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Poems and Articles by Famous Poet Hemant Bisht-हेमंत बिष्ट जी के कविताये एव लेख

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dramanainital:
हेमन्तदा, कविता में तुमार कोइ सानी नहैत.तुमरै शब्दन में "तुमुल तो सफ़ुन कैं माफ़ कर ह्यालौ.  रै गे बात कम्पुटरैक,  ऊ मैं लै तुम सफ़ुन्कैं माफ़ कर देला.
घाम दिदि भल लगि.बादल भिन लै ऐ जन त भल हुन.
 
हर्ष.

dramanainital:
hemant da tumar chetra mei atikraman karnai,maaf kar dela.par yo kavita tumukai sunoon jaroori lagi.

ओ बादल
 
ओ बादल,अझ्यालूँ तुम हमर याँक बाट भूल गे छा,
कभै आ लै जाँछा तो बरसण,भिजूँण भूल जाँछा.
 
तुम आला कैभेर हमुल फ़ोर लेन सड़क बणाईं,
स्वागत देखि छोड़,तुम जो पेड़ कटीं ऊ गिणछा.
 
हमुल तुमर लिजि गाड़ि बणै,आरामैल आला कैभेर,
गाड़ि छाड़,तुम गाड़ीक पिछाड़ी छुट्नेर धुँग देखछा.
 
हमुल तुमर लिजि ठन्ड हूँ एसीक इन्तजाम लै करौ,
हमर नीयत देखि छोड़,तुम पर्यावरण वाल गीत गाँछा.
 
ओ बादल,अझ्यालूँ तुम चुनावी नेता जस है गो छा,
घुमड़ भेर ऊँछा,गरज भेर आश्वासन दिंछा,न्है जाँछा.
 
अब हम जंगल काट भेर वाँ बाट बणूँन में लागि छूँ,
सहराक सड़क देखि नाराज छा,के पत्त यो बाट ऐ जाँछा.
 
 
 
 
 

Hemant Bisht:
नमस्कार ,आज बे  फिर से लिखनेकी कोशिश करनू ,आशा  छू  उत्साहित करला       
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

dajyu Swagat hai bahut dino baad online..

aasha chho aapun kavita padan ka milal yahan.


--- Quote from: Hemant Bisht on December 27, 2012, 09:24:46 PM ---
नमस्कार ,आज बे  फिर से लिखनेकी कोशिश करनू ,आशा  छू  उत्साहित करला     

--- End quote ---

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720:

From - Hemant Bisht ji

बाबेकि अर्जी च्यलाक नाम

म्यर पोथा, उम्मीद छ

समझलै हमार बुढाप कैं

म्यर बबा ,उम्मीद छ,

मान दयलै,इज बाब कैं

जब कभै,

बुड कामणी हाथों बै

छुट जाल भान,

फोकी जाल खाण

बात समझलै.

नाराज नि व्हलै।

सुण ,जब तू नान छियै

त्यार नानू नान हाथों बै

बेलि जाँछि छुटि...

पै त्यार नानू नान हाथोंकि

हम लिछि भुकि

निहारैल कुछी....

नान नान हाती,ताकत आलि
य हाथैल भव्वा दुद भाति खालि‘‘

न्न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न्

जब लै कमजोर घुनाक कारण

घुरी जू ँहम

’’चुप चाप भ्ैाटी रओ,‘‘

कै दिये झन

जाण छै नान छना तू लैत जब

उठ छियै... घुरी छियै.....

पै हम कुछी...

’’थारे बुढि थारे थारे

हिटि बेर म्यार मुख्यि थैं,

आरे आरे......‘‘

पोथा, नान छना घुरीण है,

तुकैं हम रोक दिनों

बिना घुरीणेै हमर भौ,

क्ये हिटण सिख जानौ

न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न् न्न्न्

बबा

म्यर बार बार बुलाण

क्वे बातेकि रट लगूण

कचकचाट छन समझिये

‘‘मचमचाट नि लगाओ ’’

मैंथ्ैंा झन कै दियें

तू लै त लगूछियै रट

खिलौण माँगण हूँ

दूद, दइ,मक्खन,

नौणि चाखण हूँ

रट तब तक लगूछियै

जब तक मिल नि जो

न्न्न्

बबा अगर साफ नि रै सकूँ

रोज नि नै सकूँ

तो छि घीण झन करिये

याद छ

जब (हयून)जाडों में,

त्यर नाक बगछी,

न्न्न्न्

न्न्न्न्

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