखेंगे। उन्होने उनके इस पुस्तक के हिन्दी में अनुवाद कराने की आवश्यकता पर भी बल दिया ताकि सारे शौका समाज में इसका पठन सुलभ हो सके।
इस आयोजन के अध्यक्ष डा. आर.एस. टोलिया, मुख्य सूचना आयुक्त, उत्तराखंड ने तीनों पुस्तकों, जो आज बढ़ते जोहारी साहित्य में शामिल हुये हैं, से प्रत्येक के वास्तविक महत्व को समझाया। दीपा अग्रवाल की पुस्तक तिब्बत व्यापार पर आधारित पहली बच्चो की किताब है अतः इसे हमारी नई पीढ़ी को पढ़ाने को उपलब्ध कराने की जरूरत है क्योंकि इसके उत्कृष्ट लेखन, सुलभ प्रस्तुति तथा विश्वस्तरीय बाल साहित्य होने की वजह से इसे हाल ही में अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है। एल्मार ग्यापा-शेर सिंह पांगती में एक बहादुर व जांबाज जोहारी की कथा है जिसके द्वारा कज्जाक लुटेरों का पीछा किया जो न बहुत बड़ी संख्या मे थे वरन पूरी तरह हथियारों से लैस थे, इसे पढ़ने की संस्तुति हमारे नवयुवको व नई पीढ़ी को प्रेरित करने के लिये की जाती है। अंत में श्री भवान सिंह रावत की पुस्तक इस लिये खरीदी जानी चाहिये क्योकि यह पश्चिमी तिब्बत पर राजनैतिक व क्षेत्रीय इतिहास को उजागर करता है तथा हुणदेश व्यापार के भीतरी राज तथा कई अन्य तथ्यो से जो अब तक अज्ञात थे से रूबरू कराता है। इसमे कोई शक नहीं कि ये तीनो पुस्तके न सिर्फ उनके लेखकों, प्रकाशको बल्कि बहीदुर सौका समुदाय के गौरव का विषय है और इन्हे सफलता व प्रेरणा के लिये पढ़ने के लिये संरक्षित करने की आवश्यकता है।
इसमें आश्चर्य नहीं कि समारोह स्थल पर इन पुस्तको को खरीदने की भीड़ लग गई। दीपा अग्रवाल की सारी पुस्तके बिक गई और लोग यह जानने को आतुर थे कि वे कहां मिलेंगी । भवान सिंह जी के आठ हजार रुपयों से अधिक की बिक्री हुई जो मल्ला जोहार समिति, मुन्स्यारी के कापीराईट अधिकार में है। हाट परिस्यूट ने भी अच्छी बिक्री की।
योजनानुसार दूसरा पुस्तक विमोचन मन्स्यारी मे जून, 2009 में होना तय है अतः इच्छुक व्यक्ति इन्हे वहां खरीद पायेंगे। जो इन्तजार नहीं करना चाहते वे हाट परिस्यूट को डा़. नारायण सिंह पांगती, दृश्टि या भोटिया पड़ाव तथा भवान सिंह जी के पुस्तक के लिये श्री गोविन्द सिंह पांगता, नानासेम ( मल्ला जोहार समिति, मुन्स्यारी) से प्राप्त कर सकते हैं। दीपा अग्रवाल की पुस्तक के लिये नजदीकी पुस्तकों की दुकान जहां Poppins Publishers ( Children’s wing of Penguin books international) की पुस्तकें मिलती हों से संम्पर्क करें।
समारोह का समापन आयोजको की तरफ से श्री गणेष सिंह मर्तोलिया, आई.पी.एस., कमान्डेन्ट पी.ए.सी., रूद्रपुर के धन्यवाद भाषण द्वारा हुवा।