ऐंपण कला का अस्तित्व अब भी बरकरार
पिथौरागढ़। बाजार में आर्टिफिशियल ऐंपण आने के बावजूद यहां पर लोग हाथ से ऐंपण बनाने के काम में अपना हुनर आज भी दिखा रहे हैं। कुछ स्वयंसेवी संस्थाओं ने इस कला को जीवित रखने का प्रयास किया है। दिवाली पर नगर में करीब 50 प्रतिशत घरों में आज भी हाथ से ऐंपण तैयार किए गए हैं। ग्रामीण अंचलों में यह परंपरा काफी समृद्ध है।निधि संस्था के अध्यक्ष डा. सुनील पांडे ने बताया कि उनकी संस्था ऐंपण कला सिखाने के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर लगाती है। इसमें महिलाओं को लक्ष्मी चौकी, विवाह चौकी, दिवाली की चौकी तैयार करने के तरीके सिखाए जाते हैं। इस कला में दक्ष ज्योति भट्ट ने बताया कि हाथ से तैयार ऐंपण में ज्यादा निखार आता है। इनको पूजा स्थल की जरूरत के हिसाब से बनाया जाता है। बाजार में मिलने वाले आर्टिफिशियल ऐंपण में इस तरह की बारीकी नहीं मिलती। डीडीहाट में भी महिलाओं ने दिवाली के लिए घरों में हाथ से ही ऐंपण तैयार किए। दीपावली के लिए ऐंपण डालती एक महिला।
Source : Amar Uajala